पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चला है. उन्होंने मंगलवार (7 नवंबर) को आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का प्रस्ताव विधानसभा में रखा. उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसदी आरक्षण पहले से मिल रहा है, ऐसे में प्रस्ताव पास हुआ तो रिर्जेवशन बढ़कर 75 फीसदी हो जाएगा. इसका बीजेपी ने भी समर्थन किया है.
बिहार में अब तक ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी, अनुसूचित जाति (SC) को 16 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को एक फीसदी,12 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), ईबीसी को 18 फीसदी और 3 फीसदी ईबीसी/ओबीसी वर्ग की महिलाओं को मिलता है.
नीतीश कुमार ने क्या कुछ कहा?
सर्वे रिपोर्ट पर विधानसभा में नीतीश कुमार ने कहा कि इसके जरिए बिहार के आर्थिक सामाजिक स्थिति से अवगत करा दिया गया है. ज्ञानी जैल सिंह ने 1990 में जातीय गणना पर मुझसे बात की थी. ज्ञानी जेल सिंह के आग्रह पर हमने जातीय गणना करवाने की सोची थी. हमने पीएम वीपी सिंह से भी अनुरोध किया था कि देश में जाति आधारित जनगणना करवााई जाए. हम पीएम मोदी से भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर मिलने गये थे. जातीय गणना कराने की मांग किये थे.
नीतीश कुमार ने कहा, ”केंद्र के मना करने के बाद बिहार सरकार खुद से अपना से अपने खर्च पर जातीय गणना कराई. देश में पहली बार किसी राज्य में हुआ. विपक्ष कह रहा कि इस जाति की आबादी घट गई है और इस जाति की आबादी बढ़ गई. ये बोगस बात है.”
बीजेपी ने किया समर्थन
नीतीश कुमार के इस ऐलान के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि सरकारी नौकरियों में बिहार में आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का बीजेपी समर्थन करती है. साथ ही उन्होंने कहा कि पंचायत और नगर निकाय में भी 37 फीसदी को बढ़ाकर 50 फीसदी किए जाने की आवश्यकता है.
बड़ा दांव क्यों माना जा रहा है?
बिहार में जाति सर्वे के बाद नीतीश कुमार का ये बड़ा दांव माना जा रहा है. विपक्षी पार्टियां सर्वे का डेटा रिलीज किए जाने के बाद केंद्र सरकार पर जाति जनगणना कराने का दबाव बना रही है.कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनावी रैलियों में सरकार पर जाति जनगणना करवाने से पीछ हटने का आरोप लगाते रहे हैं.
जाति जनगणना की मांगों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों 3 नवंबर को कहा कि हम राष्ट्रीय पार्टी हैं. हम वोटों की राजनीति नहीं करते हैं. सभी से चर्चा करने के बाद जो भी उचित निर्णय होगा हम बताएंगे. इसके आधार पर चुनाव की नैय्या पार लगाना ठीक नहीं है. बीजेपी ने इसका कभी विरोध नहीं किया है. बहुत सोच समझकर निर्णय लेना होता है. ऐसे में हम उचित समय पर हम बताएंगे.
आरक्षण की सीमा बढ़ाने की लगातार हो रही है मांग
आरक्षण की सीमा को बढ़ाने को लेकर नेता आए दिन मांग करते हैं. इसी साल सितंबर में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा था कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को बढ़ाना चाहिए. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से सोश्यो इकोनॉमिक और कास्ट सेंसस का डेटा जारी करने की मांग की थी.