अक्सर रात में वीडियो कॉल करते हैं शातिरकॉल रिसीव करने के बाद शुरू होता है खेल अश्लील वीडियो बनाकर करते हैं ब्लैकमेलिंग
इन दिनों सोशल मीडिया अनजान लोगों से पहले दोस्ती और फिर ब्लैकमेलिंग करने का सबसे बड़ा हथियार बन रहा है. अनजान नंबरों से लोगों के पास वीडियो कॉल आ रही है. अगर किसी ने धोखे से वीडियो कॉल उठा ली तो समझ लीजिए वो शख्स ब्लैकमेलिंग का शिकार होने जा रहा है. फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनजान लड़के या लड़की से की गई दोस्ती हनी ट्रैप हो सकती है.
एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले 28 साल के इंजीनियर अंकित ऐसे ही हनी ट्रैप का शिकार बन गए. दरअसल, बीते सप्ताह अचानक रात के 11 बजे अनजान नंबर से अंकित के मोबाइल पर वीडियो कॉल आई. अंकित ने वीडियो कॉल को जैसे ही अटेंड किया, दूसरी तरफ एक लड़की की अश्लील तस्वीर सामने आ गई. अचानक अनजान नंबर से आई वीडियो कॉल और फिर उस वीडियो कॉल पर कपड़े उतारती लड़की को देख अंकित कुछ भी समझ नहीं पाया.
थोड़ी ही देर में उसने वीडियो कॉल बंद कर दी. अगले दिन उसके मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आया. मैसेज देखकर अंकित के होश उड़ गए. मैसेज में उससे गूगल पे पर पैसों की मांग की गई. पैसा नहीं देने पर उसकी अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी जाने लगी. अंकित को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से यह सब कैसे हो गया और अब आगे कानून की मदद ले भी तो कैसे?
क्योंकि एक तरफ अश्लील फोटो वीडियो वायरल होने का डर था तो दूसरी तरफ सोशल साइट पर अश्लीलता देखने से समाज में इज्जत खोने का डर. यह मामला केवल अंकित का नहीं है. उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर यूनिट को ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही हैं. बीते कुछ महीनों से इनमें इजाफा भी हुआ है.
एसएसपी (साइबर क्राइम) त्रिवेणी सिंह कहते हैं कि यह सब डीप फेक (deep fake) टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हो रहा है. यह सब पूरा गैंग राजस्थान के भरतपुर, यूपी के मथुरा और हरियाणा के मेवात इलाके में ज्यादा सक्रिय है, जहां पर लड़के लड़कियां यही ब्लैकमेलिंग का काम कर रहे हैं. कई बार तो ऐसी शिकायतें भी आई की वीडियो कॉल अटेंड करने वाले ने कुछ किया ही नहीं लेकिन जलसाजो ने सिंथेटिक वीडियो या इमेज से उसका भी अश्लील वीडियो और फोटो बना लिया.
त्रिवेणी सिंह के मुताबिक ऐसे में पुलिस से शिकायत पर बदनामी और कानूनी झमेले में फसने का डर भी पीड़ित को सताता है. यही वजह है लोग पुलिस से मदद मांगने तो आते हैं, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने से कतराते हैं. पुलिस कहती है कि ऐसे साइबर अपराधी कुछ भी वायरल नहीं करते, क्योंकि अगर वायरल करेंगे तो उनके पकड़े जाने का ज्यादा खतरा होता है. वे सिर्फ धमकी देते हैं. वायरल करने की धमकी में लोग लाखों रुपया दे रहे हैं.
एसएसपी (साइबर क्राइम) कहते हैं कि ऐसे में ना तो अनजान नंबर से आई वीडियो कॉल उठाई जाए और सोशल मीडिया पर अपनी फ्रेंड लिस्ट को भी चेक कर संदिग्ध लोगों को अनफ्रेंड किया जाना ही सबसे कारगर है. ऐसे अपराधियों पर यूपी पुलिस के साथ दिल्ली और हरियाणा पुलिस भी करवाई कर रही है.