नई दिल्ली। किसान हित और गांवों के विकास को समानांतर लेकर चलने के प्रयास में नया कदम उठाया गया है। किसानों को मौसम के कारण होने वाले नुकसानों से बचाने के प्रयास में व्यवस्था बनाई गई है कि उन्हें अपने गांव के भी मौसम का पूर्वानुमान मिल जाए।
इस योजना को सरकार ने अपने प्रारंभिक 100 दिन के एजेंडे में शामिल करते हुए पूरा कर लिया है। इसका ट्रायल भी पूरा हो चुका है और जल्द ही ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान जारी करने की योजना लांच होने जा रही है।
पंचायतीराज मंत्रालय के पास देशभर से यह फीडबैक आया कि मौसम का सटीक पूर्वानुमान न होने के कारण उनकी कृषि उपज को कई बार नुकसान हो जाता है। अभी तक ब्लाक स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान जारी किए जाने की व्यवस्था है।
पंचायत मौसम सेवा पोर्टल से होगा यह काम
पंचायत मौसम सेवा पोर्टल देखने पर उन्हें मौसम की जानकारी होती है, लेकिन कई बार एक ही ब्लाक में अलग-अलग ग्राम पंचायतों का मौसम भिन्न रहता है। कहीं आंधी-बारिश होती है तो कहीं नहीं। ऐसे में पंचायतीराज मंत्रालय ने भारत सरकार के मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के साथ ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान जारी करने की व्यवस्था बनाई है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में सारी तैयारियां पूरी करने के साथ ही ट्रायल हो चुका है। इस सिस्टम को ग्राम पंचायतों की विभिन्न गतिविधियों से जुड़े ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर तो जोड़ा ही गया है, साथ ही व्यवस्था बनाई गई है कि मेरी पंचायत मोबाइल एप के माध्यम से किसानों के मोबाइल पर भी मौसम का पूर्वानुमान निरंतर रूप से पहुंचे।
ग्रामीणों को दैनिक जीवन में होगा फायदा
सरकार का मानना है कि किसानों को कृषि उपज के नुकसान से बचाने के साथ ही ग्रामीणों को दैनिक जीवन की अन्य समस्याओं से भी मौसम का ग्राम पंचायत स्तरीय मौसम पूर्वानुमान बचा सकता है। इसे देखते हुए ही इसे मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यक्रमों में शामिल किया गया था। ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर पूर्वानुमान की प्रक्रिया को शुरू भी किया जा चुका है। अब जल्द ही पंचायतीराज मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से इस योजना की औपचारिक शुरुआत की जाएगी।
विदा हुआ मानसून, इस बार सामान्य से अधिक वर्षा
दक्षिण पश्चिम मानसून की देश से विदाई हो गई। मौसम विभाग के अनुसार, आधिकारिक तौर पर 15 अक्टूबर 2024 को मानसून पूरे देश से वापस चला गया है। साथ ही उत्तर-पूर्वी मानसून ने प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिण-पूर्वी भागों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। यह परिवर्तन मौसम के पैटर्न को आकार देने वाली वायुमंडलीय विशेषताओं के कारण होता है, जिसमें बंगाल की खाड़ी के बीच में एक कम दबाव वाला क्षेत्र बना हुआ है, जिसकी वजह से दक्षिणी राज्यों में भारी बारिश देखने को मिल रही है।