नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। जिला चिकित्सालय में वर्तमान कलेक्टर ने भले ही व्यवस्था दुरुस्त करने की कोशिशें की हों और उस ओर कदम बढ़ाया हो, लेकिन चिकित्सालय के कर्मचारियों में बड़े अधिकारियों का कितना भय है, यह बीते दिन जिले के एक सभ्रांत नागरिक के साथ वार्ड बॉय के द्वारा किये गए अमर्यादित व्यवहार से पता चलता है। और उक्त घटना से अंदेशा लगाया जा सकता है कि जिले के चिकित्सालय में मरीज और उनके परिजनों को किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं जब रात में यदि चिकित्सालय जाना पड़ जाए तो पहले सुभम यादव जैसे वार्ड बॉय से सामना होता है जो अपने आप में यह तय करते हैं कि आपका उपचार होगा य फिर नहीं। खबर है कि वार्ड बॉय नशे में होकर नाईट ड्यूटी करता है और रात में आकस्मिक चिकित्सकीय उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों के साथ उसके परिजनों से अभद्रतापूर्ण व्यवहार करता है, जिससे लोग नर्वस हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला बीते 10 जून का प्रकाश में आया है जहां वार्ड बॉय शुभम यादव ने जिले के एक नागरिक जो कि कुत्ते के काटने के कारण अपने भतीजे के इलाज के लिए चिकित्सालय उपचार के लिए आये थे, के साथ वार्ड बॉय ने अमर्यादित लहजे में बात की।
क्या है मामला :
दरअसल नगर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी और सभ्रांत नागरिक ओम प्रकाश शुक्ला के 12 वर्षीय भतीजे को 10 जून को रात में कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद वे उसे लेकर अपने छोटे भाई के साथ जिला चिकित्सालय रात्रि लगभग 8:30 बजे पहुंचे, जहां ड्यूटी डॉक्टर द्वारा पीड़ित के लिए ड्रेसिंग और इंजेक्शन के साथ उपचार के लिए कहा गया। इसके पश्चात परिजन अपने मरीज को लेकर ड्रेसिंग कराने के बाद इंजेक्शन के लिए जानकारी ली तो नर्स ने कहा ऊपरी तल में स्थित बच्चा वार्ड में इन्हें इंजेक्शन लगाया जाएगा। वहां जाकर लगवाइए, जहां अपने भतीजे को लेकर ओम प्रकाश बच्चा वार्ड में पहुंचे तो वहां मौजूद नर्स ने कह दिया की इंजेक्शन नीचे ही लगेगा, वे पुनः दर्द से कराहते अपने भतीजे के इलाज के लिए नीचे पहुंचे तो फिर उन्हें कहा गया कि इंजेक्शन ऊपर ही लगेगा, बाद में कह दिया गया कि यहां नहीं कल आकर लगवा लीजिये। इतने में एक्शन मूड बनाये वार्ड बॉय सुभम यादव पहुंचा और कहा कि आपको जब कह दिया गया तो बात समझ में नहीं आ रही। जबकि ओम प्रकाश शुक्ला द्वारा बताया गया कि डॉ साहब ने पर्ची लिखा है, जिसे सुन वार्ड बॉय एक दम से आक्रोशित हो उठा और अमर्यादित भाषा का उपयोग करते हुए बुलन्द लहजे में कहने लगा कि जहां से फोन करना है जहां जाना है जाओ अब तो इंजेक्शन नहीं लगेगा और मैं यहां का सीएमएचओ हूँ जो करना है करो। यही नहीं वार्ड बॉय के आगे के बोल तो बताने ही योग्य नहीं है, जिसे लेकर वहाँ मौजूद अन्य लोगों ने भी सुना लेकिन कहावत है कि कौन सुनेगा किसे सुनाएं इसी लिए चुप रहते हैं कि तर्ज पर बहुत से लोग सहन कर इलाज कराकर वापस लौट जाते हैं। और ऐसे में बे परवाह और गैर अदब लोग पद पाने के बाद अपने को अधिकारी मान बैठते हैं और आम नागरिकों के साथ अमर्यादित शब्दों से बात करते हैं, जो जिला चिकित्सालय में बीते दिन हुआ।
वार्ड बॉय को बचाने में लगे सीएस :
वार्ड बॉय सुभम यादव को लेकर सूत्रों की माने तो वह नाईट ड्यूटी शराब के नशे में करता है। और बीते दिन हुए घटना में भी वह शराब के नशे में था, इस पूरे कृत्य को लेकर जिस तरह से रात में गुंडे नुमा हरक़त वार्ड बॉय सुभम के द्वारा की गई इसकी भलीभांति जानकारी आरएमओ और सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक बृजेश कुमार प्रजापति को है, लेकिन आज दिनांक तक सीएस श्री प्रजापति ने कोई कार्यवाही नहीं कि जिससे ऐसा कृत्य करने वाले वार्ड बॉय के मंसूबे को बल मिल गया। जबकि जानकारी मिली है कि सीएस वार्ड बॉय के गरीब होने का रोना बताकर उसे संरक्षण देने के कवायद कर रहे हैं। और डैमेज कंट्रोल की जद्दोजहद में जुटे हैं।
इंजेक्शन की कमी से जूझ रहा चिकित्सालय :
सिविल सर्जन और सीएमएचओ जैसे दो अधिकारियों के निगरानी में चलने वाले जिले का इकलौता शासकीय चिकित्सालय है, जहां पर करोड़ों रुपये की राशि आवंटित होती है कि जन नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया हो सके, लेकिन जहां लगभग करोड़ों का गबन महज एक संविदाकर्मी ऑपरेटर कर लेता हो। लेकिन सूत्रों की माने तो उस चिकित्सालय का आलम यह है कि यहां साल भर से टिटनेश का इंजेक्शन मरीजों को उप्लब्ध नहीं हो पा रहा, लोग बाहर मेडिकल दुकानों से टिटनेश का इंजेक्शन लेकर उपचार कराते हैं, जबकि इस सबन्ध में सिविल सर्जन ने जानकारी दी की अस्पताल में टिटनेश का इंजेक्शन उपलब्ध है। जिस तरह से जानकारी मिली है उसमें एक ओर मरीजों को टिटनेश इंजेक्शन नहीं मिल पाते वहीं दूसरी ओर अधिकारी इंजेक्शन होने का दावा करते हैं। अब कागज में यह खरीदी हुई य नहीं यह तो जांच के बाद से ही पर्दा उठ सकेगा। लेकिन धरातल पर बहुतायत में मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है।
प्रबंधन बदले, व्यवस्था नहीं :
जिला चिकित्सालय उमरिया में कई सीएमएचओ और सीएस भले ही बदले गए हों, यही नहीं हाल ही में जिला कलेक्टर ने आरएमओ को भी बदल दिया, लेकिन यहां व्यवस्था और नर्सों सहित वार्ड बॉय के अमर्यादित रवैये को नहीं बदला जा सका। जिसके कारण मरीजों और उनके परिजनों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नदारद रहते हैं वार्ड बॉय :
यही नहीं जिला चिकित्सालय में आकस्मिक पहुंचने वाले मरीजों के लिए बाहर स्ट्रेचर और वार्ड बॉय इसलिए तैनात कर दिए जाते हैं कि लोगों को मौत से बचाया जा सके, लेकिन यहां एमरजेंसी में मरीजों को लेकर आने वाले वाहनों और चालकों को कई घण्टों तक बाहर इंतजार करना पड़ता है, साथ ही साथ चालक को स्वयं वार्ड बॉय को तलाश कर नहीं तो मरीजों के परिजनों के साथ स्ट्रेचर में रखकर वार्ड तक मरीज को पहुंचाया जाता है, जिससे वार्ड बॉय के न रहने का खामियाजा कई बार मरीज और उसके परिजनों को भुगतना पड़ता है।
ऐसे वार्ड बॉय को करें बाहर :
पीड़ित ओम प्रकाश शुक्ला स्वयं हाई बीपी और शुगर के मरीज हैं, और वे अपने12 वर्षीय भतीजे को लेकर उपचार के लिए पहुंचे ऐसे में तेज तर्रार होकर ऊंचे आवाज में वाद विवाद करना स्वास्थ्यकर्मी के कारण उनको भी परेशानीयों में डाल सकती थी, उनकी मांग है कि जिला चिकित्सालय प्रबन्धन ऐसे लोगों को बाहर करे, ताकि उनके जैसे अन्य किसी व्यक्ति के साथ घटना की पुनरावृत्ति न हो। विदित हो कि दूर दराज से हर तरह के मरीज जिला चिकित्सालय आते हैं ऐसे में इस तरह के कृत्य से उन्हें उचित स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया नहीं हो सकती। ग़ौरतलब है कि प्रबन्धन को ऐसे स्टाफ को तुरंत बाहर का रास्ता दिखाते हुए उचित कार्यवाही करनी चाहिए।
इनका कहना है –
1. अस्पताल का मामला है, तो इस पर मैं कुछ नहीं बता पाऊंगा, आप आरएमओ और सिविल सर्जन से ही जानकारी ले लीजिए।
डॉ आर के मेहरा, सीएमएचओ, जिला चिकित्सालय उमरिया
2. इस संबंध में नोटिस जारी की गई है, सुनने में यही आया है की नशे में था, जब तक मेडिकल नहीं होता तो क्लियर नहीं होगा। टिटनेश का इंजेक्शन हमारे यहां उपलब्ध है, लोग बाहर से लेकर आ रहे हैं हम क्या करें।
डॉ बी के प्रजापति, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय उमरिया