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सिंधु जल संधि पर रोक के बाद अब पाकिस्तान पर एक और प्रहार!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
23/05/25
in अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, समाचार
सिंधु जल संधि पर रोक के बाद अब  पाकिस्तान पर एक और प्रहार!
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नई दिल्ली: सिंधु जल समझौते के अप्रैल 2025 में निलंबन के बाद भारत ने पश्चिमी नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. अब सरकार जम्मू-कश्मीर की प्रमुख सिंचाई परियोजना रणबीर नहर की लंबाई को 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है. यह नहर जम्मू के किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है.

रणबीर कैनाल का निर्माण डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में 1873 से 1905 के बीच हुआ था. यह नहर अखनूर के पास चिनाब नदी से पानी लेकर जम्मू शहर, आरएस पुरा, बिश्नाह, सांबा और कठुआ के कुछ हिस्सों से होकर गुजरती है. इसके पानी से करीब 16 हजार हेक्टेयर जमीन की सिचाई होती है.

जल्द बढ़ेगी क्षमता और पहुंच
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, नहर की जल वहन क्षमता को भी 40 क्यूसेक से बढ़ाकर 150 क्यूसेक करने की योजना है. इससे न केवल जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों को राहत मिलेगी, बल्कि बिजली उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा.

पाकिस्तान में गहराया डर
रणबीर नहर के इस संभावित विस्तार को लेकर पाकिस्तान में डर का माहौल बन गया है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स और विश्लेषकों के मुताबिक, अगर भारत इस परियोजना को पूरा कर लेता है तो पाकिस्तान तक बहने वाला चिनाब का एक बड़ा हिस्सा रोका जा सकता है. इससे पाकिस्तान में कृषि और पेयजल संकट की आशंका जताई जा रही है.

पाकिस्तान पानी पर कितना निर्भर

80% कृषि भूमि निर्भर: पाकिस्तान की लगभग 16 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है. यह नदी वहां की खेती का मुख्य आधार है.
93% सिंचाई: पाकिस्तान की 93% कृषि सिंचाई सिंधु नदी से होती है, जो इसे देश की कृषि का मूल स्रोत बनाती है. 23 करोड़ लोगों का सहारा: सिंधु नदी प्रणाली पाकिस्तान की 61% आबादी का पालन-पोषण करती है, जिसमें कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे प्रमुख शहर भी शामिल हैं.
बिजली संकट: पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे प्रमुख जल विद्युत संयंत्र इसी नदी पर आधारित हैं, जो देश की ऊर्जा आपूर्ति में अहम भूमिका निभाते हैं.
25% जीडीपी में योगदान: सिंधु नदी पाकिस्तान की जीडीपी में लगभग 25% का योगदान करती है. गेहूं, चावल, गन्ना और कपास जैसी मुख्य फसलें इसी पानी से पनपती हैं.

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