नई दिल्ली: पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान छह दलों- बीजेपी, तेलुगु देसम, लोजपा (राम विलास), माकपा, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) और आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फंड (एआईयूडीएफ) के पास 4300 करोड़ रुपये फंड अधिक एकत्र हुआ. इन दलों को शामिल करते हुए कुल 22 दलों ने चुनावों के दौरान करीब साढ़े सात हजार करोड़ फंड एकत्र किया और इनमें से करीब 3.8 हजार करोड़ रुपये खर्च किए. जिस दिन चुनावों की घोषणा हुई थी उसके बाद समापन तक इनके बैलेंस में सामूहिक रूप से 31 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
पांच राष्ट्रीय दलों बीजेपी, कांग्रेस, माकपा, आप, बसपा और 17 क्षेत्रीय दलों का जिस दिन चुनावों का ऐलान हुआ था उस दिन इन 22 दलों का सामूहिक बैलेंस 11, 326 करोड़ रुपये था. गौरतलब है कि 2024 में लोकसभा चुनावों के साथ चार राज्यों में भी चुनाव हुए थे.
चुनावी प्रक्रिया के दौरान इन दलों के पास 7,416 करोड़ रुपये और एकत्र हुए. इनमें से इन दलों ने चुनावी अभियान के दौरान 3,861 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. इस प्रकार चुनावी खत्म होने तक इन 22 दलों का सामूहिक क्लोजिंग बैलेंस 14, 848 करोड़ रुपये था.
दलगत स्थिति
स्टडी के मुताबिक बीजेपी इस मामले में टॉप पर रही. चुनाव के आगाज के दिन उसका ओपनिंग बैलेंस 5,921.8 करोड़ था. अभियान के दौरान उसने 6,288 करोड़ एकत्र किए. इनमें से 1,738 करोड़ रुपये उसने चुनावों में खर्च कर दिए. इस तरह चुनाव खत्म होते वक्त उसका क्लोजिंग बैलेंस 10107.2 करोड़ रुपये था. ओपनिंग बैलेंस के लिहाज से कांग्रेस का 22 दलों में नौवां स्थान रहा और क्लोजिंग बैलेंस के हिसाब से 12वां स्थान था.
ये स्टडी कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (CHRI) ने की है. इसके विश्लेषण को द टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रकाशित किया है. CHRI के मुताबिक इन 22 दलों ने 1,595 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और उनमें से 480 निर्वाचित हुए. ये लोकसभा की कुल शक्ति का 88 प्रतिशत से भी अधिक है.