नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा है कि पूर्वी लददाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। उन्होंने कहा कि चीन अपनी सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है और हमारे सामने दुश्मन की तैयारियों से बराबरी करने की चुनौती है और वह हम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाकर और अन्य तरीकों से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में ज्यादा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस बना रहे हैं। वहीं, इस्राइल के आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर उन्होंने कहा कि अगर भारत पर इस्राइल की तरह मिसाइल हमला हुआ, तो भारत सभी मिसाइलों को नहीं रोक पाएगा, क्योंकि इस्राइल के मुकाबले हमारा क्षेत्रफल ज्यादा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस जल्द ही बाकी दो S400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी करेगा।
इस्राइल-ईरान संघर्ष से मिला सबक
92वें वायु सेना दिवस के वर्षगांठ समारोह पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए भारतीय वायुसेना के नव नियुक्त प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शुक्रवार को आयोजित अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ऐसी दुनिया में जहां युद्ध और एयर पावर का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है, भारतीय वायु सेना अपनी रक्षा प्रणालियों और क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रही है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस्राइल-ईरान संघर्ष से मिले सबक और आने वाले वर्षों में भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायुसेना की आगामी योजनाओं का खुलासा किया।
भारत को भी चाहिए आयरन डोम जैसा डिफेंस एयर सिस्टम
हाल ही में ईरान की तरफ से इस्राइल पर किए गए मिसाइल हमलों पर बोलते हुए एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा कि भारत को भी इस्राइल जैसा आयरन डोम डिफेंस एयर सिस्टम चाहिए। उन्होंने कहा, हम आयरन डोम जैसा सिस्टम खरीद रहे हैं, लेकिन हमें उनकी और जरूरत है। अभी, हमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि हमारी संख्या सीमित है। उन्होंने कहा कि अगर भारत पर इस्राइल जैसा मिसाइल हमला होता है, तो भारत भी मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है. लेकिन सभी मिसाइलों को नहीं रोक पाएंगे, क्योंकि इस्राइल के मुकाबले भारत का क्षेत्रफल ज्यादा है। लिहाजा हमें ये देखना है कि हम उसका डिप्लॉयमेंट कहां करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें रूस से तीन S400 एयर डिफेंस सिस्टम मिल चुके हैं, जो ऑपरेशनल हैं और अगले साल तक बाकी दो S400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन जंग के चलते उनकी डिलीवरी में देरी हो रही है।
वहीं जब एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह से पूछा गया कि कि क्या इस्राइल लेबनान में हिज़्बुल्लाह प्रमुख को मार सकता है, तो भारत ऐसा क्यों नहीं करता? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हम बालाकोट में ऐसा कर चुके हैं, कहां किसको मार सकते हैं, वो मैं नहीं बताउंगा।
एलएसी को लेकर बोले एयर चीफ
वहीं, भारत-चीन गतिरोध को लेकर उन्होंने कहा कि पूर्वी लददाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि चीन अपनी सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है और हमारे सामने दुश्मन की तैयारियों से बराबरी करने की चुनौती है और वह हम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाकर और अन्य तरीकों से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में ज्यादा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस बना रहे हैं।
अग्निवीर वायु का फीडबैक बहुत अच्छा
वहीं, अग्निवीरों को लेकर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर हमें 25 फीसदी से ज्यादा अग्निवीरों को परमानेंट करना पड़े, तो हम इसके लिए तैयार हैं, लेकिन यह फैसला सरकार को करना है। उन्होंने आगे कहा कि हमसे कोई रिकमंडेशन नहीं मांगी गई है। अब तक अग्निवीर वायु का फीडबैक बहुत अच्छा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना सिर्फ इक्विपमेंट्स पर ही ध्यान नहीं देती है, बल्कि अपने कर्मियों के कौशल को निखारने पर भी ध्यान देती है। उन्होंने वायु शक्ति, तरंग शक्ति और गगन शक्ति जैसे अभ्यासों का ज़िक्र करते हुए कहा, हम विचारों का आदान-प्रदान करने और दूसरों से सीखने के लिए बहुत सारे अभ्यास करते हैं। अकेले गगन शक्ति अभ्यास में 7,000 से ज़्यादा उड़ानें भरी गईं, जो युद्ध के लिए तैयार रहने की भारतीय वायुसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
2047 तक भारत में बनाए जाएंगे सभी हथियार
वहीं एयर चीफ मार्शल ने आत्मनिर्भरता की दिशा में भारतीय वायुसेना के कोशिशों को लेकर उन्होंने कहा कि भविष्य में पूरी तरह से भारत में ही विमान और हथियार प्रणाली विकसित करने की योजना है। उन्होंने कहा, हम तेजस, तेजस एमके2, एएमसीए, एस्ट्रा और बड़ी लंबी दूरी के हथियारों को विकसित करने जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इनमें एमआरएसएएम और आकाश जैसी सतह से हवा में मार करने वाली गाइडेड मिसाइलें भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक संपूर्ण वायुसेना का विकास और उत्पादन भारत में ही हो, जिसमें ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम जैसी स्वदेशी तकनीकों को डेवलप करने पर जोर दिया जाएगा।
फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही वायुसेना
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती फाइटर जेट्स के कम होते स्क्वाड्रनों के बीच फाइटर जेट्स की ताकत को बनाए रखना है। बता दें कि भारतीय वायुसेना में इस समय फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, और अगले डेढ़ दशक में इसके अधिकांश स्क्वाड्रन फेज आउट हो जाएंगे। जबकि भारत को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है।
मिग-21 बाइसन और मिग-29 के स्क्वाड्रन क्रमशः 2025 और 2035 तक चरणबद्ध तरीके से रिटायर हो जाएंगे। 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट स्ट्राइक करने वाले फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों मिराज-2000 भी 2035 तक रिटायर कर दिए जाएंगे। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने माना कि हम ट्रेनिंग और हमारे पास मौजूद संसाधनों को संरक्षित करने पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं, खास तौर पर इसलिए क्योंकि तेजस के प्रोडक्शन और डिलीवरी में देरी हो रही है। उन्होंने पिछली देरी से सीखने और मीडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) कार्यक्रम जैसी योजनाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने अपनी जरूरतें बहुत स्पष्ट कर दी हैं और हम जवाबों का इंतजार कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये विमान भारत में ही बनाए जाने चाहिए।