नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मतों की गिनती होने वाली है. तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. कुछ लोकसभा क्षेत्रों में 15 राउंड में काउंटिंग होगी, तो कुछ में 22 से 24 राउंड तक मत गिने जाएंगे. लेकिन कभी आपने सोचा कि मतगणना में ‘राउंड’ होता क्या है? कैसे तय होता है कि एक राउंड पूरा हो गया? एक राउंड में आखिर कितने मत होते हैं? आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाले हैं.
पहले जानिए कि वोटों की गिनती कौन करता है? चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, हर निर्वाचन क्षेत्र में एक रिटर्निंग ऑफिसर (RO) होता है. यही तय करता है कि मतगणना कहां की जाएगी. आरओ की सीधी निगरानी में मतों की गिनती की जाती है. हर लोकसभा क्षेत्र में कई विधानसभाएं होती हैं. इसलिए आरओ की मदद के लिए एआरओ की तैनाती की जाती है. हालांकि, एक लोकसभा क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों की गिनती एक ही हॉल में की जाती है.
कैसे शुरू होती मतगणना
मतदान के बाद ईवीएम आरओ मुख्यालयों पर बने स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती है. मतगणना के दिन उसे निकाला जाता है. फिर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इन ईवीएम को उम्मीदवारों या उनके एजेंट की मौजूदगी में खोला जाता है. इसके बाद काउंटिंग सुपरवाइजर्स मतों की गिनती करते हैं. इन सुपरवाइजर्स को मतगणना कर्मचारी कहते हैं. पहले पोस्टल बैलेट गिने जाते हैं. करीब 30 मिनट के बाद ईवीएम से गिनती होती है.
ऐसे तय होता है राउंड
prsindia की रिपोर्ट के मुताबिक, हर राउंड में 14 ईवीएम में पड़े मतों की गिनती की जाती है. जब 14 ईवीएम में डाले गए मतों की गिनती पूरी हो जाती है तो एक राउंड या एक चक्र पूरा माना जाता है. हर चक्र की गिनती के साथ, रिटर्निंग ऑफिसर वोटों के बारे में बताता है. किस प्रत्याशी को कितने मत मिले, यह वहीं से तय होता है. यहीं से पता चलता है कि कौन आगे चल रहा है या फिर कौन पीछे चल रहा है. जब सभी मतों की गिनती हो जाती है, तो आरओ विजेता की घोषणा करता है. विजेता को जीत का सर्टिफिकेट दिया जाता है.