भोपाल : मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। इस बार कांग्रेस के प्रदेश सचिव द्वारा सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर ईवीएम की जांच के लिए सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट की कमेटी और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इन्हें चेक करवाने की डिमांड की है। उन्होंने लिखा,”मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विभिन्न विसंगतियों के साथ ईवीएम से प्राप्त चुनाव परिणामों को लेकर मध्यप्रदेश के मतदाताओं में असंतोष है।”
म.प्र.कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाते हुए कहा है कि चुनाव आयोग एंव ईवीएम बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है और ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग एंव ईवीएम निर्माण करने वाली कंपनियों ने ईवीएम हैकिंग और छेड़छाड़ के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाकर चुनाव आयोग स्वयं ही इस कमेटी से मई 2019 में रिपोर्ट लेकर स्वयं को क्लीन चिट देकर मामला समाप्त कर दिया था।
इस कथित रिपोर्ट में ईवीएम की हैकिंग या उससे छेड़छाड़ क्यों नहीं हो सकती, इसके दो तर्क दिए गए थे। पहला तर्क था कि चुनाव आयोग जिस ईवीएम का इस्तेमाल करता है, वो स्टैंड अलोन मशीनें होती हैं। उसे न तो किसी कम्प्यूटर से कंट्रोल किया जाता है और न ही इंटरनेट या किसी नेटवर्क से कनेक्ट किया जाता है, ऐसे में उसे हैक करना नामुमकिन है। इसके अलावा ईवीएम में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है, उसे रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय से जुड़ी सरकारी कंपनियों के इंजीनियर बनाते हैं। इस सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को किसी से भी साझा नहीं किया जाता है। इन दोनों तर्कों पर सवाल हैं की अगर स्टेंड अलोन मशीनों को विधानसभा या लोकसभा सीटों का डाटा अपलोड करते समय सरकारी इंजीनियर सॉफटवेयर के सोर्स कोड को लीक कर दें तो सब कुछ संभव हो जाएगा। ऐसी परिस्थितियों में ईवीएम को कौन से आधार पर सुरक्षित माना जाये और क्यों माना जाये।
दूसरा तर्क यह था कि भारत में इस्तेमाल होने ईवीएम मशीन में दो यूनिट होती हैं। एक कंट्रोलिंग यूनिट (CU) और दूसरी बैलेटिंग यूनिट (BU) ये दोनों अलग-अलग यूनिट होती हैं और इन्हें चुनावों के दौरान अलग-अलग ही बांटा जाता है। अगर किसी भी एक यूनिट के साथ कोई छेड़छाड़ होती है तो मशीन काम नहीं करेगी।इसलिए कमेटी का कहना था कि ईवीएम से छेड़छाड़ करना या हैक करने की गुंजाइश न के बराबर है। कांग्रेस नेता ने लिखा कि यह चुनाव आयोग की हास्यास्पद तर्क है। जब ईवीएम सॉफ्टवेयर अपलोड करते समय ही छेड़खानी करके सेट की जा सकती हैं।
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा,”भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम को दो सरकारी कंपनियां बनाती हैं। पहली कंपनी है बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और दूसरी है हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड। क्या सरकारी कंपनी सरकार के इशारे पर ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं कर सकती हैं। ईवीएम बनाने वाली कंपनी और चुनाव आयोग के कर्मचारियों की मिलीभगत से ईवीएम को आसानी से छेडछाड़ करके चुनावों में परिणामों को प्रभावित करने की प्रबल संभावना रहती हैं। चुनाव आयोग ने 2017 में इस तरह के खोखले दावे किये थे।”
कौन हैं राकेश यादव
लंबे समय से कांग्रेस में कार्य कर रहे राकेश यादव हमेशा से बीजेपी के नेताओ को आड़े हाथों लेते आ रहा है। 4 साल पहले भी स्टाम्प वेंडर मामले में शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सिंह ने स्टाम्प वेंडर मामले में 22 हजार करोड़ की कालाबाजारी के आरोप लगाया था। जिसके बाद कुछ दिनों पहले 14 नवंबर को इंदौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो को लेकर भी कांग्रेस ने इसके प्रस्तावित मार्ग पर आपत्ति लेते हुए चुनाव आयोग में शिकायत कर दी थी।