नई दिल्ली: दुनिया में तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसमें सोलर मॉड्यूल की अहम भूमिका है। दुनिया में सोलर मॉड्यूल बनाने के मामले में अभी चीन का दबदबा है। लेकिन जल्दी ही यह स्थिति बदलने वाली है। मोदी सरकार देश में सोलर मॉड्यूल की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन से इनके आयात को कम करने की दिशा में काम कर रही है। इसक लिए कंपनियों को 19,500 करोड़ रुपये का फाइनेंशियल इनसेंटिव दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और टाटा पावर (Tata Power) समेत कई कंपनियों ने इसके लिए बोली लगाई है। फाइनेंशियल इनसेंटिव के लिए बिडिंग की तारीख को कई बार बढ़ाया गया था और आखिरकार यह प्रक्रिया 28 फरवरी को बंद हो गई।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस और टाटा के अलावा अमेरिका की कंपनी First Solar Inc., जेएसडब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड (JSW Energy Ltd.), अवाडा ग्रुप (Avaada Group) और रिन्यू एनर्जी ग्लोबल पीएलसी (ReNew Energy Global Plc) ने भी फाइनेंशियल इनसेंटिव के लिए बोली लगाई है। लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के कारण मुसीबत का सामना कर रहे अडानी ग्रुप ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। अडानी ग्रुप देश के सबसे बड़े सोलर पैनल मेकर्स में शामिल है। इस बोली को सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन (Solar Energy Corp) ने आयोजित किया था।
क्या होगा फायदा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना चाहते हैं। इससे देश में रोजगार पैदा होंगे और आयात में कमी आएगी। कोरोना महामारी के कारण चीन से सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। इस वजह से दुनियाभर की कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में उनके लिए भारत एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। भारत अपनी मॉड्यूल मेकिंग कैपेसिटी को 90 गीगावाट तक पहुंचाना चाहता है। इससे भारत अपनी जरूरतों को पूरा कर सकेगा और साथ ही सोलर मॉड्यूल का एक्सपोर्ट भी होगा। इसके लिए सरकार कंपनियों को इनसेंटिव दे रही है। रिलायंस, अवाडा ग्रुप और जेएसडब्ल्यू एनर्जी के प्रवक्ताओं ने इस पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। अडानी, टाटा पावर, रिन्यू और फर्स्ट सोलर ने ईमेल का जवाब नहीं दिया।