नई दिल्ली। भारत में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग या काले धन को सफेद करने) का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस क्षेत्र की निरंतर सफलता सुनिश्चित करने और देश की मजबूत डिजिटल अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने अपनी एक रिपोर्ट में इससे बचाव के लिए उठाए जाने वाले संभावित कदमों की भी चर्चा की है। रिपोर्ट के अनुसार अवैध ऑपरेटरों से निपटने के लिए एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा वैध ऑपरेटरों की सूची बनाना, भ्रामक विज्ञापनों से निपटना और वित्तीय अखंडता व अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांतों का पालन करने जैसे कदम उठाकर भी चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग के बारे में जन जागरूकता फैलाकर लोगों को शिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि यूजर्स पूरी जानकारी के साथ निर्णय ले सकें और भ्रामक प्लेटफॉर्म्स की चपेट में आने से बच सकें। रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग में इस्तेमाल होने वाली परिसंपत्तियों का व्यापक मूल्यांकन होना चाहिए साथ ही वित्तीय संस्थानों को एआई-एमएल संचालित पहचान मॉडल तैनात करना चाहिए। इसके अलावे, मजबूत जांच दल गठित करने, बचाव के लिए मजबूत कार्यक्रम शुरू करने और ऑनलाइन गेमिंग के जरिए जालसाजी करने वालों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने से भी क्षेत्र को फायदा मिल सकता है।
भारत में रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) क्षेत्र वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 तक 28 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ बढ़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र का राजस्व 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। लाखों गेमर्स का समुदाय इस क्षेत्र की वृद्धि में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावे, इस क्षेत्र की बदौलत फिनटेक, क्लाउड सेवाओं व साइबर सुरक्षा जैसे सहायक क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता, साइबर सुरक्षा और यूजर्स की सुरक्षा जैसी कई चुनौतियां हैं, जो इस क्षेत्र की प्रगति में बाधा डाल सकती हैं। इन चुनौतियों की गंभीरता का पता इस तथ्य से भी चलता है कि भारत में अवैध सट्टेबाजी बाजार में सालाना 100 बिलियन अमरीकी डॉलर खप जाते हैं। रिपोर्ट में, मनी लॉन्ड्रिंग की चर्चा करते हुए कहा गया कि ऑनलाइन गेमिंग में इस्तेमाल होने वाली परिसंपत्तियों, क्रिप्टोकरेंसी और ऑफशोर सट्टेबाजी प्लेटफार्मों का अवैध गतिविधियों के लिए तेजी से उपयोग किया जा रहा है।
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के सह-संस्थापक अरविंद गुप्ता ने कहा, “अवैध ऑपरेटरों पर अंकुश लगाने के नियामकों की होर से रहे प्रयासों के बावजूद, कई प्लेटफॉर्म मिरर साइट्स, अवैध ब्रांडिंग और झूठे वादों जरिए प्रतिबंधों को दरकिनार कर देते हैं, इस कारण मजबूत निगरानी और कार्रवाई की तत्काल जरूरत है।”
गुप्ता ने कहा, “400 से अधिक घरेलू स्टार्टअप और 10 करोड़ दैनिक ऑनलाइन गेमर्स (जिनमें 9 करोड़ भुगतान करके खेलते हैं) वाला यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग एक लाख लोगों को रोजगार देता है। 2025 तक इसकी क्षमता ढाई लाख नौकरियां पैदा करने है। यह रिपोर्ट आगे का रास्ता तय करने के लिए सही समय पर आई है।”
रिपोर्ट में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि इस कारोबार में विनियमन और समान मानकों का अभाव है, कोई एक निगरानी तंत्र या नियामकीय प्राधिकरण मौजूद नहीं है, साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े अध्ययन और लेखापरीक्षा रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, कार्रवाई के लिए उचित एजेंसी का भी अभाव है, जिसके कारण कुख्यात अपराधियों के खिलाफ छिटपुट कार्रवाई ही हो पाती है।