प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हो गई है और अब अयोध्या विश्व के अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के पटल पर आ गया है। इसका अब भारत की आर्थिक प्रगति पर भी बहुत बड़ा असर होने जा रहा है। स्थानीय स्तर पर तो अब भारत के नए भविष्य की एक नई शुरुआत होने जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी अपने उदबोधन में कहा है कि प्रभु श्रीराम सभी के है अतः यह भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। प्रत्येक भारतीय रामायण पढ़ता है एवं अयोध्या के महत्व को भी समझता है। यह प्रभु श्रीराम का जन्म स्थल है और यह प्रभु श्रीराम की 500 वर्षों के बाद एक तरह से घर वापसी ही मानी जानी चाहिए। प्रभु श्रीराम भारत के कण कण में बसते हैं अतः अब ऐसी आशा की जानी चाहिए कि भारत में निवासरत विभिन्न मत पंथ मानने वाले नागरिक एक होकर भारत के विकास की गति को आगे बढ़ाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करेंगे।
प्रभु श्रीराम केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी पूज्य है। कई देशों ने तो रामायण को अपनी भाषा में भी लिखा है। इस दृष्टि से रामायण के कई रूप हैं। थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस, चीन, म्यांमार, इंडोनेशिया, वियतनाम, आदि देशों में रामायण के स्थानीय रूप मिलते हैं। पूरे विश्व में कुल मिलाकर 300 भाषाओं में रामायण उपलब्ध है। उत्तरी थाईलैंड में एक शहर का नाम ही अजोध्या है। यह प्राचीन काल में एशियन थाई राज्य की राजधानी रहा है। कालांतर में जिन देशों में भारतीय मूल के नागरिक गए हैं वहां रामायण भी पहुंचा है। जैसे केरेबीयन देशों में, अफ्रीकन देशों में, फीजी आदि देशों में प्रभु श्रीराम विद्यमान रहे हैं और यहां के नागरिक, भारतीय मूल के नागरिकों सहित, प्रभु श्रीराम की पूजा करते हैं। अब भारत इन सभी देशों के साथ अपने राजनैतिक एवं सामरिक रिश्तों को मजबूत कर सकता है और इन देशों में रह रहे नागरिकों को भारत एक तरह से अपने देश की तरह दिखाई देने जा रहा है।
दूसरे, अब भारत में धार्मिक पर्यटन बढ़ने की अपार सम्भावनाएं बन गई हैं। भारत में अभी तक सबसे अधिक पर्यटक पड़ौसी देश बंगला देश से आते हैं, इसके बाद पश्चिमी देशों से पर्यटक भारत आते हैं, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, रूस, आस्ट्रेलिया, फ्रान्स, जर्मनी आदि। इसके बाद एशिया के अन्य देशों से पर्यटक भारत आते है, जैसे मलेशिया, श्रीलंका एवं थाईलैंड। जबकि इन एशियाई देशों में प्रभु श्रीराम में आस्था रखने वाले नागरिकों की बहुत बड़ी संख्या निवास करती है। अतः अब इन एशियाई देशों से भारत में पर्यटकों का आना बढ़ना चाहिए। इन समस्त देशों के नागरिक प्रभु श्रीराम के बचपन की कहानियां पढ़कर बड़े हुए हैं, अब ये लोग निश्चित ही भारत में अयोध्या आकर प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के दर्शन करने के लिए आना चाहेंगे।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने धरातल पर काम करना शुरू भी कर दिया है। एक रामायण सर्किट रूट को विकसित किया जा रहा है। इस रूट पर विशेष रेलगाड़ियां भी चलाए जाने की योजना बनाई गई है। यह विशेष रेलगाड़ी 18 दिनों में 8000 किलो मीटर की यात्रा सम्पन्न करेगी, इस विशेष रेलगाड़ी के इस रेलमार्ग पर 18 स्टॉप होंगे। यह विशेष रेलमार्ग प्रभु श्रीराम से जुड़े ऐतिहासिक नगरों अयोध्या, चित्रकूट एवं छतीसगढ़ को जोड़ेगा। अयोध्या में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर वैश्विक पटल पर इस रूट को भी रखेगा।
विश्व के कई अन्य देश धार्मिक पर्यटन के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाएं सफलतापूर्वक मजबूत कर रहे हैं। सऊदी अरब धार्मिक पर्यटन से प्रति वर्ष 22,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर अर्जित करता है। सऊदी अरब इस आय को आगे आने वाले समय में 35,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक ले जाना चाहता है। मक्का में प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पहुंचते हैं, जबकि मक्का में गैर मुस्लिम के पहुंचने पर पाबंदी है। इसी प्रकार, वेटिकन सिटी में प्रतिवर्ष 90 लाख लोग पहुंचते हैं। इस धार्मिक पर्यटन से अकेले वेटेकन सिटी को प्रतिवर्ष लगभग 32 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय होती है, और अकेले मक्का शहर को 12,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है। अयोध्या में तो किसी भी धर्म, मत, पंथ मानने वाले नागरिकों पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं होगी।
अतः अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 5 से 10 करोड़ प्रतिवर्ष तक जा सकती है। फिर अकेले अयोध्या नगर को होने वाली आय का अनुमान तो सहज रूप से लगाया जा सकता है। अभी अयोध्या आने वाले श्रद्धालु अयोध्या में रूकते नहीं थे प्रात: अयोध्या पहुंचकर प्रभु श्रीराम के दर्शन कर शाम तक वापिस चले जाते थे परंतु अब अयोध्या को इतना आकर्षक रूप से विकसित किया गया है कि श्रद्धालु 3 से 4 दिन रुकने का प्रयास करेंगे। एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक पर्यटक लगभग 6 लोगों प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है इस संख्या के हिसाब से तो लाखों नए रोजगार के अवसर अयोध्या में उत्पन्न होने जा रहे हैं। अयोध्या के आसपास विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अब अयोध्या के रूप में वेटिकन एवं मक्का का जवाब भारत में खड़ा होने जा रहा है।
जेफरीज नामक एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज कम्पनी ने बताया है कि अयोध्या में निर्मित प्रभु श्रीराम के मंदिर से भारत की आर्थिक सम्पन्नता बढ़ने जा रही है। दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में सम्पन्न हुए प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद स्थानीय कारोबारी अपना उज्जवल भविष्य देख रहे हैं। अयोध्या अब धार्मिक पर्यटन का हब बनाने जा रहा है। अयोध्या अब दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से अब अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। जेफरीज के अनुसार अयोध्या में प्रति वर्ष 5 करोड़ से अधिक पर्यटक आ सकते हैं। अभी अयोध्या में केवल 17 बड़े होटल हैं इनमें कुल मिलाकर 590 कमरे उपलब्ध हैं। लेकिन, अब 73 नए होटलों का निर्माण किया जा रहा है।
इनमें से 40 होटलों का निर्माण कार्य प्रारम्भ भी हो चुका है। अभी तक नए एयरपोर्ट, रेल्वे स्टेशन, टाउनशिप और रोड कनेक्टिविटी में सुधार जैसे कामों पर 85,000 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इस निवेश का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर दिखाई देने जा रहा है। शीघ्र ही अयोध्या वैश्विक स्तर पर धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में उभरेगा। इससे होटेल, एयरलाईन, हॉस्पिटलिटी, ट्रैवल, सिमेंट जैसे क्षेत्रों को बहुत बड़ा फायदा होने जा रहा है। भारत के विभिन्न शहरों से 1000 के आसपास नई रेल अयोध्या के लिए चलाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे देश से दिनांक 23 जनवरी 2024 से धार्मिक पर्यटक अयोध्या पहुंचना शुरू हो गए हैं। यह हर्ष का विषय है कि पहिले दिन ही 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम के दर्शन किये हैं।
इस प्रकार कुल मिलाकर भारत भी अब वैश्विक पटल पर अपनी धाक जमा सकता है। इस धार्मिक आयोजन में 100 से अधिक देशों के विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया था। इनमे से कई विशिष्ट अतिथियों ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए लिखा है कि वे शीघ्र ही प्रभु श्रीराम मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे।