नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध में क्या यूक्रेन का पलड़ा भारी हो रहा है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि फरवरी 2022 से शुरू हुई इस जंग में यह पहली दफा है जब यूक्रेनी सेना डिफेंसिव न होकर अटैकिंग मोड पर आगे बढ़ रही है. ढाई साल पहले जब इस युद्ध की शुरुआत हुई थी तो माना जा रहा था कि पुतिन की ताकतवर सेना के आगे यूक्रेन शायद जल्द ही घुटने टेक दे, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति और अमेरिका समेत NATO देशों से मिले सहयोग ने यूक्रेन को जंग के मैदान में कमज़ोर साबित नहीं होने दिया.
हाल के दिनों में यूक्रेन ने अब रूस के खिलाफ हमले तेज़ कर दिए हैं, 6 अगस्त को यूक्रेनी सेना ने अचानक रूस के कुर्स्क में घुसपैठ कर दी. यूक्रेन के इस कदम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया. यूक्रेनी सेना ने रूस के कम से कम 92 गांवों पर कब्जे का दावा किया है, वहीं राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है.
रूढ़िवादी चर्च को 9 महीने का अल्टीमेटम
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने रूस से संबंध रखने वाले धार्मिक समूहों पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेनी रूढ़िवादी चर्च (UOC)है, जो ऐतिहासिक रूप से रूसी रूढ़िवादी चर्च से जुड़ा हुआ है. इसे मॉस्को पैट्रिआर्केट के तौर पर भी जाना जाता है. जंग के मैदान में रूस को कड़ी चुनौती देने के बाद यूक्रेन धार्मिक संस्थानों से मॉस्को के प्रभाव को खत्म करना चाहता है. लिहाजा नए कानून में UOC और अन्य धार्मिक समूहों को रूस के साथ संबंध खत्म करने या अदालती कार्रवाई का सामना करने के लिए 9 महीने का अल्टीमेटम दिया गया है.
20 अगस्त को यूक्रेन की संसद से इस बिल को पास कराया गया था, इसके पक्ष में करीब 265 वोट पड़े थे वहीं इसके खिलाफ महज 29 वोट डाले गए. राष्ट्रपति जेलेंस्की के हस्ताक्षर के बाद अब यह विधेयक कानून में तब्दील हो चुका है, जिससे उन धार्मिक संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी जो रूस के समर्थक माने जाते हैं. वहीं यूक्रेनी रूढ़िवादी चर्च का दावा है कि उसने साल 2022 में ही रशियन ऑर्थोडोक्स चर्च के साथ अपने जुड़ाव खत्म कर दिए हैं. लेकिन यूक्रेन की स्टेट सर्विस फॉर एथनिक पॉलिसी एंड फ्रीडम ऑफ कॉन्शियस का कहना है कि UOC के रूसी रूढ़िवादी चर्च के साथ संबंध अभी भी बरकरार हैं और चर्च अब भी मॉस्को से प्रभावित है.
यूक्रेन की स्टेस सर्विस का बड़ा एक्शन
यूक्रेन की स्टेट सर्विस (SBU) ने यूक्रेनी रूढ़िवादी चर्च पर रूस के लिए प्रचार करने का आरोप लगाया है. फरवरी 2022 के बाद से स्टेट सर्विस ने यूक्रेनी रूढ़िवादी चर्च के करीब 100 से अधिक पादरियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की है. जानकारी के मुताबिक लगभग 50 पादरियों पर पहले ही आरोप लगाए जा चुके हैं और 26 पादरियों को सज़ा मिल चुकी है.
यूक्रेन का आरोप है कि रूस में धार्मिक केंद्र, न केवल मॉस्को पैट्रिआर्केट, बल्कि मुसलमानों, प्रोटेस्टेंट क्रिश्चंस और बौद्धों के केंद्र भी क्रेमलिन के नियंत्रण में हैं. वे रूस की विचारधारा का प्रसार करते हैं, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को सही ठहराते हैं. लिहाजा धार्मिक स्थलों से रूसी प्रभुत्व को मिटाना यूक्रेन के लिए जंग का एक हिस्सा है.
रूस को झुकाने की कोशिश में यूक्रेन!
अगस्त के शुरुआत में ही रूस के कुर्स्क में घुसपैठ कर यूक्रेन ने दिखा दिया है कि वह अब नई रणनीति पर काम कर रहा है. बीते कुछ समय से यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और उनकी सेना एक अलग तरह के आत्मविश्वास से लबरेज़ नज़र आ रही है. शायद इतने लंबे समय तक युद्धभूमि में टिके रहने के बाद यूक्रेन को महसूस हो रहा है कि यह जंग जीती भले न जा सके लेकिन अपनी शर्तों पर ख़त्म जरूर करवाई जा सकती है. यही वजह है कि कुर्स्क में घुसपैठ के बाद यूक्रेन की ओर से कहा गया था कि रूस को बातचीत की टेबल पर लौटना चाहिए. वहीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन की इस हिमाकत से काफी आक्रोशित हैं, उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इसके लिए यूक्रेन को यही जवाब दिया जाएगा.