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Home धर्म दर्शन

एक व्यंग्य… देवलोक की बैठक

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
20/05/20
in धर्म दर्शन, साहित्य
एक व्यंग्य… देवलोक की बैठक
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सीमा "मधुरिमा" “मधुरिमा”
लखनऊ


देवलोक में खलबली मची हुई थी… भगवान विष्णु बड़े परेशान सा चहलकदमी करते हुए भगवान शंकर के पास पहुँचे और बड़े ही गंभीर मुद्रा में बोले …जय श्री राम …भगवान शंकर जी बड़े प्रसन्न हुए बोले ..”, आओ भगवन, हम आपके ही बारे में सोच रहे थे l

भगवान विष्णु बोले, लीजिये आपने याद किया और हम उपस्थित हो गए… कहिये क्यों याद किया l
भगवान शंकर बोले, “क्या बताए…. मन बहुत दुखी हो गया है… 50 दिन से ज्यादा हो गए पृथ्वी लोक में हमारे सबसे प्रिय देश में तालाबंदी हो रखी है ….सच तो ये है भगवन ….हमने कभी नहीं चाहा की जनता अपना कर्म छोड़ हम लोगों की ही पूजा आराधना में लगी रहे … पर जनता तो जनता है ….वो करती भी तो अपने मन का ही है ….अब तो जनता बिना हमारा भी मन नहीं लग रहा … कितने दिन हो गए हमारे पूजा स्थलों में वीरानियाँ छायी हैँ ….ऐसे ही चलता रहा तो हमको लोग भूल ही जाएंगे ,”

भगवान विष्णु , ” भगवन , बोल तो आप उचित ही रहे हैं… अब जनता ने अपनी मुसीबत खुद ही ख़डी की है … ये जिस बीमारी से लड़ रहे इस समय ..ये हमारी देन तो है नहीं …अब ज़ब तक जनता सात्विक तरीके से रहना नहीं सीख जाती तब तक ऐसी मुसीबत का सामना तो उसे करना ही पड़ेगा … हालाँकि बोल आप सही रहे हैँ अब तो मेरा मन भी नहीं लग रहा …हालाँकि लोग अपने अपने घरों में तो हमारे नाम की अलख जगाये हुए हैँ .. पर मंदिरों की बात ही और थी ….मंदिरों में ज़ब भोग लगते थे …तो बाहर बैठे हजारों कर्म के मारे लोगों को भोजन मिल जाता था … अब सब बंद हैँ … और हाँ सबसे बड़ी बात ये थी कि कईं लोग अपने अपने दुखों को हमारे पास कहकर आंतरिक शांति को अनुभव करते थे …अब वो लोग दिन पर दिन अवसाद ग्रसित होते जा रहे हैं …..हमारे कई भक्तों का तो बिजिनेस ही था मंदिर के बाहर की चप्पल चुराकर बेच लेते थे वो भी आजकल बिलकुल खाली बैठे हैँ …और भगवन जो फुल मला बेचते थे ….प्रसाद बेचते थे …वो अलग बात हैँ की मिलावट तो वो भी करते ही थे …पर उनका घर भर का पेट पल जाता था ….सभी अपने अपने घरों में बैठे मक्खी मार रहे हैँ ,”

भगवान शंकर ,” मक्खी मार रहे हैँ ……क्या मक्खी की जनसंख्या में वृद्धि हो गयी हैँ ???,”
भगवान विष्णु , ” अरे भगवन …आप तो सच में बहुत भोले हैँ ….मक्खी मार रहे तो प्रतिक स्वरुप बोल रहे ….मतलब ये था की सभी खाली बैठे हैं, ”
भगवान शंकर ,” ओह्ह्ह्हह ..अच्छा ये बताओ भगवन …अपने पड़ोसी अल्लाह मियां से बात किया जाए और पुछा जाए उनके दिन कैसे कट रहे …. और गुरुनानक देव के क्या हाल हैँ और प्रिय jisus christ के क्या हाल हैँ …पृथ्वी लोक में तो हर तरफ कोहराम मचा हुआ हैँ ….इन लोगों से भी पुछा जाए ये लोग क्या कर रहे l

भगवान विष्णु , ” भगवन आप भी बहुत भोले हैँ ….कलियुग हैं थोड़ा समझदारी से काम लीजिये ….आपने सतयुग में भी अपने भोलेनाथ ही छवि के कारण बहुत नुकसान पहुंचाया हैं…. मुझे क्षमा करिये लेकिन मैं सच्ची बात बोलने में डरूंगा नहीं … . .आपको पता हैँ न की आपका पड़ोसी अल्लाह मियां से आप बात करेंगे तो पृथ्वी लोक तक बात जरूर पहुँच जायेगी ….इसलिए आप अपने काम से मतलब रखिये ….ज़ब सामने से वो लोग आएं चाहे वो कोई भी हो अल्लाह मियां हों , गुरु नानक जी हों , jisus christ हों .. या फिर बुद्ध या महावीर ….या अनेकों दूसरे पड़ोसी ….आप तभी उनसे कोई बात आगे करियेगा ….अभी बिलकुल भोलेनाथ बनकर अपने कैलाश में धूनी रमा लीजिये और केवल ये संकल्प कीजिये की मानव जल्द से जल्द अपने बिछाए इस कोरोना रूपी जाल से बाहर आ जाए …..ताकि सबकुछ पहले सा सुगम और सुंदर हो जाए l

भगवान शंकर , ” विष्णु जी आप उचित ही कर रहे हो ….मैं भी कितना अधीर हो उठता हूँ , ”
चलो हम दोनों ही सृष्टि के भले के लिए भजते हैं l
और ऐसे में मेरे कानों में एक मधुर सी भजन की आवाज सुनाई दी जो मेरे घर के मंदिर से आ रही थी जो मेरे पतिदेव और छोटे साहबजादे जी गा रहे थे l

 

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