प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
अभी हाल ही में त्वरित आंकलन के आधार पर जारी किए गए, वित्तीय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर के प्रथम अग्रिम अनुमान के, आंकड़ों के अनुसार भारत में सकल घरेलू उत्पाद में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक एवं भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किए गए अन्य पूर्व अनुमानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी। जबकि अंकित मूल्य (नॉमिनल जीडीपी) के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद में 17.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने की सम्भावना व्यक्त की गई है जो कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3 प्रतिशत से कम हो गई थी। यह वृद्धि दर पूर्व में वित्तीय वर्ष 2010-11 में सबसे अधिक 19.9 प्रतिशत की रही थी, जो अब वित्तीय वर्ष 2021-22 में द्वितीय सबसे अधिक वृद्धि दर है। वित्तीय वर्ष 2006-07 में यह वृद्धि दर 17.1 प्रतिशत की रही थी। नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर का आंकलन करते समय सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में मुद्रा स्फीति का समायोजन नहीं किया जाता है। इस प्रकार नॉमिनल जीडीपी में वृद्धि दर अक्सर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर से अधिक बनी रहती है। अर्थव्यवस्था के लगभग समस्त क्षेत्र (व्यापार, होटल, यातायात, संचार व्यवस्था एवं ब्रॉड्कास्टिंग से सम्बंधी सेवा क्षेत्र को छोड़कर) कोरोना महामारी के पूर्व के वृद्धि के स्तर को पार कर चुके हैं।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है जो वित्तीय वर्ष 2020-21 में दर्ज की गई 3.6 प्रतिशत की वृद्धि दर से अधिक है। ज्ञातव्य हो कि कोरोना महामारी के दौरान केवल कृषि क्षेत्र ही अप्रभावित रहा था। वहीं उद्योग क्षेत्र जो कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक विपरीत रूप से प्रभावित हुआ था और वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसमें 7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी परंतु अब वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह 11.8 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर्ज करने जा रहा है। सेवा क्षेत्र में भी वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान व्यक्त किया गया है जब कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान सेवा क्षेत्र में 8.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी।
वित्तीय क्षेत्र, भवन निर्माण उद्योग एवं पेशेवर (प्रोफेशनल) सेवाएं प्रदान करने वाले क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस उक्त क्षेत्रों की वृद्धि दर में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इन क्षेत्रों में चूंकि रोजगार के बहुत अधिक अवसर निर्मित होते हैं अतः यह क्षेत्र इस वर्ष में रोजगार के कई नए अवसर निर्मित करेगा।
सामान्य जन प्रशासन के क्षेत्र में भी वित्तीय वर्ष 2021-22 में आकर्षक 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस क्षेत्र में 4.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। इस क्षेत्र में आकर्षक वृद्धि का परिणाम यह हो सकता है कि इससे अन्य क्षेत्रों में वृद्धि दर बढ़ सकती है। क्योंकि सामान्य जन प्रशासन के क्षेत्र में वृद्धि से सामान्य जन के हाथों में अधिक पैसा पहुंच सकता है इससे विभिन्न उत्पादों की मांग में भी वृद्धि दृष्टिगोचर हो सकती है। अतः देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक शुभ संकेत माना जाना चाहिए। इसी प्रकार, व्यवसाय, होटल, यातायात, संचार एवं ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर की सम्भावना व्यक्त की जा रही है जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में इन क्षेत्रों में 4.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। इन क्षेत्रों में भी रोजगार के बहुत अधिक अवसर निर्मित होते हैं।
सरकारी उपभोग से सबंधित खर्चों में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि रहने की सम्भावना है तो वहीं निजी उपभोग से सम्बंधित खर्चों में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि होने की सम्भावना है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा किए जाने खर्चों का स्तर भी कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर को पार कर गया है केवल निजी क्षेत्र द्वारा किए जाने खर्चों का स्तर (निजी अंतिम उपभोग) अभी भी कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर से 3 प्रतिशत कम है।
सकल स्थायी पूंजी निर्माण में भी वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 15 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि रहने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इससे देश में तेजी से आगे बढ़ रही आर्थिक गतिविधियों के लिए पूंजी की आवश्यकता की पूर्ति करने में कुछ आसानी होगी। विदेशी व्यापार के क्षेत्र में निर्यात की तुलना में आयात तेज गति से बढ़ रहे हैं। इसका आश्य यह है कि देश में व्यावसायिक गतिविधियों में बहुत अधिक तेजी दर्ज की जा रही है जिससे वस्तुओं के आयात की अधिक आवश्यकता महसूस हो रही है।
हालांकि अभी हाल ही में कोरोना के ओमीक्रोन रूपांतर से सम्बंधित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में ही दृष्टिगोचर हुई है परंतु कई देशों में किए गए अध्ययनों में यह परिणाम सामने आया है कि कोरोना बीमारी का ओमीक्रोन रूपांतर, डेल्टा रूपांतर की तुलना में कम खतरनाक है। अक्टोबर 2021 में कोरोना बीमारी से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की संख्या 1.3 करोड़ से बढ़कर दिसम्बर 2021 में 2.5 करोड़ हो गई है। इस प्रकार प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की संख्या तो लगभग दुगुनी हो गई है, परंतु इस अवधिकाल में कोरोना बीमारी से ग्रसित होकर मृत होने वाले लोगों की संख्या केवल 2200 ही अधिक रही है। इस प्रकार यह उम्मीद की जा रही है कि कोरोना महामारी के तीसरे दौर का असर भारत की आर्थिक गतिविधियों पर बहुत ही कम हो सकता है।
इसी क्रम में देश में लगातार बढ़ रही कोरोना बीमारी के बीच भारतीय स्टेट बैंक द्वारा 3 जनवरी 2021 को समाप्त सप्ताह के लिए जारी किए गए व्यापार गतिविधियों का इंडेक्स भी अभी तक के सबसे अधिकतम 114.6 के स्तर पर पहुंच गया है। अर्थात, देश में कोरोना बीमारी के बढ़ रहे मरीजों के बीच भी आर्थिक गतिविधियों पर किसी भी प्रकार का असर अभी तक नहीं हुआ है। यदि आगे आने वाले समय में लोगों के आवागमन पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ता भी है तो भी देश में आर्थिक गतिविधियों पर कोई बहुत अधिक प्रभाव होने की सम्भावना बहुत कम है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद में भी सार्थक वृद्धि दर्ज होने की सम्भावना व्यक्त की गई है और यह वित्तीय वर्ष 2021-22 में 18000 रुपए प्रति व्यक्ति हो जाने की सम्भावना है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रेल-नवम्बर 2021 माह की 8 माह की अवधि के दौरान पूरे वर्ष के कुल व्यय के बजट अनुमान का 59.6 प्रतिशत भाग खर्च कर लिया गया है। इसमें राजस्व व्यय के कुल बजट अनुमान का 61.5 प्रतिशत एवं पूंजीगत व्यय के कुल बजट अनुमान का 58.5 प्रतिशत खर्च कर लिया गया है। पिछले दो माह के दौरान पूंजीगत खर्चों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। हालांकि अब वित्तीय वर्ष 2021-22 के शेष बचे चार माह में केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत एवं अन्य खर्चों में वृद्धि की जा रही है इससे देश में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाए जा रहे खर्चों से यह आश्य कदापि नहीं है कि इससे भारत का राजकोषीय घाटा अनियंत्रित हो जाएगा। ऐसा बिल्कुल नहीं होने जा रहा है क्योंकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रेल-नवम्बर 2021 माह की 8 माह की अवधि में सरकारी आय भी कुल बजट अनुमान का 69.8 प्रतिशत हो चुकी है, इससे राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान का केवल 46.2 प्रतिशत ही रहा है। जबकि यह पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान कुल बजट अनुमान का 135 प्रतिशत हो गया था। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2021- 22 के दौरान अभी तक केंद्र सरकार की आय में भी आकर्षक वृद्धि दर्ज की गई है, इससे राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में बने रहने की पूरी सम्भावना है।
ये लेखक के अपने निजी विचार है l