नई दिल्ली: कोयला आयात के मामले में गौतम अडानी समूह को एक बार फिर जांच का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए जांच एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट से उन्हें सिंगापुर से सबूत इकट्ठा करने की अनुमति देने की अपील की है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट की मानें तो राजस्व खुफिया एजेंसी ने भारत के सुप्रीम कोर्ट से पिछले निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए कहा है, जिसने जांच करने वाले अधिकारियों को सिंगापुर से सबूत इकट्ठा करने से रोकने की अनुमति दी गई थी। आपको बता दें कि अडानी समूह पर कोयला आयात की कीमत को बढ़ा-चढ़ा के दिखाने और कोयले से जनरेट होने वाली बिजली ग्राहकों तक अधिक कीमत पर पहुंचाने के आरोप लगे हैं।
साल 2016 से है नजर: दरअसल, साल 2016 से राजस्व खुफिया निदेशालय सिंगापुर के अधिकारियों से अडानी समूह ट्रांजैक्शन से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। एजेंसी को संदेह है कि इंडोनेशियाई आपूर्तिकर्ताओं से आयातित अडानी समूह के कई कोयला शिपमेंट को पहले इसकी सिंगापुर इकाई, अडानी ग्लोबल पीटीई और फिर इसकी भारतीय शाखाओं को कागज पर बढ़ा-चढ़ाकर कीमतों की बिलिंग की गई। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। अडानी समूह का कहना है कि भारतीय अधिकारियों ने पोर्ट से कोयला शिपमेंट जारी करने से पहले बिलिंग का आकलन किया था।
रॉयटर्स को दिए एक बयान में अडानी समूह ने कहा कि उसने 4 साल से अधिक समय पहले मांगे गए विवरण और दस्तावेज जांच अधिकारियों को दिए थे। जांचकर्ताओं द्वारा कोई कमी या आपत्ति नहीं बताई गई थी। वहीं, भारतीय राजस्व एजेंसी ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया है।
सेबी कर रहा जांच: बता दें कि जनवरी महीने में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर टैक्स हेवन और स्टॉक हेरफेर के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। अडानी के इनकार के बावजूद हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से समूह के शेयरों में 150 अरब डॉलर की गिरावट आई। वहीं, इस मामले की सेबी की ओर से जांच भी हो रही है। इस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है।