उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में यमुनोत्री हाईवे पर बन रही टनल पर फंसे लोगों को तीन दिन बाद भी रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। रविवार सुबह 5 बजे से मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए प्रशासन की कोशिशें नाकाम साबित हो रहीं हैं। तीन दिन बाद आखिरकार मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथियों ने टनल के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। आक्रोशित मजदूरों की भीड़ ने पुलिस के बैरिकेडिंग को भी गिरा डाला। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए मजदूरों को किसी तरह से शांत किया।
एयरफोर्स का विमान ड्रिलिंग मशीन लेकर पहुंचा उत्तरकाशी
उत्तरकाशी में टनल के अंदर फंसे लोगों की जान बचाने को राहत व बचाव कार्य जारी है। वायु सेना का विमान नई ड्रिलिंग मशीन लेकर चिन्यालीसौड़ उतर गया है। वायुसेना का मालवाहक विमान बुधवार दोपहर को चिन्यालीसौड़ पर लैंड किया गया है। ड्रिलिंग मशीन बुधवार शाम तक टनल तक पहुंच जाएगी। रात तक काम शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
सुरंग में फंसे मजदूरों को होने लगी मुश्किलें
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों में से कुछ की तबीयत खराब होने की सूचना आ रही है। मंगलवार सुबह पाइप के जरिए हुई बातचीत के दौरान भीतर से मजदूरों ने यह जानकारी दी। उनका कहना था कि कुछ लोगों को उल्टी की शिकायत है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि भी की।
डॉक्टर ने दी सलाह : 40 मजदूर रविवार सुबह पांच बजे से सुरंग में फंसे हैं। मंगलवार को उन्हें टनल में फंसे तीसरा दिन हो चुका है। यदि उनकी रात्रिकालीन शिफ्ट की अवधि को भी शामिल कर लिया जाए तो मंगलवार शाम पांच बजे तक उन्हें टनल के भीतर 60 घंटे से ज्यादा का वक्त हो गया है।
ऐसे में भीतर बंद होने से उनमें घबराहट होना लाजिमी है। मौके पर मौजूद वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.प्रेम सिंह पोखरियाल ने बताया कि दो-तीन मजदूरों के बीमार होने की जानकारी मिली है। उनके लिए दवाएं भेजी हैं। संभवत: भीतर बंद होने के चलते उन्हें कुछ घबराहट या बेचैनी हो रहा है। दवाओं से उनका स्वास्थ्य तेजी से सुधर जाएगा। डॉ. पोखरियाल ने मजदूरों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दीं। फंसे रहने की अवधि में अपनाए जाने वाली एहतियात भी बताईं।
कंप्रेशर से भेजे मखाने और चने : सुरंग में लोहे का एक पाइप टनल में फंसे मजदूरों के लिए लाइफ लाइन बना है। यह एकमात्र माध्यम है जिसके जरिए वो टनल के बाहर रेस्क्यू टीम व परिजनों से बात कर पा रहे हैं। उन्हें ऑक्सीजन के साथ खाद्य सामग्री भी इसी से भेजी जा रही है। फंसे लोगों को चने, मखाने और किशमिश आदि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कंप्रेशर के जरिए धकेलकर पहुंचाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ मजदूर कपड़े के जरिए खाद्य सामग्री को एकत्र कर ले रहे हैं।
जिंदगी बचाने की जद्दोजहद
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 40 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। सुरंग के मुहाने से 205 मीटर दूरी पर मलबा आया है। रविवार सुबह से राहत और बचाव अभियान जारी है। रेस्क्यू टीम द्वारा कोशिश करने के बाद भी मजदूरों को टनल से सकुशल बाहर नहीं निकाला जा सका है।
बचाव के हैं दो प्लान
प्लान 1: सिलक्यारा की तरफ से मलबा रास्ता बनाने का प्रयास हो रहा है।
प्लान 2:दूसरी योजना में 900 मिलीमीटर व्यास के खोखले पाइपों को ऑगर मशीन की मदद से ड्रिल करते हुए अंदर धकेला जाएगा, जिससे फंसे हुए कर्मचारी बाहर निकल सकें।
बचाव को बना अब यह नया प्लान
रेस्क्यू टीम द्वारा टनल में फंसे 40 लोगों को बाहर निकालने के लिए कोशिशें बेकार साबित हुईं हैं। मशीनों के फेल होने के बाद अब रेस्क्यू टीम ने दूसरा प्लान बनाया है। सूत्रों की बात मानें तो नई दिल्ली की एयर फोर्स की मदद ली जाएगी। वायु सेना की मदद से नई दिल्ली से माइक्रो ड्रिलिंग मशीन मंगवाई जा रही है। इस अत्याधुनिक मशीन की मदद से टनल के अंदर खुदाई कर फंसे लोगों को बाहर निकालने का प्लान बना है।