नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच टिकट बंटवारे पर गहन चर्चाएं चल रही हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने सपा को दबदबा बढ़ाने का मौका दिया है, जिससे राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं. सपा ने पहले ही 10 में से छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसमें फुलपुर और मझावन भी शामिल हैं, जिन पर कांग्रेस की नजर थी.
कांग्रेस के लिए ये उपचुनाव अहम हैं क्योंकि वे पार्टी की उत्तर प्रदेश में अपनी खोई साख वापस लाने की संभावना को एक बार फिर से मजबूती देना चाहते हैं. राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने यह प्रस्ताव रखा था कि कांग्रेस उन पांच सीटों पर चुनाव लड़े, जहां 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी कमजोर थी. हालांकि, सपा ने उनमें दो सीटों पर उम्मीदवारों का चयन कर लिया है.
कांग्रेस का क्या है स्टैंड?
पार्टी के महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, “हमारे कार्यकर्ता और नेता हरियाणा में हमारे प्रदर्शन से निराश हो सकते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है – जंगल राज का अंत होना चाहिए.” राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा शायद कांग्रेस को मीरापुर और खैर सीटें दे सकती है, जिससे गठबंधन संबंध बरकरार रहे.
अखिलेश गठबंधन बरकरार रखने के मूड में!
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी गठबंधन को मजबूत बनाए रखने की बात पर जोर दिया. अजय राय ने कहा कि दोनों पार्टियों का साझा लक्ष्य बीजेपी के “जंगल राज” को समाप्त करना है और जनता इसका जवाब देगी.
चुनाव की तारीख का ऐलान होना बाकी
आगामी उपचुनावों के लिए अभी तारीखों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इन चर्चाओं और रणनीतियों का उत्तर प्रदेश की राजनीति पर बहुप्रतीक्षित असर होगा. कांग्रेस और सपा के बीच ये बातचीत, 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी एक बड़ी तैयारी करेगी. हालांकि, अगर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में सपा अपनी स्थिति को मजबूत मानती है और ये कांग्रेस के साथ तनाव को बढ़ा सकते हैं.