नई दिल्ली। देश में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. इस नए कानून के लागू होने के बाद देश में आईपीसी और सीपीआरपीसी की छुट्टी हो जाएगी.इसके अलावा अब किसी भी अपराध की एफआईआर किसी भी थाने में दर्जा कराई जा सकेगी. इसके अलावा औपनिवेशिक काल से चल रहे तीन कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह नए क्रिमिनल कानून देश में लागू होंगे- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं.
ये तीनों कानून पिछले साल 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किए गए थे. जो कि देश में अब लागू किए जाएंगे. नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), 163 साल पुराने IPC की जगह लेगा. इसके अलावा आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे खतरनाक अपराधों के मामले में सजा को और सख्त बनाया जाएगा.
मॉब लिंचिंग को आतंकवादी कृत्य माना जाएगा
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों को आतंकवाद के अपराध मेंपरिभाषित किया गया है. मॉब लिंचिंग मामले को आतंक के रूप में गिना जाएगा. इस मामले की सजा आतंकवाद के अपराध के रूप में की जाएगी.
1 जूलाई से होंगे ये बदलाव
- FIR से लेकर कोर्ट के निर्णय तक की सुनवाई पूरी तरह से ऑनलाइन होगी.
- ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के तीन के अंदर करनी होगी FIR दर्ज, वरना होगी कड़ी कार्रवाई.
- सात साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य की जाएगी.
- यौन उत्पीड़न के मामले में 7 दिनों के अंदर जमा करनी होगी रिपोर्ट.
- कोर्ट में पहली सुनवाई से पहले 60 दिनों के अंदर आरोप तय किया जाने का प्रावधान
- आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर करना होगा फैसला
- भगोड़े अपराधियों को लेकर 90 दिनों के अंदर करना होगा केस दायर करने का प्रावधान
- आतंकवाद, मॉब लींचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और सख्त बनाया गया.
- नए कानून में अपराधी को दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान होगा, जो बिना किसी इरादे के शादी का वादा करके धोखे से यौन संबंध बनाते हैं.