नई दिल्ली : भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है. इस बीच अमेरिका ने भारत से कहा है कि उसे उम्मीद है कि भारत गेहूं निर्यात पर लगाए प्रतिबंध के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा. अमेरिका का कहना है कि भारत के इस कदम से मौजूदा वैश्विक खाद्य संकट और गहरा जाएगा.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहले से ही गेहूं की किल्लत हो गई थी जिसकी भरपाई भारत कर रहा था. रूस और यूक्रेन मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाजार को एक तिहाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं लेकिन युद्ध के कारण दोनों देशों की तरफ से बाजार को गेहूं नहीं मिल पा रहा है. अभी ये स्पष्ट नहीं है कि रूस-यूक्रेन युद्ध कब खत्म होगा. ऐसे में भारत की तरफ से भी गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी गई है जिससे कई देशों में खाद्य संकट गहरा गया है.
भारत के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध भोजन की कमी को और बढ़ा देगा.
हिंदूस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका को उम्मीद है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा. भारत के इस फैसले से मौजूदा वैश्विक खाद्य संकट और बदतर होता जाएगा. हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है. हम देशों से कह रहे हैं कि वो निर्यात को प्रतिबंधित न करें क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर कोई भी प्रतिबंध भोजन की कमी को बढ़ा देगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारत दूसरे देशों की तरफ से उठाई जा रही चिंताओं को सुनेगा, अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा.’
जी-7 भी कर चुका है गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध की आलोचना
सात देशों के समूह (जी-7) के कृषि मंत्रियों ने शनिवार को भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले की आलोचना की. मंत्रियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के फैसले से वैश्विक खाद्य संकट की स्थिति और बदतर होगी. जर्मन कृषि मंत्री ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से कहा, ‘अगर हर कोई निर्यात पर प्रतिबंध लगाना या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और गहरा हो जाएगा.’
वैश्विक गेहूं की कीमतों में सोमवार को रिकॉर्ड 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यूरोप में भी गेहूं की कीमतों ने एक नई ऊंचाई को छुआ क्योंकि बेंचमार्क यूरोनेक्स्ट बाजार में कीमतें बढ़कर रिकॉर्ड 435 यूरो (35 हजार 434 रुपये) प्रति टन (100 किलोग्राम) हो गईं. विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध और गेहूं पर प्रतिबंध का भारत का ये फैसला वैश्विक स्तर पर एक गंभीर समस्या पैदा करेगा. युद्ध के बाद से ही यूक्रेन गेहूं का निर्यात नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसके सभी बंदरगाह बंद पड़े हैं. रूस पर युद्ध को लेकर कई कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं जिस कारण रूसी गेहूं भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में नहीं आ पा रहा.
वहीं, भारत की बात करें तो, पिछले दिनों से भारत के गेहूं उत्पादक राज्यों में गंभीर गर्मी पड़ रही है. हीटवेव ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. इस कारण भारत में गेहूं की कीमतों में बड़ा उछाल आया है जिसे देखते हुए भारत सरकार ने निर्यात रोकने का फैसला किया है. हालांकि सरकार की तरफ से ये जरूर कहा गया है कि वो जरूरतमंद देशों को गेहूं मुहैया कराने पर विचार करेगी.