अयोध्या: अयोध्या (Ayodhya) में इस बार दो बार दिवाली (Diwali) मनाई जाएगी. एक दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी और दूसरी दिवाली 22 जनवरी को मनाई जाएगी. जब भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) का उद्घाटन होगा. दोनों ही उत्सव अयोध्या के लिए एक ऐतिहासिक पल होंगे. अयोध्या में इन दोनों ही दिवाली की तैयारियां चल रही हैं. दिव्य दिवाली के लिए अयोध्या को सजाया जा रहा है और राममंदिर को भी उद्घाटन के लिए फाइनल टच दिया जा रहा है. लेकिन पहले बात इस दिवाली की करते हैं. जिसके लिए पूरी अयोध्या दुल्हन सी सज गई है. रामजन्म भूमि पथ से लेकर राम मंदिर तक सब की छटा निराली है. अयोध्या में एक अलौकिक दृश्य दिख रहा है.
अयोध्या की दिवाली को दिव्य बनाने के लिए इस बार भी रामनगरी को दीयों से जगमग करने की तैयारी हो रही है. इस बार अयोध्या के 51 घाटों पर 24 लाख दीये जलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जाएगा. वैसे तो अयोध्या की दिवाली हर साल ही दिव्य होती है. लेकिन इस बार दिवाली पर अयोध्या कुछ ज्यादा ही उत्साहित हैं. पिछले 6 सालों से अयोध्या का दीपोत्सव वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहा है और हर साल अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ रहा है. इस बार भी ये परंपरा जारी रहने वाली है.
सरयू किनारे लेजर शो के जरिए श्रीराम के जीवन की झांकी पेश की जाएगी. रूस, श्रीलंका, सिंगापुर और नेपाल के कलाकार दीपोत्सव में रामलीला का मंचन करेंगे. हर साल की तरह इस साल भी दिवाली पर भी अयोध्या में त्रेतायुग के दर्शन होंगे. साधु-संत से लेकर आम जन तक, हर रामभक्त राममंदिर निर्माण पूरा होने का इंतजार कर रहा था और अब ये इंतजार खत्म होने वाला है. तो इस बार अयोध्या में डबल दिवाली मनेगी.
दिवाली के मौके पर सजी अयोध्या वैसी ही दिख रही जैसे त्रेता युग में अयोध्या थी. जिसका वर्णन गोस्वामी तुसलीदास ने अपनी रामचरित मानस में किया है. इस बार यूपी के साथ कई प्रदेशों की संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा. योगी सरकार धोबिया, फरुआही, राई, छाऊ लोकनृत्य को भी वैश्विक मंच दे रही है.
दीपोत्सव की तैयारियां बताती हैं कि अयोध्या में फिर से वही रामराज्य लौट आया है. हर तरफ मंगल गीत बज रहे हैं. पूरी अयोध्या रोशनी से जगमगा रही है. सड़कें घर गलियां सब राममयी हो गई हैं. लोगों की जुबान पर बस अपने आराध्य श्रीराम राम का ही नाम है. लोगों को बस अपने राम का इंतजार है. करीब 500 वर्ष का वनवास काटने के बाद अब मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने उसी आंगन में लौटने वाले हैं. जहां उनकी बाल लीलाओं का जिक्र कभी गोस्वामी तुलसीदास ने ‘ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां’ लिख कर किया था.
अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई।। इसके मतलब है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में अवधपुरी बहुत ही सुंदर सजाई गई है, देवताओं ने पुष्पों की वर्षा की झड़ी लगा दी है. रामचरितमानस की उक्त चौपाई दीपोत्सव में साकार रूप लेती दिख रही है. श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में लोगों ने अपने-अपने घरों को सजाया है. घरों और दुकानों की दरों-दीवारों पर रामकथा व शुभता के प्रतीकों को चित्रित किया गया है. शाम होते ही पूरी अयोध्या में अवधपुरी रघुनंदन आए, घर-घर नारी मंगल गाए जैसे मंगल गीत गूंजने लगते हैं. अयोध्या के लिए ये दिवाली तो बेहद खास है ही लेकिन 22 जनवरी को अयोध्या इससे बड़ी दिवाली मनाएगा. क्योंकि इस दिन जब भगवान श्रीराम अपने महल में विराजमान होंगे और राम मंदिर अपनी अलग ही छटा बिखेरेगा.