गुजरात में टिकट वितरण के बाद से बगावत शुरू हो गई थी, भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दलों के कई ऐसे बगावती नेता हैं जिन्होंने नामांकन दाखिल किया और पार्टी की तमाम चेतावनियों के बावजूद वापस नहीं लिया. ऐसे नेता अपनी ही पार्टी का गणित बिगाड़ सकते हैं. आइए जानते हैं गुजरात में 5 चर्चित बागी उम्मीदवारों के बारे में
1- मधु श्रीवास्तव
वड़ोदरा की वाघोडिया सीट से टिकट न मिलने पर बीजेपी नेता मधु श्रीवास्तव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मधु छह बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं, उनकी छवि के दबंग नेता की है. पिछले दिनों नामांकन दाखिल करते वक्त भी उन्हें कार्यकर्ताओं से कहा था कि वह किसी से नहीं डरते. यहां उनका मुकाबला बीजेपी की अश्विनी पटेल से है.
2- दिनेश पटेल
दीनू मामा के नाम से मशहूर दिनेश पटेल बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं. वह वड़ोदरा की पादरा सीट से विधायक रहे हैं. इस बार वह टिकट की आस लगाए थे, लेकिन एन वक्त पर पार्टी ने उनका टिकट काटकर चैतन्य सिंह झाला को टिकट दे दिया. आखिरकार दिनेश पटेल ने निर्दलीय ही मैदान में उतरने का निर्णय ले लिया.
3- धवलसिंह झाला
धवल सिंह झाला ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी, 2017 में वह पार्टी छोड़कर बीजेपी में आए थे. अरवल्ली जिले की बायड सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा और हार गए. इस बार वह टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन एन वक्त पर उनकी जगह भीखीबेन परमार को टिकट दे दिया. इसके बाद धवल सिंह झाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.
4- मावजी देसाई धानेरा
बनासकांठा जिले की धानेरा सीट से माव जी देसाई ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है, वह बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. मगर यहां से टिकट न दिए जाने पर उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया.
5- छोटू भाई वसावा
भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक छोटू भाई वसावा इस बार अपनी ही पार्टी और अपने ही पुत्र महेश वसावा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे हैं. दरअसल झगड़िया विधानसभा सीट उनकी परंपरागत सीट थी, उस पर वह जीतते भी आए हैं, लेकिन इस बार बेटे महेश वसावा ने उनका टिकट काटकर इस सीट से खुद लड़ने का ऐलान किया तो छोटू भाई वसावा निर्दलीय ही मैदान में उतर गए.