रांची : झारखंड में दो दिनों की अस्थिरता और कायसबाजी के बाद शुक्रवार को सरकार का गठन हो गया। महागठबंधन विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने नए सीएम के रूप में शपथ ली। चंपई सोरेन के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता सत्यानंद भोक्ता ने राज्य के मंत्रियों के रूप में शपथ ली। हालांकि, संकट तब तक पूरी तरह खत्म नहीं होगा जब तक सरकार बहुमत परीक्षण का सामना नहीं कर लेती। चंपई सोरेन सरकार को 5 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करना है।
एक तरफ चंपई का शपथ ग्रहण चल रहा था दूसरी तरफ महागठबंधन के विधायक हैदराबाद के लिए निकल चुके थे। दो विशेष विमानों से झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस समेत महागठबंधन के अधिकतर विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया है। चंपई ने 47 विधायकों के समर्थन का दावा किया है तो दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि महागठबंधन के पास बहुमत का अभाव है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने तो यहां तक दावा किया कि 18 विधायक कम है। इससे पहले वह शिबू सोरेन परिवार में फूट का भी दावा कर चुके हैं। हेमंत सोरेन की बड़ी भाभी सीता सोरेन खुलकर नाराजगी भी जाहिर कर चुकी हैं।
कथित जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद भाजपा भी एक्टिव है। हेमंत सोरेन के इस्तीफे के तुरंत बाद भाजपा के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी रांची पहुंचे और बैठकों का दौर शुरू हो गया। शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई गई। लक्ष्मीकांत वाजपेयी रांची में ही कैंप कर रहे हैं। गुरुवार की सुबह उन्होंने आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ लंबी बैठक की। वहीं प्रदेश नेताओं से भी मिले और राजनीतिक हालात पर चर्चा की।
इस बीच महागठबंधन के विधायकों को एकजुट रखने और किसी प्रकार की खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए महागठबंधन ने विधायकों को हैदराबाद ले जाने का फैसला किया। गुरुवार रात को ही इन विधायकों को उड़ान भरना था, लेकिन खराब मौसम की वजह से विमान को उड़ान की इजाजत नहीं मिली। ऐसे में देर रात विधायक दोबारा सर्किट हाउस लौट आए थे। विधायकों को अब बहुमत परीक्षण के दिन ही रांची लाया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले भी राजभवन के लिफाफा प्रकरण के समय 30 अगस्त 2022 को विधायकों को छत्तीसगढ़ के रायपुर शिफ्ट किया गया था और पांच दिन बाद चार सितंबर को ले आया गया था।
लोबिन और चमरा ने पार्टी से दूरी बनाई
नई सरकार बनने से पहले से ही झामुमो में विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। विधायक लोबिन हेम्ब्रोम और चमरा लिंडा पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं। बैठकों के साथ-साथ पार्टी कार्यक्रमों में वे नजर नहीं आते हैं। राज्यपाल को सौंपे गए समर्थन पत्र में इन दोनों विधायकों के हस्ताक्षर नहीं हैं। वहीं, विधायक सीता सोरेन शुरुआती नाराजगी के बाद अब चंपई सोरेन के साथ हैं और उन्होंने अपना पूरा समर्थन देने की बात कही है।