आतंकवाद सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चिंता का विषय है। ऐसे में बॉलीवुड भी इस मुद्दे पर जमकर फिल्में बना रहा है। बीते दिनों आतंकवाद पर आधारित फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर खूब बवाल हुआ। फिल्म आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हुई और इसने कमाई भी अच्छी की। अब आतंकवाद पर ‘केरल स्टोरी’ के बाद एक और फिल्म ’72 हूरें’ आ रही है। हाल ही में फिल्म का टीजर सामने आया है, जिसके बाद से बवाल मचना शुरू हो गया है।
आतंकवाद पर आधारित है फिल्म
दरअसल, फिल्म की पूरी कहानी ‘केरल स्टोरी’ की ही तरह आतंकवाद के इर्द-गिर्द घूमती है। जिस तरह लोगों के दिमाग को ब्रेनवॉश किया जाता है, वही सब फिल्म में है। जिहाद के नाम पर लोग आतंकवाद का रास्ता अपना लेते हैं। फिल्म का पूरा निचोड़ ही इस बात पर है कि किस तरह आतंकियों को ट्रेनिंग के दौरान भरोसा दिलाया जाता है कि मरने के बाद जन्नत में उनकी सेवा होगा। उनकी सेवा कोई और नहीं बल्कि 72 कुंवारी लड़कियां करेंगी। ॉ
क्या है ’72 हूरें’ का मतलब?
72 हूरे का अर्थ उन लड़कियों से है, जो कुंवारी हैं। इस्लाम के अनुसार, हर शख्स जो जन्नत में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएंगी। मरते समय उसकी भले कोई भी उम्र हो, लेकन मरने के बाद जन्नत में जाकर वो 30 बरस का हो जाएगा। वहां उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी।
लोगों का किया जाता है ब्रेनवॉश
फिल्म की बात करें तो फिल्म में बताने की कोशिश की गई है कि इन्हीं हूरों की बात करके लोगों का ब्रेनवॉश किया जाता है और उन्हें आतंकवाद के धंधे में धकेला जाता है। साधारण लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर इस खौफनाक राह पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है। बताते चलें कि फिल्म 72 हूरे को संजय पूरण सिंह ने बनाया है, जो दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भी रह चुके हैं।
क्या होगी फिल्म की कहानी?
बड़े पैमाने पर किस तरह लोगों को आतंकवाद के रास्ते पर ले जाया जा रहा है, वो सब इस फिल्म की कहानी में होगा। फिल्म के प्रोड्यूसर गुलाब सिंह तंवर ने कहा कि इस कदर जज्बात से भरी एक फिल्म को बनाना किसी कमजोर दिल वाले का काम नहीं है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे धर्म के नाम पर पाखंड फैलाया जा रहा है। लोगों को बरगलाकर आतंकवाद में डाला जाता है। ऐसे में लोगों के सामने ये सच्चाई जरूर आनी चाहिए।
फिल्म के डायरेक्टर ने बोली ये बात
फिल्म के निर्माता ने भी इसे लेकर बयान दिया और कहा कि ये समाज की कुरीतियों पर प्रहार करती है। आम लोगों को जिस तरह से गुमराह किया जाता है, वो सब इसमें दिखाया गया है। जिहाद के नाम पर लोगों को आतंकी बनाया जाता है ताकि वे बेरहमी से लोगों को मार सकें। मैं लोगों से गुजारिश करता हूं कि इस फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघर जरूर जाएं।