नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के बढ़ने की आशंका के बीच अमेरिका ने यूक्रेन में अपना दूतावास अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग के वाणिज्य दूतावास ने एक बयान में कहा कि अत्यधिक सावधानी के चलते दूतावास को बंद कर दिया गया है तथा दूतावास के कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
दूतावास ने बयान जारी कर कीव में अपने स्टाफ को कामकाज बंद करने की सलाह दी है। इसके साथ ही यूक्रेन में रह रहे अमेरिकी नागरिकों को भी संभावित हवाई हमले के मद्देनजर अलर्ट रहने और जरूरी एहतियात बरतने को कहा है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने मंगलवार को बैलिस्टिक मिसाइल के हमले का जवाब न्यूक्लियर अटैक से दिए जाने की घोषणा की। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या अब रूस, यूक्रेन पर न्यूक्लियर अटैक करेगा? जानकार कह रहे हैं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बैलिस्टिक मिसाइल हमला करके लक्ष्मण रेखा क्रॉस कर दी है।
यही कारण है कि यूरोपीय देश अब न्यूक्लियर वॉर के खतरे से अलर्ट होने लगे हैं। नॉर्वे-फिनलैंड-डेनमार्क में लोग खाना और बाकी जरूरी चीजें जुटाने लगे हैं। वहीं, रूस में N-Resistant मोबाइल बंकर बनाने का काम भी शुरू हो गया है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के हमले की मंजूरी दी थी। यानी यूक्रेन को सुपरसोनिक मिसाइल टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) को रूस के अंदर हमले के लिए इस्तेमाल की मंजूरी दी गई।
अमेरिका के इस फैसले के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने भी परमाणु हमले के नियम बदल दिए हैं। पुतिन ने ऐलान कर दिया है कि अगर यूक्रेन ने बैलिस्टिक मिसाइल दागी तो परमाणु हमला किया जाएगा।
अचानक तनाव क्यों बढ़ गया?
यह पूरा घटनाक्रम तब बदला, जब यूक्रेन ने रूस के अंदर टारगेट करने वाली लंबी दूरी की छह अमेरिकी मिसाइलें दागीं। यूक्रेन ने पहले भी ATACMS का इस्तेमाल किया था, लेकिन यह इस्तेमाल बॉर्डर से जुड़े इलाकों तक सीमित था। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 300 किलोमीटर दूर तक के टारगेट को भेद सकती है। लंबी दूरी तक मार करने की वजह से ही ये मिसाइल यूक्रेन के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। जानकारों का कहना है कि रूस की नई परमाणु नीति से तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा है। यही वजह है कि डरे हुए नाटो देशों ने अपने नागरिकों को पर्चे जारी किए हैं और उन्हें युद्ध की तैयारी करने की सलाह दी है।
नाटो देशों में मचा हड़कंप
कई नाटो देश अपने नागरिकों से युद्ध के लिए तैयार रहने को कह रहे हैं। द मिरर ऑफ यूके के अनुसार, परमाणु युद्ध छिड़ने की आशंका के बीच स्वीडन ने अपने नागरिकों को आगाह किया है और पैम्फलेट बांटे हैं। इनमें अपने नागरिकों को शेल्टर की सलाह दी है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह पैम्फलेट सिर्फ पांच बार जारी किया गया है। इस बार ये पर्चा प्रत्येक नागरिक के घर में भेजा गया है।
नॉर्वे ने इमरजेंसी पैम्फलेट जारी किए
वहीं, नॉर्वे ने भी अपने नागरिकों के बीच इमरजेंसी पैम्फलेट जारी किए हैं, जिसमें लोगों को पूरे युद्ध के बारे में समझाया गया है। इसके साथ ही किसी इमरजेंसी स्थिति में एक सप्ताह तक भोजन-पानी की व्यवस्था करने की सलाह दी गई है।
स्वीडिश की लिस्ट में आलू, पत्तागोभी, गाजर और अंडे और बोलोग्नीज़ सॉस, तैयार ब्लूबेरी और रोज़हिप सूप शामिल हैं। नाटो के कई देशों को अब युद्ध का डर है और वे इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। डेनमार्क ने पहले ही अपने नागरिकों को राशन, पानी और दवाओं का स्टॉक रखने के लिए ईमेल भेज दिया है ताकि परमाणु हमले की स्थिति में तीन दिन के लिए इमरजेंसी व्यवस्था कर सकें।
रूस के साथ अपनी लंबी सीमा और द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ के साथ युद्ध के अनुभव के कारण फिनलैंड विश्व युद्ध को लेकर ज्यादा सतर्क है, लेकिन स्वीडन ने हाल ही में विश्व युद्ध के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
फिनलैंड ने भी अपने नागरिकों से संकट की तैयारी करने के लिए कहा है। फिनलैंड ने अपने ऑनलाइन ब्रोशर को अपडेट कर दिया है। गाइडलाइन में यह बताया गया है कि विभिन्न हालातों में क्या करना चाहिए। नागरिकों से संकट की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए कहा जा रहा है।
फिनलैंड ने की तरफ से यह भी बताया गया है कि नागरिक -20C से भी कम सर्दियों के तापमान में अपना बचाव कैसे करें। सूची में आयोडीन की गोलियां और पकाने में आसान भोजन, पालतू जानवरों के लिए भोजन और एक बैकअप बिजली आपूर्ति शामिल है। फिनलैंड पिछले साल अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो सैन्य समूह में शामिल हुआ था। वहीं, स्वीडन, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इस साल मार्च में शामिल हुआ।