बिना जुर्म किए आठ साल से जेल काट रहे गया के मंगा सिंह को झारखंड हाईकोर्ट ने बाइज्जत रिहा करने के आदेश दिए हैं. इसी के साथ हाईकोर्ट ने मंगा सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमे को भी रद्द कर दिया है. वहीं आठ साल तक उन्हें जेल में बंद करने की एवज में आठ लाख रुपये का मुआवजा देने व उन्हें फर्जी केस में फंसा कर जेल भेजने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक साल 2015 में बिहार के गया जिले में बाराचट्टी के रहने वाले मंगा सिंह को ड्रग्स तस्करी के आरोप में अरेस्ट किया था. उनकी गिरफ्तारी पटियाला ढाबा से हुई थी. मंगा सिंह इसी पटियाला होटल में वेटर का काम करते थे. आरोप है कि एनसीबी के अधिकारियों ने ढाबे पर दबिश देकर मंगा सिंह को अरेस्ट किया और ड्रग्स का कारोबार करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज कर जेल भेज दिया है.
आरोप लगाया गया कि उनके ड्रग्स तस्करों से संबंध हैं. पुलिस ने इन्हीं आरोपों के साथ मंगा सिंह को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेज दिया गया था. हालांकि मंगा सिंह ने एनसीबी की कार्रवाई के विरोध में डिस्ट्रिक कोर्ट में अर्जी दी थी, लेकिन यह अर्जी खारिज हो गई. इसके बाद मंगा सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पीड़ित मंगा सिंह को बेदाग करार देते हुए रिहा करने के आदेश दिए हैं.
अफसरों पर होगी एफआईआर
चूंकि उन्हें फर्जी मुकदमे में अरेस्ट किया गया और आठ साल तक जेल में रखा गया, इसलिए कोर्ट ने मंगा सिंह को 8 हजार रुपये का मुआवजा दिलाने और उन्हें फर्जी तरीके से फंसा करने जेल भेजने वाले अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट में हुई.
इसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने पीड़ित की याचिका का विरोध भी किया था, लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अब अपना फैसला सुना दिया है. इसमें कोर्ट ने माना है कि मंगा सिंह पर दर्ज मुकदमा ही फर्जी है और जानबूझ कर उन्हें फंसाया गया है. मंगा सिंह के वकील शैलेश पोद्दार के मुताबिक कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एसीबी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए हैं.