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Home राज्य

अखिलेश के स्टैंड के बाद BSP का अब साथ आना मुश्किल!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
20/12/23
in राज्य, समाचार
अखिलेश के स्टैंड के बाद BSP का अब साथ आना मुश्किल!

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नई दिल्ली: बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए 28 विपक्षी दल एकजुट हैं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता बसपा प्रमुख मायावती को INDIA गठबंधन का हिस्सा बनाने की पैरवी कर रहे थे. यूपी कांग्रेस नेताओं ने मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मौजूदगी में भी बसपा से गठबंधन किए जाने की वकालत की. कांग्रेस का बसपा के प्रति झुकाव को देखते हुए सपा ने मंगलवार को ‘INDIA’गठबंधन की बैठक में कांग्रेस से इस स्टैंड क्लियर को करने की बात उठाई. सपा ने साफ शब्दों में कह दिया है कि बसपा ‘INDIA’ गठबंधन का अगर हिस्सा बनती है तो फिर सपा खुद को विपक्षी गठबंधन से अलग कर लेगी.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने INDIA गठबंधन की दिल्ली हुई बैठक में शिरकत की. बैठक के बाद अखिलेश बाहर निकले तो पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा कि क्या बसपा को भी गठबंधन में शामिल किया जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को बैठक में जो पक्ष रखना था वो अंदर गठबंधन की सभी पार्टियों के बीच रखा गया है. दरअसल, सपा की तरफ से INDIA गठबंधन की बैठक में रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बीएसपी से बातचीत कर रही है. कांग्रेस को ये साफ कर देना चाहिए कि क्या ऐसी बात है? सपा ने कहा कि बीएसपी भरोसेमंद सहयोगी नहीं है और हम उसके साथ नहीं जा सकते हैं. बसपा गठबंधन का हिस्सा बनती है तो फिर सपा अपने को अलग कर लेगी.

‘ BSP से गठबंधन का कोई इरादा नहीं’
वहीं, सपा द्वारा उठाए गए सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ किया कि अखबार की खबरें हैं. कांग्रेस से बसपा की कोई बात नहीं हो रही. हमारा उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन का कोई इरादा नहीं है. कांग्रेस पार्टी यूपी में अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही चुनाव में जाएगी. खरगे ने इतना तक कह दिया है कि यूपी में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी अखिलेश यादव तय करेंगे. सपा की गठबंधन को लेकर लक्ष्मण रेखा खींचने और कांग्रेस के द्वारा यूपी में गठबंधन का स्टैंड क्लियर करने के बाद बसपा के गठबंधन में एंट्री के दरवाजे लगभग बंद हो चुके हैं. ऐसे में बसपा अगर अकेले चुनावी मैदान में उतरती है तो फिर यूपी में त्रिकोणीय लड़ाई होगी. ऐसे में विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए यूपी में बीजेपी को हराना आसान नहीं होगा?

मायावती 2024 में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
दरअसल, मायावती 2024 में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बसपा न ही एनडीए का हिस्सा है और न ही विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ है. कांग्रेस में एक धड़े की कोशिश है कि यूपी में बसपा अगर गठबंधन का हिस्सा बन जाए तो बीजेपी को हराना आसान होगा, लेकिन सपा इस पर तैयार नहीं है. सपा के स्टैंड के बाद अब मायावती को गठबंधन में लेने की कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. इसके साथ ही सपा और बसपा के बीच भी सियासी दुश्मनी की खाई और भी गहरी हो सकती है.

बसपा के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अकेले पूरे दमखम के साथ लड़ने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बसपा जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर चुकी है. कांग्रेस और सपा मिलकर कभी भी बीजेपी को नहीं हरा सकती है. अखिलेश यादव के गठबंधन में रहने के चलते न ही दलित और न ही अतिपछड़ा उनके साथ जाएगा.

बसपा 2019 में सपा के साथ गठबंधन करके देख चुकी है कि यादव वोट ट्रांसफर नहीं हो रहा है. इसीलिए 2019 में जिन सीटों पर विपक्ष को जीत मिली थी, वो सीटें दलित और मुस्लिम समाज के बहुल वाली थी. यादव बेल्ट में सिर्फ मैनपुरी सीट छोड़कर एक भी सीट सपा नहीं जीत सकी थी. बदायूं, इटावा, कन्नौज और फिरोजाबाद जैसी यादव सीटें सपा नहीं जीत सकी. सपा जिन पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी, उसमें दलित और मुस्लिम वोटर निर्णायक थे.

बसपा के अलग लड़ने का क्या होगा असर

बसपा अगर गठबंधन का हिस्सा नहीं होती है तो फिर अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी. बसपा के अकेले चुनाव लड़ने का खामियाजा 2022 के चुनाव में सपा को उठाना पड़ा था. इसकी वजह यह है कि बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से विपक्षी वोट का बिखराव हो सकता है. यूपी में बसपा के पास अभी भी 13 फीसदी वोट है, जिसमें दलित वोटों का बड़ा हिस्सा है. खासकर जाटव समुदाय का है. बसपा कई सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारेगी तो उसके चलते मुस्लिम वोटों का बिखराव होगा और साथ ही जिन सीटों पर विपक्षी गठबंधन मजबूत नजर आएगा, उन सीटों पर दलितों का झुकाव बीजेपी की तरफ हो सकता है.

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह पैटर्न दिख चुका है, जिसके चलते बहुत अच्छा माहौल होने के बाद भी सपा चुनाव नहीं जीत सकी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा भले ही एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, लेकिन सूबे में विपक्ष का खेल पूरी तरह से बिगाड़ दिया था. इस बार भी स्थिति 2014 जैसी ही बन रही है. ऐसे में बसपा अकेले चुनाव लड़कर विपक्ष का खेल यूपी में बिगाड़ सकती है?

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