लंदन: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने धमकी दी है कि वह यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर और हाइपरसोनिक मिलाइलों से हमला करेंगे. नाटो और ब्रिटेन ने पुतिन की ओर से दी जा रही धमकी को लेकर अब तक कोई बैठक तक नहीं बुलाई है. उधर पुतिन यूक्रेन पर मिसाइलें बरसा रहे हैं. ऐसे में विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि कहीं अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले विश्व युद्ध न शुरू हो जाए.
सन की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के सत्ता संभालने में अभी 76 दिनों का वक्त बाकी है. और अमेरिका की लचर नीतियां न पुतिन को रोक पा रही हैं और न युद्ध में कोई असर डाल पा रही हैं. उधर व्लादिमीर पुतिन परमाणु विस्फोट की धमकी दे रहे हैं.
क्यों है खतरा
शीत युद्ध के बाद पहली बार खतरे की घंटी बज रही है क्योंकि यूक्रेन रूस के अंदर ब्रिटेन और अमेरिका की मिसाइलों को छोड़ रहा है, जिससे पैन-यूरोपीय संघर्ष का खतरा बढ़ गया है. 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव और 20 जनवरी को उनके शपथ ग्रहण के बीच 76 दिनों के बेतुके अंतर के लिए दुनिया को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.
बाइडेन की गलती
इस संकट को जो बिडेन ने भड़काया है, जिन्होंने यूक्रेन को देर से लंबी दूरी की मिसाइलें सौंपी हैं. इस मिसाइलों का इस्तेमाल पहले किया जाता तो बेहतर होता. राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के रूस के अंदर के हमलों ने क्रेमलिन को परमाणु प्रतिशोध की धमकी देने के लिए उकसाया है. पुतिन ने घोषणा की कि अब रूस के लिए ब्रिटेन और अमेरिका लक्ष्य हो सकते हैं.
क्या कर रहे दुनिया के बाकी नेता
डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया की आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य व्यवस्था को उलटने की धमकी देकर तनाव को बढ़ा दिया है. वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका को चुपके से परास्त करना चाहते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार हमने दो विनाशकारी विश्व युद्धों – और 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से सीखा है – कि हम हमेशा वैश्विक संघर्ष से सिर्फ एक भयानक कदम दूर हैं. उधर यूरोपीय देशों की सेनाएं रूस की तुलना में बेहद कमजोर हैं. इससे यह संकट और बढ़ जाता है.