-भारतीय स्टाम्प क़ानून में किये गये संशोधनों से प्रतिभूति बाज़ार का होगा सरलीकरण-
दरअसल स्टाम्प क़ानून को बदलने की प्रक्रिया पिछले दो दशक से चल रही है। आपको यदि ध्यान हो तो देश में 20 वर्ष से भी अधिक समय पूर्व 20,000 करोड़ रुपए का एक फ़र्ज़ी स्टाम्प घोटाला उजागर हुआ था। उस घोटाले के बाद स्टाम्प क़ानून में बड़े पैमाने पर बदलाव की बात की गई थी एवं इसकी शुरुआत स्टाम्प को सीरीयल नम्बर प्रदान कर की गई थी। इसके बाद ई-स्टाम्पिंग का दौर आया। परंतु, फिर समस्या ये आई कि अलग अलग राज्यों में स्टाम्पिंग ड्यूटी की अलग अलग दरें हैं फिर इसमें किस प्रकार एकरूपता लाई जाय। यह सब प्रक्रिया पिछले लगभग 14 वर्षों से चली आ रही है।
अमूमन हम जब स्टाम्प ड्यूटी की बात करते हैं तो हमें लगता है कि केवल ज़मीन जायदाद की ख़रीद फ़रोक्त से सम्बंधित मामलों पर ही यह लागू होती है। यह जानकारी शायद बहुत कम लोगों को रहती है कि शेयर बाज़ार एवं म्यूचूअल फ़ंड से सम्बंधित लेनदेन भी इसके दायरे में आते हैं। परंतु स्टाम्प ड्यूटी को शेयर बाज़ार एवं म्यूचूअल फ़ंड से सम्बंधित लेनदेन के मामलों पर लागू करने में मुख्य समस्या यह आती है कि इसे कहाँ पर अर्थात शेयर ख़रीदने वाले के स्थान पर लागू किया जाय अथवा शेयर बेचने वाले के स्थान पर लागू किया जाय एवं इसे किस राज्य की दरों के साथ लागू किया जाय। साथ ही, शेयर अथवा म्यूचूअल फ़ंड के एक ही प्रकार के लेनदेन के लिए कई अलग अलग दरें लागू की जा रही थीं जिसके परिणामस्वरूप न्यायिक विवाद की भी घटनाएँ सामने आईं, जिससे प्रतिभूति बाज़ार में लेनदेन की लागत बढ़ गई एवं पूँजी निर्माण को नुक़सान होने लगा।
यूँ अगर अब देखा जाय तो शेयर बाज़ार एक बहुत ही बड़ा बाज़ार बन गया है। इसमें अब एक ही प्रकार की स्टाम्प ड्यूटी की दरों को लागू किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि अब यह वन नेशन वन मार्केट बन गया है अर्थात आप देश के किसी भी प्रदेश में बैठकर अपने शेयर एवं म्यूचूअल फ़ंड बेचकर स्टॉक मार्केट में व्यापार कर सकते हैं। अतः स्टाम्प पेपर क़ानून से जुड़े हुए उक्त वर्णित समस्त विवादों एवं इसी प्रकार के अन्य विवादों का निपटारा करने के लिए वर्ष 2018-19 के बजट में इन प्रावधानों में संशोधन की बात की गई थी किंतु इन्हें समय पर नोटिफ़ाई नहीं किया जा सका था। परंतु,केंद्र सरकार द्वाराअब 1 जुलाई 2020 से भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 में वित्त अधिनियम, 2019 के भाग 1, अध्याय IV के तहत प्रस्तावित संशोधनों को लागू कर दिया गया है।
अब देश भर में स्टाम्प क़ानून के नए नियमों के लागू होने के बाद शेयर एवं म्यूचूअल फ़ंड की खरीद फ़रोक्त के व्यवहारों पर पूरे देश में स्टाम्प ड्यूटी की एक ही दर लागू होगी। दूसरे, अभी तक अलग अलग राज्य सरकारों द्वारा स्टाम्प ड्यूटी की वसूली की जातीथी परंतु अब अधिसूचित एजेन्सी द्वारा स्टाम्प ड्यूटी सम्बंधी करों का संग्रहण किया जाएगा एवं पूरे एक माह में किए गए संगृहीत कर को तीन सप्ताह के अंदर सम्बंधित राज्य सरकारों के ख़ज़ाने में जमा करा दिया जाएगा। इससे पूरे देश में स्टाम्प ड्यूटी से सम्बंधित नियमों का एकीकरण हो गया है
स्टाम्प ड्यूटी सम्बंधित नियमों को लागू किए जाने को भी आसान बना दिया गया है। नए नियमों के अनुसार जिस प्रदेश में निवेशक लेनदेन कर रहा है उसी प्रदेश सरकार को स्टाम्प ड्यूटी की राशि मिलेगी। स्टॉक एक्स्चेंज के पास इसकी जानकारी रहती है कि किस शहर के निवेशक ने शेयर ख़रीदा अथवा बेचा है अतः राज्य का पता इनके पास रहता है। दूसरे, यह टैक्स शेयर अथवा डिबेंचर के क्रेता के ऊपर लागू होगा जो व्यक्ति शेयर अथवा डिबेंचर बेच रहा है उसके ऊपर किसी भी प्रकार की स्टाम्प ड्यूटी लागू नहीं होगी। जबकि वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार ख़रीददार एवं विक्रेता दोनों के ऊपर ही स्टाम्प ड्यूटी लागू होती थी। उदाहरण के तौर पर, अभी मोटे तौर पर 1 करोड़ रुपए के शेयर अथवा डिबेंचर के लेनदेन पर क़रीब 1000 रुपए क्रेता एवं 1000 रुपए विक्रेता को स्टाम्प ड्यूटी देना होती थी। जबकि अब केवल क्रेता को ही 1500 रुपए देने होंगे एवं विक्रेता को किसी भी प्रकार की स्टाम्प ड्यूटी अदा नहीं करनी होगी। इस प्रकार, कुल मिलाकर स्टाम्प ड्यूटी की लागू दर भी कम कर दी गई है।
स्टाम्प क़ानून के लागू किए गए नए नियमों के अनुसार, अब डिपॉज़िटरी के ऊपर भी यह स्टाम्प ड्यूटी लागू की गई है। डिपॉज़िटरी में अभी तक कोई स्टाम्प ड्यूटी लागू नहीं थी।स्टाम्प क़ानून में हाल ही में किए गए संशोधनों से एक तो इन नियमों का सरलीकरण हो गया है तथा सारी अस्पष्टताएँ समाप्त कर दी गई हैं। दूसरा, इससे राज्यों की आय बढ़ेगी। साथ ही, विभिन्न डिपॉज़िटरीज़, स्टॉक एक्स्चेंज, क्लीरिंग कोरपोरेशन, म्यूचूअल फ़ंड्ज़ के रजिस्टर्ड ट्रान्स्फ़र एजेंट्स को शेयर एवं म्यूचूअल फ़ंड की ख़रीद फ़रोक्त का पूरा हिसाब रखना होगा एवं स्टाम्प ड्यूटी की वसूली भी निवेशक से करनी होगी। अतः अब निवेशक को बहुत आसानी हो गई है कि उसके द्वारा किए जा रहे व्यवहारों का हिसाब उक्त संस्थान रखेंगे और सम्बंधित पूरी जानकारी निवेशक को उपलब्ध करा देंगे। अब देश डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है अतः यह क़दम भी उसी ओर जा रहा है।
चूँकि देश में स्टॉक एक्स्चेंज देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में ही स्थापित हैं अतः शेयर एवं म्यूचूअल फ़ंड के लेनदेन भी मुंबई स्थिति स्टॉक एक्स्चेंज में ही होते हैं इससे स्टाम्प ड्यूटी की लगभग पूरी राशि महाराष्ट्र की राज्य सरकार को मिलती रही है। परंतु अब नए नियमों के अनुसार जिस राज्य का निवेशक शेयर अथवा म्यूचूअल फ़ंड में लेनदेन कर रहा है स्टाम्प ड्यूटी की राशि उसी राज्य सरकार को मिलेगी। अतः कई राज्य सरकारों की आय में वृद्धि होगी।
देश की कुल आबादी के केवल 3 अथवा 4 प्रतिशत लोग ही शेयर बाज़ार में अपना निवेश करते हैं चूँकि इसमें टैक्स सम्बंधी बहुत सारी जटिलताएँ हैं एवं कई पेचीदगियाँ तो इस प्रकार की हैं कि जिसे निवेशक समझ ही नहीं पाता है अतः वह शेयर बाज़ार से दूरी बनाए रखने में ही अपनी समझदारी समझता है। परंतु अब स्टाम्प ड्यूटी सम्बंधी नियमों को आसान बनाए जाने से एवं वन नेशन वन स्टाम्प ड्यूटी के सिद्धांत को लागू किए जाने के बाद से उम्मीद की जा रही है कि देश में शेयर बाज़ार एवं म्यूचूअल फ़ंड संस्कृति को विकसित करने में मदद मिलेगी। एक तरफ़ राज्य सरकारों को कमाई का एक नया साधन उपलब्ध होगा दूसरी ओर निवेशक के लिए जटिलताएँ कम होंगी। इसके साथ ही, देश के शेयर बाज़ार में अभी 4 करोड़ के आसपास निवेशक हैं, परंतु इनमें अधिकतर निवेशक निष्क्रिय रहते हैं अर्थात एक बार शेयर ख़रीदकर अपने पास रख लेते हैं इसमें समय समय पर व्यवहार नहीं करते हैं। लेकिन अब स्टाम्प ड्यूटी सम्बंधी नियमों को आसान बनाए जाने के बाद निष्क्रिय निवेशक भी सक्रिय हो जाएँगे एवं शेयर बाज़ार में अधिक व्यवहार करने लगेंगे, इससे शेयर बाज़ार में शेयर एवं म्यूचूअल फ़ंड की ख़रीद एवं बिक्री बढ़ेगी, निवेशकों को अच्छी क़ीमत मिलने लगेगी तथा राज्य सरकारों को टैक्स की मद में आय बढ़ेगी। देश में शेयर एवं म्यूचूअल फ़ंड संस्कृति विकसित होगी। सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से भारत विश्व में पाँचवे स्थान पर आ गया है परंतु शेयर बाज़ार के लिहाज़ से भारत विश्व में दसवें नम्बर पर है अतः सकल घरेलू उत्पाद में तो वृद्धि दर अच्छी हो रही है परंतु शेयर बाज़ार में वृद्धि दर तुलनात्मक रूप से बहुत धीमी है। परंतु अब शायद इस क्षेत्र में भी अच्छी वृद्धि दर देखने को मिलेगी।
लेखक:
प्रह्लाद सबनानी,
सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक,