देश के एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश को सही मायनों में तराशा नहीं गया था। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्यों की परछाई में मध्यप्रदेश खो सा गया था। शिक्षा हो, अधो-संरचना हो, स्वास्थ्य सेवा हो, व्यापार हो, खेती हो या युवा नीतियाँ हों, खराब नीति निर्माण और क्रियान्वयन के कारण मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में पिछड़ गया था। यदि हम विगत 20 वर्ष के पहले देखें, तो मध्यप्रदेश के पास वह सब कुछ था जो आज उसके पास है, कमी थी तो सिर्फ सुशासन और एक मजबूत जनहित नीति के निर्माण तथा क्रियान्वयन के रवैये की।
पिछले चार कार्यकालों के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उन क्षेत्रों में सतत प्रयास किए गए हैं, जिनमें मध्यप्रदेश संघर्ष कर रहा था। लोगों के राज्य के प्रति सोचने और उसे जानने के तरीके को बदल दिया। बीमारू राज्य कहलाने वाला मध्यप्रदेश पहले एक विकासशील राज्य बना और अब पिछले एक दशक में सकल घरेलू उत्पाद में 200त्न की वृद्धि होने के साथ सबसे विकसित राज्यों को पीछे छोड़ते हुए देश में निवेश करने के लिए सबसे आकर्षक जगह बन गया है। राज्य सरकार ने एक मजबूत अधो-संरचना, अनुकूल नीतिगत वातावरण और औद्योगिक विकास केंद्र विकसित किए हैं, जिससे औद्योगीकरण के विकास में तेजी आई है।
वर्तमान सरकार ने न केवल राज्य में जनता की भागीदारी के माध्यम से विकास का एक मॉडल तैयार किया बल्कि उसे सफलता से लागू भी किया। अब सरकार जो भी नीति पेश करती है, वह लोगों पर केन्द्रित रहती है। हाल ही के इतिहास में, मप्र सरकार को कोविड-19 महामारी की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और सरकार ने उस संकट का सामना करने के लिए जो प्रबंध और पहल की, यह अपने लोगों के प्रति उसके परिपेक्ष्य का एक वसीयतनामा था। पूरी तरह ध्यान रखते हुए, अनाथ बच्चों के लिए, सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए, अपने परिवार को खोने वाले फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए और सभी के सब्सिडी वाले इलाज के लिए प्रमुख और सुलक्षित योजनाएँ शुरू की गईं। इसके अलावा, लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत और संबल के शुरुआती वर्षों में, कोविड के बाद गुलाबी अभियान की शुरुआत, राज्य में महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई कुछ उल्लेखनीय पहल रही हैं। लगभग डेढ़ दशक पहले स्थापित, लाड़ली लक्ष्मी योजना ने राज्य में लाखों लड़कियों के उज्जवल भविष्य की नींव रखी है, उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार किया है और उनको परिवर्तन के लिए प्रेरित करना जारी रखा है।
शिक्षा और रोजगार मध्यप्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहे हैं, इसलिए सरकार की प्रगतिशील कार्रवाई स्वास्थ्य सेवा तक ही सीमित नहीं थी। पिछले दो दशकों में, सरकार ने राज्य में साक्षरता दर में सुधार के लिए कई पहल की हैं जो 20 साल पहले की 64 प्रतिशत की तुलना में अब लगभग 85 प्रतिशत पर है। छात्रों को अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी और मुख्यमंत्री जन-कल्याण योजना से इतिहास रच दिया। यह योजनाएँ छात्रों को वित्तीय बोझ से मुक्त कर अपनी पसंद की शिक्षा की दिशा में अगला कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रची गई। सरकार द्वारा पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के विद्यार्थियों छात्रों के लिए विशेष नीतियाँ भी बनायी गईं, जिससे प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिलता है और उसे सीखने और सार्थक जीवन बनाने का समान अवसर मिलता है।
युवाओं के बीच सीखने और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, विशेष रूप से कक्षा 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए, सरकार ने प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना (पीवीपीवाई) की शुरुआत की। इस योजना के तहत, 12वीं कक्षा में अच्छे अंकों के साथ स्नातक स्तर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अपने भविष्य में निवेश करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार से वित्तीय अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे। अपने करियर में आगे बढऩे के लिए अपनी पसंद का लैपटॉप खरीदना हो, चाहे वह तकनीक हो या उसकी पसंद का कोई भी क्षेत्र। इस योजना से योजना के वर्ष 2018 में प्रारंभ होने के बाद से लाखों विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं।
हाल ही में, सरकार ने राज्य में सीएम राइज स्कूलों की नींव भी रखी है जो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक, स्मार्ट क्लास, अच्छे शिक्षण स्टाफ, एक प्रयोगशाला, एक पुस्तकालय और खेल के मैदानों से लैस हैं। ये सरकारी स्कूल विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय और तुलनात्मक शिक्षा देकर मध्यप्रदेश के लोगों की जेब पर निजी स्कूलों की बढ़ती लागत का मुकाबला करेंगे।
राज्य सरकार आने वाली पीढिय़ों के लिए अधो-संरचना विकसित करने के साथ, नए स्नातकों के लिए रोजगार सृजित करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आहवान के तहत राज्य में स्टार्ट-अप संस्कृति को स्थापित और संवर्दि्धत करने में समान रूप से सक्रिय हैं। आईटी पार्क बनाने से लेकर टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों को राज्य में अपने केम्?पस स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने तक, मध्यप्रदेश सरकार ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके अतिरिक्त, कई योजनाओं और सब्सिडी की शुरुआत की गई, ताकि युवाओं को अपना स्टार्टअप स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इससे वह न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों को रोजगार का अवसर देगा। पिछले एक दशक में, मप्र सरकार ने राज्य में स्टार्टअप्स के लिए नीतियाँ बनाने की डोर अपने हाथों में ली थी। मध्यप्रदेश सरकार की नीतियाँ जैसे मप्र स्टार्टअप नीति एवं क्रियान्वयन योजना 2022, म.प्र. इन्क्यूबेशन एवं स्टार्टअप नीति 2019, म.प्र. इन्क्यूबेशन एवं स्टार्टअप नीति 2016, स्टार्टअप की फंडिंग,एमपी आईटी, आईटीईएस, और ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति 2016, ने राज्य में स्टार्टअप्स को पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, साल दर साल, फंड की स्थापना की है। राज्य सरकार बेकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के माध्यम से स्टार्टअप्स को समर्थन दे रही है। सरकार से प्राप्त वित्तीय सहायता से पैदा हुए अनुकूल वातावरण के कारण प्रदेश में 1,500 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत है।
मध्यप्रदेश की आबादी का प्रमुख हिस्सा अभी भी कृषि प्रधान है जबकि राज्य में विकास होने से रोजगार संस्कृति को प्रोत्साहन मिला है। अनुमानित 50 प्रतिशत आबादी अभी तक कृषि पर निर्भर है। गत 10 वर्ष में सरकार ने कई बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने के साथ-साथ 18 प्रतिशत से अधिक की कृषि वृद्धि दर दर्ज की है, जो हरियाणा और पंजाब से कहीं अधिक है। इसके अलावा, सरकार कई कृषि उत्पादों को मिडल ईस्ट, यूऐई और पश्चिमी देशों में निर्यात करने में सक्षम होने के साथ सफल रही है।
मध्यप्रदेश सरकार वास्तव में ‘ऑफ द पीपल, बाय द पीपल एण्ड फॉर द पीपल’ के पथ पर चलती है। यह युवाओं को राज्य को एक सुशासित राज्य बनाने के सामान्य लक्ष्य को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करने के सरकार के कामों से प्रमाणित होता है। योजनाओं और नीतियों को डिजाइन करना आसान हो सकता है लेकिन उन पर कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हर किसी को अपनी सहभागिता देनी चाहिए। पिछले दशकों में, राज्य सरकार ने आम जनता की योजनाओं को सुलभ बनाकर और सीएम हेल्पलाइन, समाधान ऑनलाइन और अन्य आईटी-आधारित अभ्यास के माध्यम से सर्वोत्तम सेवाएँ प्रदान करके लोगों को सफलतापूर्वक अपने से जोड़ा है।
अभी भी मध्यप्रदेश रूपी हीरा पूरी तरह नहीं तराशा नहीं गया फिर भी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले शासन ने दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करने वाले राज्य को आकार देना शुरू कर दिया है। आज बेहतर सडक़ें बन रही हैं, मध्यप्रदेश के शहर वैश्विक सूची में सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार हो रहे हैं और बिजली उत्पादन 5 हजार मेगावाट से बढक़र 21 हजार मेगावाट हो गया है, ताकि राज्य में किसी के भी सपने की बत्ती गुल न हो जाए।