नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। दूसरे प्रदेश से घटिया स्तर के चावल को उमरिया जिले की उचित मूल्य के दुकानों में खपाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। जिसमें दलालों द्वारा उत्तर प्रदेश से गरीबों के हक में लूट मचाने एमपी के उचित मूल्य की दुकानों में घटिया स्तर का चावल सप्लाई किया जा रहा है। उमरिया जिले की सहकारी समितियों में नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से भेजा जा रहा था, जिसकी जानकारी कलेक्टर उमरिया को लगी तो उनके द्वारा एफआईआर दर्ज कराने की बात कही गई हैं। दरअसल जिले के करकेली ब्लाक के ग्राम भनपुरा, दुलहरी और सिंहपुर सहकारी समितियों में उत्तर प्रदेश सरकार का चावल उमरिया जिले के हितग्राहियों को बांटा जा रहा था, उक्त मामले की खबर जिले के कलेक्टर को हुई, तो उनके द्वारा कार्रवाई करते हुए चावल के वितरण पर रोक लगा दिया गया और एक विभागीय जांच टीम बना दी गई।
बोले कलेक्टर जांच जारी, होगी कार्यवाई :
जांच टीम का जिम्मा जिला आपूर्ति अधिकारी को सौंपा गया, लेकिन उन पर आरोप है, की उनके द्वारा गोलमाल करते हुए मिलर को बचाया गया और परिवहनकर्ता व ड्राइवर को दोषी बना दिया गया। लिहाज़ा कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि उनके द्वारा स्वयं चेक किया गया था, जिस पर बोरियों में मीलर के टैग नहीं लगे थे, वहीं चावल के क्वालिटी का सत्यापन करने पर ब्रोकन अधिक मिला। कलेक्टर ने कहा कि नागरिक आपुर्ति से जानकारी लेने पर उनके द्वारा बताया गया की पीडीएस दुकानों में सही चावल भेजा गया था। मिली जानकारी अनुसार कलेक्टर द्वारा बनाई गई टीम के मुखिया जिला आपूर्ति अधिकारी थे, जिनके द्वारा लीपापोती कर तैयार की गई जांच रिपोर्ट में पाया गया कि उसमें परिवहनकर्ता और ड्राइवर प्रथम दृष्टया दोषी हैं। कलेक्टर ने पाए गए प्रथम दृष्टया दोषियों पर एफआईआर कराने की बात करते हुए कहा कि अभी इस मामले में जांच जारी रहेगी, जांच में अगर मिलर दोषी पाया गया तो उस पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी।
जांचकर्ता की जांच में झोल!:
लिहाज़ा जिस तरह से नागरिक आपूर्ति अधिकारी द्वारा जांच कर मामले में परिवहनकर्ता और ड्राइवर को दोषी सिद्ध करते हुए, मिलर को बचाने का प्रयास किया गया, उनके द्वारा किये गए जांच में सवाल खड़े हो रहे हैं, कि वह अपराधी कहां है ? जो उत्तर प्रदेश सरकार का चावल मध्यप्रदेश तक लाकर शासकीय दुकानों में पहुंचाया।
संदेह के दायरे में दोनों राज्य के खाद्य अधिकारी :
जिस तरह से गरीब जनता को दिए जाने वाले राशन में स्वेत चावल का काला खेल किया गया। ऐसे में प्रतीत हो रहा है कि इस सफेद चावल की कालाबाजारी में दोनों ही प्रदेश के खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम और वेयरहाउस के अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है, जो इस काले कारनामे को अंजाम दे रही है।