असम के नागांव जिले में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्म स्थल के पास यहां कड़ी सुरक्षा के बीच अतिक्रमण हटाने का सबसे बड़ा अभियान सोमवार को शुरू हुआ है. नागांव की एसपी लीना डोली ने बताया कि संतीजन बाजार इलाके में सुबह अतिक्रमण रोधी अभियान शुरू किया गया और यह अभी तक शांतिपूर्ण रहा है. इस अभियान के लिए 700 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. एसपी ने बताया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के लिए चार गांवों में अभियान चलाया जा रहा है. डोली ने कहा, संतीजन बाजार के बाद हम हैदुबी इलाके में अतिक्रमण हटाएंगे और वहां लगने वाले वक्त के अनुसार हम बाकी के दो गांवों में अभियान चलाने पर फैसला लेंगे.
ढिंग राजस्व मंडल के तहत आने वाले इलाकों में अगले कुछ दिनों में 1,200 बीघा से अधिक जमीन पर कथित अतिक्रमण को हटाने का अभियान चलाया जाएगा. एसपी ने बताया कि इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और वरिष्ठ अधिकारियों की अगुवाई में पुलिस बल 13 दिसंबर से यहां डेरा डाले हुआ है और उन्होंने तब से यहां फ्लैग मार्च निकाले हैं. उन्होंने कहा, लोग हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं. इलाके में 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपने घर, दुकानें और अन्य ढांचे हटा दिए हैं और यहां से चले गए हैं.
प्रशासन ने 1000 परिवार को भेजे थे नोटिस
जिला प्रशासन ने जमीन खाली कराने के लिए अक्टूबर में 1,000 से अधिक परिवारों नोटिस भेजे थे. प्रभावित लोगों ने सरकार से उन्हें वैकल्पिक जगह मुहैया कराने की अपील की है. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां अतिक्रमण हटाना भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का प्रमुख चुनावी मुद्दा था. 2016 में असम में सत्ता संभालने के बाद, बीजेपी ने अपने पहले कार्यकाल में बटाद्रवा थान से संबंधित 160 बीघा जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया था. पिछले साल मई में हिमंत बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री कार्यालय का कार्यभार संभालने के बाद सोमवार का अतिक्रमण के खिलाफ अभियान राज्य में इस तरह का तीसरा अभियान है.
सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा
पिछले साल सितंबर में डारंग जिले के धौलपुर में पहला निष्कासन अभियान हिंसक हो गया था, जिसमें पुलिस फायरिंग के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी. दूसरे अभियान के दौरान, गारो, चकमा और मुस्लिम समुदायों से संबंधित लगभग 1,000 परिवारों ने होजई जिले के लुमडिंग आरक्षित वन क्षेत्र में 1,400 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा था, उन्हें पिछले साल नवंबर से फरवरी तक चरणबद्ध तरीके से जमीन खाली करने के लिए कहा गया था.