नेशनल फ्रंटियर/उमरिया। जिले के मानपुर जनपद क्षेत्र के पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार की शिकायतें व राशियों के गबन का मामला ठण्डे बस्तों में कैद होकर रह गया है। रसूखदार सरपंचों व सचिवों के काले कारनामों की लंबी फेहरिस्त होने के बावजूद वसूली नहीं हो पा रही है, तो वहीं कार्यवाही के नाम पर शिकायतें कचरों के ढेर में समा गई। एक ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कर्ज लेकर प्रदेश में विकास की गंगा बहाने कोई कसर नहीं छोड रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिले में बैठे उनके शासकीय करिंदे योजनायों के नाम पर शासन के पैसों को पानी की तरह बहा रहे हैं। पंचायत में सरपंच व सचिवों की मिलीभगत से शासकीय राशि की जमकर होली खेली गई और जिम्मेदारों के द्वारा कार्यवाही के लिए जारी किया गया वारंट सचिव, सरपंचों व पंचायत उपयंत्रीयों के हडताल के बाद ठण्डे बस्ते में हैं। उमरिया जिले के मानपुर जनपद पंचायतों में जितना भ्रष्टाचार हुआ हैं, शायद ही प्रदेश के किन्ही पंचायतों में हुआ होगा।
यह है मामला :
जिला पंचायत सीईओ द्वारा विगत कुछ माह पहले ग्राम पंचायत मानपुर के सरपंच व सचिव के कई लाखों के गबन राशि को लेकर नोटिस जारी की गई। वहीं मानपुर जपनद की पनपथा पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की शिकायतें जिला पंचायत में की गई जिस पर भी कोई कार्यवाही आज तक नहीं हो पाई। यही नहीं सीईओ के हस्ताक्षर से जारी नोटिस पर भी कोई कार्यवाही आज तक सीईओ ने दोबारा सुध नहीं ली इसमें कई लोगों को गिरफ्तारी के साथ पेश करने हेतु जिला पंचायत सीईओ के द्वारा आदेश भी दिया गया था जिसको लेकर पंचायतकर्मी हडताल का ताण्डव जिले में किए तो सीईओ दबाव में आकर कार्यवाही को रोक दिए। जबकि देखते ही देखते भ्रष्टाचारियों की कार्यवाहीयां जिला पंचायत के ठण्डे बस्ते में कैद हो गई।
मानपुर में गबन की लंबी फेहरिस्त :
उपरोक्त मामले को देखा जाए तो जिले की मानपुर जनपद के मानपुर पंचायत की कमान संभालने वाले लगभग सरपंचों के द्वारा कई लाख रूपये के शासकीय राशि का गबन किया गया। यही नहीं इस संबंध में तत्कालीन मानपुर सरपंच व वर्तमान गोवर्दे सचिव के खिलाफ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीईओ द्वारा प्रकरण क्रमांक 07/अ-89/अ-19/16-17 के जरिए 29 लाख 44 हजार 901 रूपये की राशि के गबन में गिरफ्तारी वांरट जारी भी कर दिया गया। लेकिन सूत्रों की माने तो जिले में बैठे आकाओं के पास इसकी थोडी सी भेंट चढाने के कारण नोटिस आज भी दम तोड रही है।
बैकफुट पर सीईओ :
जिले के पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद शिकायती पत्रों पर बाबू कुण्डी मारकार बैठ जाते हैं। जबकि जिम्मेदार अधिकारी द्वारा ही जारी आदेशात्मक पत्र भी हडताल के बाद ठण्डे बस्ते में समाहित हा जाती है। इस तरह के कारनामों से जिला पंचायत कार्यालय की शाख पर बट्टा तो लग ही रहा है साथ ही शिकायतकर्ता के हौसले भी पस्त हो रहे हैं। वहीं लोग भी चुटकियां ले रहे हैं कि आदेश जारी के बाद कार्यवाही के नाम पर जब स्वयं बैकफुट पर सीईओ ही आ जाते हैं तो किससे बाकी की उम्मीद की जा सकती है।
स्टाफ की कमी :
शिकायतकर्ता द्वारा लगभग तीन माह पहले पनपथा पंचायत के भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी। उसी शिकायत पर यदि सीईओ से जानकारी ली जाती है तो शिकायतकर्ताओं को सीईओ द्वारा मौखिक तौर पर स्टाॅफ कमी कह कर पलडा झाड दिया जाता है। शिकायतकर्ता की माने तो जिला पंचायत में अव्यावस्थाओं का आलम चरम पर है, जिसके कारण शिकायतकर्ताओं को दर-दर भटकना भी पडता है।