जोशीमठ में बिगड़ रहे हालात थम नहीं रहे हैं. लोग घर छोड़ रहे हैं. हर घंटे खतरा बढ़ रहा है. पूरे क्षेत्र को सिंकिंग जोन घोषित किया गया है. पिछले 48 घंटों में जमीन के धंसने से टूटने वाले मकानों की संख्या 561 से बढ़कर 603 हो गई है. लोगों को पुनर्वास केंद्र ले जाया जा रहा है. सरकार बेचैन नजर आ रही है. भूवैज्ञानिक सर्वे शुरू हो गया है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि दरारें अब जोशीमठ के नक्शे को पार कर रही हैं.
इसकी एक बड़ी वजह है रेलवे प्रोजेक्ट के लिए बनाई जा रही है सुरंगें. जिसका असर सिर्फ जोशीमठ तक ही नहीं, 4 जिलों के 30 गांवों में भी दिख रहा है.
4 जिलों के 30 गांवों में दरारों का दर्द
ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक बन रहे सबसे बड़े रेल प्रोजेक्ट से जुड़े 30 से ज्यादा गांवों में भी इसका असर दिख रहा है. इस प्रोजेक्ट में चार जिले शामिल हैं- टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली. सिर्फ रुद्रप्रयाग में ही मरोड़ा गांव के लोगों को इसलिए शिफ्ट किया जा रहा है क्योंकि रेलवे प्रोजेक्ट के कारण दरारें आई हैं. ऐसा ही हाल कई गांवों का है.
कैसे चिंता बढ़ा रहा रेलवे प्रोजेक्ट?
ऋषिकेश टू कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट में 125 किलोमीटर के दायरे को शामिल किया गया है. केवल देवप्रयाग से जेकर जनासू तक के 14.8 किलोमीटर के क्षेत्र में सुरंग के लिए बोरिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. अन्य 15 टनल के लिए ड्रिल और ब्लास्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए खतरा और भी बढ़ता जा रहा है.
मामला इतना ही नहीं हैं. प्रोजेक्ट के शामिल 4 जिलों के श्रीनगर, मलेथा, गौचर गांवों के नीचे से टनल को निकाला जा रहा है. टनल निर्माण के लिए जब ब्लास्ट किया जाता है और तेज धमाके के कारण घरों में दरारें आ रही हैं.
खतरा इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पहाड़ी जगहों पर घर ढलान पर बनाए जाते हैं. इसलिए उनकी बुनियाद कमजोर होती है. अगर इनमें ब्लास्ट किया जाएगा तो खतरा कितना होगा, यह समझा जा सकता है. उत्तराखंड पहले से ही भूकंप जोन-5 में आता है. जहां समय-समय पर कम तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है, अलकनंदा घाटी के तहत आने वाला हिस्सा संवेदनशील है. कई रेल प्रोजेक्ट नदी से सटे पहाड़ों पर चल रहे हैं. श्रीनगर और रुद्रप्रयाग में पहले ही कई भूकंप जोन हैं. सुरंगों के लिए होते विस्फोट इन पर और बुरा असर डालेंगे.
योजनाओं ने खतरों की सुरंग खोद दीं
पिछले 12 सालों में उत्तराखंड का भूगोल बदला है. इसकी वजह हैं प्रोजेक्ट्स. जैसे- 12 हजार करोड़ का रोड प्रोजेक्ट, 24 हजार करोड़ का ऋषिकेश टू कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट और दूसरी योजनाएं. इनके लिए नई सुरंगें खोदी जा रही हैं. रेल प्रोजेक्ट के कारण उन चारों जिलों में भी जोशीमठ जैसे हालात बन सकते हैं.
पहली रिपोर्ट से जनाक्रोश बढ़ा, अब दोबारा हो रहा सर्वे
जब पौड़ी के श्रीनगर में दरारें आईं तो इसकी जांच की गई. सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पॉजिटिव रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में कहा गया कि ये दरारें रेलवे प्रोजेक्ट के कारण नहीं आईं. इस रिपोर्ट से पहाड़ के लोग नाराज हुए और जनाक्रोश बढ़ा. विरोध-प्रदर्शन हुए तो सर्वे दोबारा करने की बात कही गई.
रेल विकास निगम के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अजीत सिंह यादव का कहना है, रेल प्रोजेक्ट के लिए जीएसआई और सर्वे ऑफ इंडिया ने डिटेल रिपोर्ट सौंप दी है. आईआईटी रुढकी ने भी स्टडी की है. यह प्रोजेक्ट सुरक्षित है. हमें घरों में दरारों की शिकायत मिली है और हम कंट्रोल ब्लास्टिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. पूरे रूट पर सर्वे बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट से सर्वे कराया जा रहा है.