हरिद्वार l पहाड़ी जिलों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां खतरे के जलस्तर से ऊपर बहने लगीं, जिसके बाद श्रीनगर से लेकर टिहरी तक के डैमों से पानी छोड़ा गया, जिसका असर हरिद्वार और ऋषिकेश तक नजर आया। गंगा किनारे के सभी लोगों को अलर्ट किया गया है। स्थिति यह थी कि 2013 के बाद राज्य में पहली बार ऐसा नजारा दिखा कि हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान को पार कर गई। घाट डूब गए। जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर गेटों को खोला गया। गेट खुलने से गंग नहर से यूपी के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया।
2013 की आपदा के बाद पहली बार गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने से तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक तक पहुंच गया। भीड़गोड़ा बैराज के सभी गेट एक साथ खोल दिए गए। बैराज खुलने से गंगनहर के जरिये उत्तर प्रदेश के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया। उधर, बैराज के पानी के बहाव से चंडी टापू को जोड़ने के लिए महाकुंभ में बनाए गए अस्थायी पुल के एप्रोच में दरारें आ गईं। नमामि गंगे घाट पानी में डूब गए।
भीमगोड़ा पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का बैराज है। बैराज की क्षमता 293.00 मीटर जलस्तर रोकने की है, लेकिन पहाड़ों में लगातार बारिश से शुक्रवार रात अलर्ट जारी हो गया था। लिहाजा बैराज में भी सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मुस्तैद रहे। देर रात दो बजे गंगा का जलस्तर दो लाख 15 हजार 698 क्यूसेक पहुंच गया। इसके चलते कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर बैराज के 22 गेट एक साथ खोले गए।
खबर इनपुट एजेंसी से