आनंद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल सुरखी विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने की तैयारी में है। सुरखी विधानसभा सीट में वर्तमान हालात कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा दिख रहे हैं। सूत्रों की माने तो यहां से गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ेंगे, जिनका इस समय स्थानीय स्तर पर जमकर विरोध हो रहा है। जिसका सीधी फायदा कांग्रेस को होता दिख रहा है।
गौरतलब है कि प्रदेश में आने वाले समय में होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा संगठन द्वारा एक गुप्त सर्वे कराया गया। जिसमें सुरखी विधानसभा सीट से गोविंद सिंह राजपूत की हालत चिंताजनक बताई गई है। सुरखी विधानसभा सीट व उससे लगी हुई सीटों से बीजेपी के तीन बड़े चेहरे आते हैं गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और लक्ष्मीनारायण यादव। ये तीनों ही चेहरे नहीं चाहते कि क्षेत्र से बीजेपी में चौथा बड़ा चेहरा उभरकर सामने आए। ये तीनों ही चेहरों का क्षेत्र में अपना खास दबदबा है साथ ही अपने समाज में मजबूत पकड़ भी हैं। इसके अलावा ये वो बड़े चेहरे हैं जिनकी अदावत गोविंद सिंह राजपूत से लंबे समय से चलती आ रही है। वहीं गोविंद सिंह राजपूत की वजह से ही मंत्री पद के प्रबल दावेदार भार्गव और भूपेन्द्र सिंह को इस बार मंत्रिमंडल के गठन में स्थान नहीं मिल सका है, जबकि गोविंद सिंह मंत्री बन चुके हैं। इसी तरह से पिछड़े वर्ग के भाजपा नेता और पूर्व सासंद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे बीते विधानसभा के आम चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत से ही हार चुके हैं।
भाजपाई और कांग्रेसी दोनों खिलाफ
कांग्रेस सरकार से बगाबत की भाजपा में शामिल होकर बगैर विधायक रहते मंत्री बने गोविंद सिंह राजपूत से भाजपाई और कांग्रेसी दोनों ही नाखुश हैं। उनके दलबदल से स्थानीय मतदाता भी खासे नाखुल बताए जा रहे हैं। तो वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता भी उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। दलबदल करने के कारण क्षेत्र में दबदबा रखने वाले उनके खास प्रभावशाली कांग्रेसी नेताओं ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। एक ओर जहां कांग्रेसियों ने उनका साथ छोड़ दिया है तो दूसरी तरफ स्थानीय भाजपा नेता भी उनसे खासे नाराज है और पूरी तरह से दूरियां बनाएं हुए हैं। जब गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में पावरफुल मंत्री थे तो उन्होंने स्थानीय भाजपा नेताओं व बड़े कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया था, यही कारण है कि भाजपा के नेता उन्हें पार्टी में पचा नहीं पा रहे हैं। भाजपा के ये प्रभावशाली कार्यकर्ता और नेता उपचुनाव में बदला लेने के तैयारी में हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो सुरखी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना गोविंद सिंह राजपूत के राजनीतिक समीकरण में फिट नहीं बैठ रहा है।
सुरखी विधानसभा सीट में कांग्रेस का दबदबा
सुरखी विधानसभा की सीट में हमेशा से कांग्रेस का दबदबा रहा है। वर्ष 2003 व 2008 में कांग्रेस के टिकट से गोविंद सिंह राजपूत ने जीत दर्ज की थी। हालांकि वर्ष 2013 में उन्हें बहुत कम वोट से बीजेपी से शिकस्त मिली थी। इसकी प्रमुख वजह क्षेत्र में गोविंद सिंह राजपूत की पकड़ कम होना था। हालांकि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के कांग्रेस के पक्ष में लहर होने का फायदा गोविंद सिंह राजपूत को मिला और वो न केवल चुनाव जीते बल्कि कमलनाथ सरकार में मंत्री भी बने। पर मार्च 2020 में उन्होंने कमलनाथ सरकार के खिलाफ बगावत करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उनके इस कदम से क्षेत्रीय जनता खासी नाराज हुई।
अजय सिंह राहुल के पक्ष में समीकरण
सुरखी विधानसभा सीट से अगर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल चुनाव लड़ते है तो उनके लिए यहां के समीकरण काफी फिट बैठते हैं। अजय सिंह राहुल के पिता पूर्व मुख्यंत्री स्व. अर्जुन सिंह दाऊं साहब का इस क्षेत्र में खासा दबदबा रहा है। क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए विकास कार्य को आज भी जनता मानती है। सागर यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने में पूर्व केंद्रीय एवं मानव संसाधन विकास मंत्री स्व. अर्जुन सिंह का अहम रोल रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान ही सागर यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाया गया। ऐसे में अगर अजय सिंह राहुल सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते है तो उनका पलड़ा काफी भारी रहेगा।