नई दिल्ली : आर्थिक मोर्चे पर दुनिया की चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले कोरोना महामारी ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए मुश्किल हालात पैदा किया. अब दुनिया महंगाई की मार से परेशान है और वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा सिर पर है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालिना जियॉर्जिएवा ने महंगाई को लेकर एक ऐसी चेतावनी दी है, जो दुनिया भर के नीति-नियंताओं के लिए चिंता बढ़ाने वाली है. उन्होंने साफ कहा कि अगला साल यानी 2023 भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं होने वाला है और अभी दशकों के उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई के कारण दुनिया भर में करोड़ों लोग गरीबी के शिकंजे में फंसने वाले हैं.
और मुश्किलें लेकर आएगा साल 2023
आईएमएफ की मैनेजिंग डाइरेक्टर (IMF MD) ने एक ब्लॉग पोस्ट ‘Facing a Darkening Economic Outlook: How the G20 Can Respond’ में ये चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि यह साल ही कम चुनौतियों वाला नहीं है, लेकिन अगले साल चुनौतियां और गंभीर हो जाएंगी. जियॉर्जिएवा ने पोस्ट में कहा कि दुनिया को हाल-फिलहाल महंगाई की उच्च दर से राहत मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है. दुनिया पहले से कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है. इस बीच महंगाई की मार ने मंदी का जोखिम बढ़ा दिया है.
महंगाई की मार से फिलहाल नहीं मिलेगी राहत
उन्होंने कहा कि चिंता की सबसे बड़ी बात दुनिया भर में महंगाई की उच्च दर है. पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में जारी लड़ाई ने इसे और बढ़ाया है. इससे पहले आईएमएफ ने अप्रैल 2022 में जारी इकोनॉमिक आउटलुक (IMF Economic Outlook) में कहा था कि पहले से उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई लंबे समय तक परेशान करने वाली है. आईएमएफ के अनुमान के अनुसार, साल 2022 के दौरान विकसित अर्थव्यवस्थाओं (Advanced Economies) में महंगाई की दर 5.7 फीसदी रह सकती है, जबकि विकासशील देशों (Emerging Economies) में यह दर बढ़कर 8.7 फीसदी पर पहुंच जाने के अनुमान हैं.
ऐसा है अभी देश-दुनिया में महंगाई का हाल
आपको बता दें कि अभी भारत और अमेरिका समेत दुनिया के लगभग सारे देश रिकॉर्ड महंगाई से जूझ रहे हैं. भारत में महंगाई की दर में नरमी आने लगी है, लेकिन यह अभी भी कई सालों के उच्च स्तर पर बनी हुई है. जून महीने में थोक महंगाई (Wholesale Inflation June 2022) की दर 15.18 फीसदी रही. यह मई के 15.88 फीसदी की तुलना में कम है. साल भर पहले की तुलना में देखें तो महंगाई अभी भी ठीक-ठाक ऊपर है. जून 2021 में थोक महंगाई की दर 12.07 फीसदी रही थी. यह लगातार तीसरा ऐसा महीना है, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार रही है.
अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी. इसके बाद मई में थोक महंगाई ने नया रिकॉर्ड बना दिया था. हालांकि जून में आंकड़ों में कुछ नरमी आने से राहत के संकेत दिख रहे हैं. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली है. वहीं खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation June 2022) जून महीने में 7.01 प्रतिशत रही, जो मई महीने से 0.3 फीसदी कम है. मई में खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी रही थी. हालांकि खुदरा महंगाई लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय लक्ष्य की सीमा से ऊपर है. अप्रैल के महीने में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका (US Inflation) की बात करें तो वहां जून महीने में महंगाई की दर बढ़कर 9.1 फीसदी पर पहुंच गई, जो पिछले 41 सालों में सबसे ज्यादा है.
परेशान कर रहे हैं चीन के आर्थिक हालात
जियॉर्जिएवा ने कहा कि महंगाई की ये उच्च दर कोविड महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में हुई रिकवरी को मटियामेट कर सकती है. उन्होंने दुनिया के सभी देशों से महंगाई को काबू करने के हरसंभव कदम उठाने की अपील की. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक्स ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं और महंगाई को काबू करने में यह उपयोगी साबित हो सकता है. उन्होंने पोस्ट में लिखा कि पिछले एक साल में यानी जुलाई 2021 से लेकर अब तक दुनिया भर के 75 सेंट्रल बैंक ब्याज दर को औसतन 3.8 गुना बढ़ा चुके हैं. आईएमएफ चीफ ने चीन को लेकर कहा कि वहां की अर्थव्यवस्था की स्थिति परेशान करने वाली है. चीन में अर्थव्यवस्था (Chinese Economic Slowdown) की रफ्तार सुस्त पड़ने से हालात मौजूदा अनुमान से भी बदतर हो सकते हैं.