पटना : नरेंद्र मोदी कैबिनेट 3.0 में औसतन चार सांसदों पर एक मंत्री बनाए जाने पर चर्चा चल रही है। इस फॉर्मूले के आधार पर एनडीए की 30 सीटें जीतने वाले राज्य बिहार से 7-8 सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी, जेडीयू, लोजपा रामविलास और HAM से कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले सांसदों को लेकर गहन मंथन चल रहा है। इसमें जातिगत समीकरणों का खास तौर पर ध्यान रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार से एक जाति से एक केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह, राज्यसभा सांसद संजय झा के अलावा लोकसभा सांसद रामनाथ ठाकुर और सुनील कुमार कुशवाहा के नामों की चर्चा हो रही है। ललन सिंह का नाम पिछली मोदी कैबिनेट में भी मंत्री बनने की रेस में था लेकिन आरसीपी सिंह के आने से उनका पत्ता कट गया था। इस बार उन्हें मौका मिल सकता है।
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ललन सिंह भूमिहार जाति से आते हैं। अगर उन्हें मोदी कैबिनेट 3.0 में जगह मिलती है तो जेडीयू या बीजेपी के किसी अन्य भूमिहार नेता के मंत्री बनने के आसार कम हैं। भूमिहार समाज से बीजेपी के गिरिराज सिंह और विवेक ठाकुर का नाम भी प्रमुख है। इसी तरह अति पिछड़ा समाज से रामनाथ ठाकुर और कोइरी जाति से सुनील कुमार कुशवाहा को मंत्री बनाया जाता है, तो बीजेपी से पिछड़ा और सवर्ण जातियों से मंत्री बनाए जाएंगे।
बीजेपी से राजपूत समाज से आने वाले राजीव प्रताप रूडी या जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के नाम की चर्चा है। वहीं, ब्राह्मण समाज से बीजेपी के गोपालजी ठाकुर या राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। इस समाज से जेडीयू के संजय झा का नाम भी चर्चा में है। यादव समाज से बीजेपी के नित्यानंद राय का नाम सबसे आगे चल रहा है।
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इसी तरह दलित समाज से लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान के मंत्री बनने के आसार नजर आ रहे हैं। महादलित समाज से आने वाले पूर्व सीएम एवं हम पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी का नाम चर्चा में है। इसके अलावा मल्लाह जाति के भी एक नेता को मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद का शपथ ग्रहण समारोह रविवार शाम को राष्ट्रपति भवन में आयोजित होना है। ऐसे में बिहार से बीजेपी, जेडीयू एवं अन्य दलों से कौन-कौन मंत्री बनेगा इस पर 24 घंटे के भीतर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
बता दें कि बिहार में बीजेपी, जेडीयू समेत सभी दलों की नजर अब विधानसभा चुनाव पर टिकी है। विपक्षी दल आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान रोजगार के मुद्दे पर खूब सुर्खियां बटोरीं। इस कारण चुनाव खत्म होते ही नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने बिहार में 10 लोगों को सरकारी नौकरी देने का लक्ष्य पूरा करने के लिए ताबड़तोड़ बहाली निकालना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव में एनडीए की सफलता को देखते हुए नीतीश कुमार जल्द से जल्द बिहार विधानसभा का चुनाव कराने पर भी विचार कर रहे हैं।