टोरंटो l कनाडाई सरकार हिंदू प्रतीक स्वास्तिक पर बैन लगाने की तैयारी में है। हालांकि अभ सरकार ने इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया लेकिन उससे पहले कनाडा को कई तरह के विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल इस मसले पर विवाद तब शुरू हुआ जब स्वास्तिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए कनाडा की संसद में एक विधेयक लाया। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी या एनडीपी के नेता जगमीत सिंह के समर्थन वाले निजी सदस्यों के बिल ने भारत-कनाडाई समुदाय को उग्र बना दिया है।
तो क्या हिंदू स्वास्तिक और नाजी स्वास्तिक को लेकर कन्फ्यूज है कनाडा?
अमेरिका स्थित एक प्रमुख हिंदू संगठन ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और बिल के समर्थन वाले भारतीय मूल के नेता जगमीत सिंह से आग्रह किया है कि वे हिंदुओं के लिए एक प्राचीन और शुभ प्रतीक ‘स्वास्तिक’ को ‘हकेनक्रेज’ के साथ न मिलाएं। ‘हकेनक्रेज’ एक स्वास्तिक जैसा दिखने वाला प्रतीक है जो 20वीं सदी में नाजियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था।
क्यों अचानक स्वास्तिक पर बैन लगाना चाहता है कनाडा?
ज्ञात हो कि पिछले कुछ समय से कनाडा में सैकड़ों ट्रक ड्राइवर सड़कों पर विरोध कर रहे हैं। कनाडा की राजधानी ओटावा में प्रदर्शनकारियों के ट्रकों ने जाम की स्थिति पैदा कर दी। इस प्रदर्शन में कथित रूप से स्वास्तिक और कॉन्फेडरेट झंडे (गोरे लोगों के वर्चस्व का प्रतीक, विरोध का प्रतीक) लहराए गए। इस घटना के बाद न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने 2 फरवरी को ट्वीट कर लिखा, ‘स्वास्तिक और कॉन्फेडरेट झंडे का कनाडा में कोई स्थान नहीं है। यह कनाडा में नफरत के प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाने का समय है। हमें साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि समाज में नफरत के लिए कोई जगह न हो।’
हिंदू संगठन की नसीहत- स्वास्तिक की तुलना नाजी प्रतीक से न करें
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, हिंदूपैक्ट (हिंदू पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी कलेक्टिव) ने ट्रूडो और सिंह से आग्रह किया है कि वे हिंदुओं, बौद्धों, सिखों और दुनिया भर के कई स्वदेशी समुदायों के लिए एक प्राचीन और शुभ प्रतीक “स्वस्तिक” को “हकेनक्रेज” के साथ न मिलाएं। हिंदूपैक्ट के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा, “हमारा मानना है कि इस गलत बयानी से हिंदुओं और सिखों के खिलाफ घृणा अपराध होंगे। पिछले महीने अकेले कनाडा में छह हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई और लूटपाट की गई।”
भारत सरकार ने लिया संज्ञान
टोरंटो स्थित अधिकार अधिवक्ता रागिनी शर्मा को जवाब देते हुए भारत के महावाणिज्यदूत अपूर्व श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर औपचारिक रूप से कनाडा सरकार से बात की है। इस संबंध में कनाडाई समूहों से प्राप्त याचिकाओं को उनके साथ साझा किया है। वहीं लिबरल पार्टी के सांसद चंद्र आर्य इस मामले को हाउस ऑफ कॉमन्स में उठा सकते हैं।
खबर इनपुट एजेंसी से