गौरव अवस्थी
ऐसा बहुत कम होता है कि कोई संस्था अपना उत्सव देश, समाज और मातृभाषा से जुड़े दिवस विशेष पर ही मनाए और अपने इस उत्सव को हिंदी के साधक-आराधक को समर्पित कर दे। 137 वर्ष पुराने कर्नलगंज इंटर कॉलेज प्रयागराज ने हिंदी दिवस पर हाई स्कूल की मान्यता मिलने की 75वीं वर्षगांठ हिंदी दिवस पर मनाई। अपने इस उत्सव को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की स्मृतियों पर केंद्रित करते हुए अपने स्कूल और हिंदी का उत्सव साथ-साथ मनाया।
इसके सूत्रधार बने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर महेश चंद्र चट्टोपाध्याय। वह वह 33 वर्षों से कर्नलगंज इंटर कॉलेज के प्रबंधक भी हैं ।श्री चट्टोपाध्याय के पिता संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। उनके बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथी। सुभाष चंद्र बोस के हाथ की लिखी है चिट्ठी आज भी उनके परिवार की खास धरोहर है। इंडियन प्रेस के संस्थापक और सरस्वती मासिक पत्रिका के प्रकाशक बाबू चिंतामणि घोष के वंशज श्री सुप्रतीक घोष और श्री अरिंदम घोष, सरस्वती के संपादक रहे पंडित देवीदत्त शुक्ल के वंशज श्री व्रतशील शर्मा और ठाकुर श्रीनाथ सिंह के वंशज श्री योगेंद्र सिंह की उपस्थिति आयोजन की सार्थकता में चार चांद लगाने वाली रही।
आज के इस आयोजन में आचार्य जी शिद्दत से याद किए गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र कुमार और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्रोफेसर अवधेश प्रधान के विद्वान वक्तव्य ने हिंदी नवजागरण को याद करते हुए आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया। केंद्रीय हिंदी संस्थान के हिंदी के प्रोफेसर रहे प्रोफेसर देवेंद्र शुक्ल और कवयित्री एवं समीक्षक श्रीमती आरती स्मित और श्रीमती सरोज सिंह ने भी उन परतों पर जमी धूल उठाई जिनको पढ़ और सुनकर केवल हिंदी समाज ही नहीं हर भारतीय भाषा भाषी गर्व की अनुभूति करता है। चलने को प्रेरित होता है। नया इतिहास गढ़ने का संकल्प लेता है।
आयोजन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी शांतनु मुखर्जी ने अपनी नौकरी से जुड़े किस्से के उसे हिस्से को सुनाकर हिंदी की महत्ता को रेखांकित किया जिसने उनका भारतीय पुलिस सेवा में जाने का रास्ता साफ किया। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू के दौरान बांग्ला भाषा होने की वजह से उनसे टैगोर की गीतावली के संबंध में पूछा गया। वह कुछ नहीं बता पाए लेकिन असफल होने की उसे घड़ी में हिंदी ने उन्हें सहारा भी दिया और ताकत भी। हिंदी दिवस पर ऐसे विद्वानों को सुनना और उनके साथ मंच साझा करना हम जैसे अकिंचनों का गौरव बढ़ाने वाला ही रहा।
आचार्य द्विवेदी की परंपरा का आंशिक पालन…
जानने वाले जानते हैं कि 1933 में इलाहाबाद में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सम्मान में एक बड़ा उत्सव मनाया गया था। इस उत्सव के मौके पर आचार्य द्विवेदी ने आयो जीत संस्था और उसके पदाधिकारी से ‘मातृभाषा की महत्ता’ विषय पर एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित करने का अनुरोध किया था। अनुरोध को स्वीकार करते हुए इसी विषय पर कराई गई निबंध प्रतियोगिता में तब सैयद अमीर अली मीर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। आचार्य द्विवेदी ने निबंध प्रतियोगिता के इन विजेता महोदय को अपने पास से ₹100 की धनराशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की थी। इस धनु राशि को अगर आज से जोड़ तो यह करीब 75 हजार रुपए के आसपास जरूर जाएगी। आचार्य द्विवेदी का मातृभाषा के प्रेम का यह एक उदाहरण भर है।
कर्नलगंज इंटर कॉलेज की प्रबंध समिति ने हिंदी दिवस पर अपने स्कूल को की मान्यता मिलने की हीरक जयंती पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति व्याख्यान की रूपरेखा तैयार की थी। स्कूल के प्रबंधक प्रोफेसर महेश चंद्र चट्टोपाध्याय जी से आचार्य द्विवेदी की तरह का ही कुछ निवेदन हमने भी किया। अनुरोध स्वीकार करते हुए श्री चट्टोपाध्याय जी ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के जीवन वृत्त पर निबंध प्रतियोगिता 9 सितंबर को संपन्न कराई। इसमें प्रयागराज शहर के 22 स्कूलों के 107 छात्र-छात्राओं ने जूनियर और सीनियर वर्ग में प्रतिभाग किया।
जूनियर वर्ग में प्रथम आशीष कुमार (ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज प्रयागराज), सृष्टि सिंह ( क्रॉस्थवेट गर्ल्स इंटर) द्वितीय, नितिन मिश्रा एवं अनुराग मिश्रा (ज्वाला देवी विद्या मंदिर इंटर कॉलेज) संयुक्त रूप से तृतीय रहे और अनुराग मौर्य (कर्नलगंज इंटर कॉलेज) सांत्वना पुरस्कार के हकदार बने। सीनियर वर्ग में कुमारी शिवानी पटेल (जगत तारन इंटर कॉलेज) प्रथम, अनिरुद्ध वाजपेई (ज्वाला देवी विद्या मंदिर इंटर कॉलेज) द्वितीय, मान्या कुशवाहा (महिला सेवा सदन इंटर कॉलेज) तृतीय और सर्वेश यादव (कर्नलगंज इंटर कॉलेज) सांत्वना पुरस्कार विजेता बने।
आचार्य द्विवेदी की परंपरा का आंशिक पालन करते हुए जूनियर एवं सीनियर वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले आशीष कुमार एवं शिवानी पटेल को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास की ओर से 21-2100 रुपए के नकद पुरस्कार के साथ ही लेखक विनोद तिवारी के संपादन में लोग भारतीय प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित एवं इंडियन प्रेस प्रयागराज से मुद्रित ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के श्रेष्ठ निबंध’ नामक पुस्तक और ‘आचार्य पथ’ देकर सम्मानित किया गया।