नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की ‘वर्ल्डवाइड थ्रेट असेसमेंट 2025’ रिपोर्ट, जो मई 2025 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (कांग्रेस) को सौंपी गई, में पाकिस्तान के सामूहिक विनाश के हथियारों (Weapons of Mass Destruction – WMD) और परमाणु हथियारों के विकास को लेकर कई महत्वपूर्ण खुलासे किए गए हैं। यह रिपोर्ट वैश्विक खतरों का आकलन करती है और भारत, पाकिस्तान, चीन और अन्य देशों के सैन्य और सामरिक विकास पर विशेष ध्यान देती है।
परमाणु क्षमता और WMD को विकसित करना
पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है पाकिस्तान भारत को अपने “अस्तित्वगत खतरे” (Existential Threat) के रूप में देखता है। इस धारणा के कारण, पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता और WMD को विकसित करने और आधुनिक बनाने पर जोर दे रहा है। पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को युद्ध के मैदान में उपयोग के लिए उपयुक्त (Battlefield Nuclear Weapons) बना रहा है।
यह भारत की पारंपरिक सैन्य शक्ति का मुकाबला करने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान का मानना है कि वह पारंपरिक हथियारों में भारत से पीछे है। WMD में परमाणु, रासायनिक, और जैविक हथियार शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान इन हथियारों से संबंधित सामग्री को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं और बिचौलियों से खरीद रहा है, जिससे इसके WMD कार्यक्रम को बल मिल रहा है।
चीन की क्या भूमिका ?
पाकिस्तान अपने परमाणु और WMD कार्यक्रमों को विकसित करने में चीन से महत्वपूर्ण सहायता प्राप्त कर रहा है। यह सहायता सैन्य और आर्थिक दोनों रूपों में है। पाकिस्तान और चीन की सेनाएं हर साल संयुक्त युद्धाभ्यास करती हैं। उदाहरण के लिए, नवंबर 2024 में हुए एक प्रमुख हवाई अभ्यास का उल्लेख किया गया है, जिसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और पाकिस्तानी वायुसेना ने हिस्सा लिया। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और सैन्य आधुनिकीकरण में चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सैन्य शक्ति और अर्थव्यवस्था की रीढ़ अब चीन बन चुका है।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
रिपोर्ट में अप्रैल 2024 के अंत में जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख है। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया। 7 से 10 मई 2025 तक दोनों देशों के बीच मिसाइल, ड्रोन और गोलीबारी की घटनाएं हुईं, जो 10 मई को युद्धविराम के साथ समाप्त हुईं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान भारत से और अधिक दहशत में है। भारत की सैन्य तैयारियों और रणनीति के कारण पाकिस्तान को हर दिन भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, जैसे कि सीमा पर तैनाती और युद्धाभ्यास के लिए रोजाना लगभग 4 अरब पाकिस्तानी रुपये (13 मिलियन डॉलर) का खर्च।
भारत की रणनीति और वैश्विक स्थिति
भारत अब चीन को अपना प्रमुख सामरिक प्रतिद्वंद्वी (Primary Strategic Rival) मानता है, जबकि पाकिस्तान को एक ऐसी सुरक्षा समस्या के रूप में देखता है जिसे प्रबंधित किया जा सकता है। भारत ने 2024 में अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत किया, जिसमें परमाणु-सक्षम अग्नि-I प्राइम MRBM और अग्नि-V मिसाइलों का परीक्षण, साथ ही दूसरी परमाणु-संचालित पनडुब्बी को चालू करना शामिल है। भारत ने रूसी सैन्य उपकरणों की खरीद में कमी की है, लेकिन वह अभी भी रूसी स्पेयर पार्ट्स पर निर्भर है ताकि अपने टैंक और लड़ाकू विमानों को बनाए रख सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां भारत को वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने, चीन का मुकाबला करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और हथियार बिक्री के माध्यम से रक्षा साझेदारियां बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
पाकिस्तान की आंतरिक चुनौतियां
आतंकवाद और अस्थिरता: पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच राष्ट्रवादी उग्रवादियों से बढ़ते हमलों का सामना करना पड़ रहा है। 2024 में इन हमलों में 2500 से अधिक लोग मारे गए। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 में पाकिस्तान के लिए 11 नई शर्तें लगाई हैं, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और जटिल हो गई है। पाकिस्तान के तालिबान और ईरान के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं। सितंबर 2024 में तालिबान और पाकिस्तानी सीमा बलों के बीच झड़प में 8 तालिबानी मारे गए, और मार्च 2025 में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हवाई और तोपखाने से हमले किए।
WMD क्या है ? और इसका क्या खतरा ?
WMD में परमाणु, रासायनिक (जैसे सरिन और मस्टर्ड गैस) और जैविक हथियार (वायरस, बैक्टीरिया) शामिल हैं। ये हथियार बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं और लाखों लोगों की जान ले सकते हैं, जैसा कि हिरोशिमा और नागासाकी में देखा गया। पाकिस्तान का WMD कार्यक्रम भारत और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान इन हथियारों को युद्ध के मैदान में उपयोग के लिए विकसित कर रहा है, जिससे दक्षिण एशिया में परमाणु और जैविक सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
रिपोर्ट में उत्तर कोरिया के उन्नत हथियारों और रूस के साथ उसके बढ़ते सैन्य संबंधों पर भी चिंता जताई गई है। यह भी कहा गया है कि रूस, चीन और उत्तर कोरिया परमाणु और मिसाइल तकनीकों को साझा कर रहे हैं, जिससे वैश्विक खतरे बढ़ रहे हैं। चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति…चीन म्यांमार, पाकिस्तान और श्रीलंका में सैन्य ठिकाने स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो भारत के लिए सामरिक खतरा है।
रिपोर्ट का महत्व और प्रभाव
क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा: पाकिस्तान का WMD और परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण, विशेष रूप से चीन की सहायता से, दक्षिण एशिया में तनाव को बढ़ा रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल की सैन्य झड़पें और परमाणु क्षमता की दौड़ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा हैं। अमेरिका को भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति और वैश्विक प्रभाव से भी चिंता है, लेकिन वह पाकिस्तान के WMD कार्यक्रम को अधिक गंभीर खतरे के रूप में देखता है। भारत ने अपनी रक्षा रणनीति को मजबूत करने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन उसे पाकिस्तान और चीन की संयुक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बढ़ते तनाव और सामरिक प्रतिस्पर्धा !
अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी की यह रिपोर्ट दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव और सामरिक प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करती है। पाकिस्तान का WMD और परमाणु हथियारों का विकास, विशेष रूप से चीन की सहायता से, भारत और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है। दूसरी ओर, भारत अपनी सैन्य और वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में जुटा है, लेकिन उसे पाकिस्तान और चीन की दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति वैश्विक शक्तियों, विशेष रूप से अमेरिका, के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि दक्षिण एशिया में परमाणु और WMD से संबंधित घटनाएं वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं।