“तनाव”
जी हाँ ये शब्द आज हर किसी के साथ यूँ जुड़ चुका मानों शरीर का अभिन्न अंग हो,,, इसके बिना हम एक कदम न चल सकते हो मानो,, कई बार हम सोचते बस अब तो कुछ नहीं बचा जिंदगी में,, यह वह स्थिति है जब तनाव हद से आगे बढ़ जाता है,, यह वक़्त ही ऐसा जब हर कोई किसी न किसी तनाव संग जी रहा है,, हम पीछा छुड़ाने के कई तरीके अपनाते पर ये जोंक की तरह जब तक खून न पी जाये पीछा नहीं छोड़ेगा,, हाँ कुछ लोग हैं जो आसानी से इससे पार पा जाते हैं पर अधिकांश संघर्ष करते रहते हैं,,
कई बार ये बोझ इतना अधिक बढ़ जाता कि हम निराशा, चिंता और #अवसाद में डूब जाते हैं,, और इनसे पीछा छुड़ाने के लिये कुछ न कुछ गलत अपनाते हैं जो कि हमेशा अस्थाई होता है,, कई बार नोटिस किया होगा तनाव में अगर हम गहरी नींद में भी हों तो लगता कोई है जो गला दबाये बैठा है और सांस लेना दुश्वार हो रहा,, यह घुटन कई बार हमें कई बीमारियों के मुँह तक ले जाता है,,,
कोशिश बदस्तुतर जारी रहती है इसे अपने से दूर रखने की,,, बेशक़ #दुश्वारियों को रोकने का कोई रास्ता नहीं होता पर उससे निकलने की राह हमें खुद ही बनानी पडती है,, बस खुद को #शांत रखने कि कोशिश कर सकते हैं,,मेरे लिये जो सबसे कारगर साबित हुआ वो यही कि खुद को प्रकृति कि पनाह में समर्पित कर दूँ,, उस वक़्त सिर्फ हम दोनों हों,, अकसर नदी के बहाव को घंटों निहारती तो सोचती कि इसे भी तो तनाव होगा कहीं कोई अवरोध न आये पर ये उस अवरोध से इतर अपनी राह बदल अविरल बह निकलती है,,कीजियेगा कभी ऐसा कितना सुकूँ मिलेगा,,
पर इस वक़्त ऐसा भी नहीं कर सकते दूसरी राह अपनाई अपनी कलम उठाई और जो मन में आये वो लिखती रही,,, हाँ इस लिखने में अकसर वो वक़्त याद करती हूँ जो मेरे सुकूँ के रहे,, उनको याद करती हूँ जो मुझे ख़ुशी दे गए,,, वही लिखती हूँ जो मेरे होठों की मुस्कुराहट बने,,,उन तस्वीरों को देखती हूँ जो अकसर खुशियों के खजाने के रूप में सहेजे हैं,,, अपने जीवन की उन अच्छी बातों को उकेरियेगा कभी, देखो कितना सुकूँ मिलेगा,,,पढ़ा था कहीं विज्ञानं के मुताबिक भी ऐसा करना हमारे दिमाग़ को हर माहौल में #सकारात्मक बनाये रखता है,, और आपकी सेहत में कई तरह के सुधार भी होते हैं,,,
मुझे ख़ुशी मिलती है ऐसे वक़्त में दोस्तों से ढेरों बातें करना उनके साथ बिताये उन पलों को बार बार याद करना उस पर खिलखिलाकर हँसना,,मैं हमेशा शुक्रिया कहती हूँ उन सबको जिनकी वजह से जीवन में खुशियों के पल मिले,, और तनाव के इस माहौल में भी हमें वो पल याद करने का जरिया बने,,हाँ यही वजह है जो हमें ऐसे वक़्त में भी #आशावादी बनाये रखता है,,
बस शुरुआत कीजिये अपने जीवन के हर ख़ुशी के पल को लिखने की,, ये सोचे बिना क्या लिख पाएंगे,, ये सोचे बिना दूसरा पढ़कर क्या सोचेगा,, ये सोचे बिना कि वर्तनी सही है या शब्द सही प्रयोग किये,, यहाँ सिर्फ भाव शुद्ध होते हैं,, और जो दिल से निकलेंगे वो कभी गलत नहीं होगा,,, कीजियेगा तनाव के वक़्त ऐसा बहुत सुकूँ मिलेगा,,,,
“बस यूँ ही कभी-कभी”
“दीप”