नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नई मौद्रिक नीति समिति (MPC) 4-7 फरवरी के बीच बैठक करेगी, जिसकी अध्यक्षता नए गवर्नर संजय मल्होत्रा करेंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती हो सकती है, जिससे यह 6.5% से घटकर 6.25% हो जाएगा. MPC अपनी ब्याज दरों पर फैसला 7 फरवरी को सुनाएगी. हालांकि, मुद्रास्फीति अभी भी आरबीआई के 4% के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, लेकिन आर्थिक सुस्ती और सरकार के लिक्विडिटी (मार्केट में कैश फ्लो) बढ़ाने के उपायों को देखते हुए दरों में कटौती की संभावना मजबूत हो गई है.
पिछले हफ्ते आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में ₹1.5 लाख करोड़ की लिक्विडिटी डालने का ऐलान किया था. इससे पहले दिसंबर में भी केंद्रीय बैंक ने ₹1.16 लाख करोड़ की लिक्विडिटी सिस्टम में डाली थी, जब कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 50 bps की कटौती की गई थी. इसके अलावा, आरबीआई जल्द ही 6 महीने की अवधि के लिए 5 अरब डॉलर की डॉलर-रुपया स्वैप नीलामी करेगा.
ब्याज दर कटौती से क्या होगा असर?
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर फरवरी MPC बैठक में रेपो रेट घटता है, तो इससे डिमांड को मजबूत करने में मदद मिलेगी. खासकर तब, जब सरकार ने ₹12 लाख तक की आय वाले करदाताओं को टैक्स में राहत दी है. ब्याज दर कम होने से लोन सस्ता होगा, जिससे कंजम्प्शन और निवेश दोनों को बढ़ावा मिलेगा. भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों का सबसे निचला स्तर होगा. इससे पहले दिसंबर में आरबीआई ने भी GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया था. IDFC फर्स्ट बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता के मुताबिक, “जनवरी में सब्जियों की कीमतों में गिरावट से खुदरा महंगाई दर 4.5% तक आ सकती है, जिससे ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ हो सकता है.”
क्या आगे और कटौतियां संभव हैं?
मनीकंट्रोल से बातचीत में कई बाजार विशेषज्ञों ने 2025 में कुल 50-75 bps की दर कटौती की संभावना जताई है. फरवरी के बाद अप्रैल या जुलाई में भी 25-50 bps की कटौती हो सकती है. हालांकि, एक विदेशी बैंक के अर्थशास्त्री का मानना है कि अभी इस पर कोई पक्की राय बनाना जल्दबाजी होगी, क्योंकि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
भारत में आरबीआई ने दिसंबर 2023 तक लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा था. मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच आरबीआई ने ब्याज दरों में 250 bps की बढ़ोतरी की थी. अप्रैल 2023 के बाद से रेपो रेट स्थिर बना हुआ है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा जा सके. अक्टूबर 2023 में आरबीआई की MPC ने अपनी नीति का रुख ‘विदड्रॉल ऑफ अकॉमोडेशन’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया था, जिससे संकेत मिले थे कि केंद्रीय बैंक दरों में बदलाव करने के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन तत्काल कटौती पर अभी तक सहमति नहीं बनी थी. अब सभी की नजरें 7 फरवरी को आने वाले MPC के फैसले पर टिकी हैं. अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो इससे कर्ज लेना सस्ता होगा, जिससे रियल एस्टेट, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे सेक्टर को सीधा फायदा होगा.