Wednesday, May 14, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home कला संस्कृति

अमरकंटक का प्राचीन मंदिर समूह ‘रंगमहला’, जहां आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया शिवलिंग, अभिषेक करने आती हैं माँ नर्मदा

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
23/09/22
in कला संस्कृति, मुख्य खबर, राज्य
अमरकंटक का प्राचीन मंदिर समूह ‘रंगमहला’, जहां आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया शिवलिंग, अभिषेक करने आती हैं माँ नर्मदा
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

लोकेन्द्र सिंहलोकेन्द्र सिंह
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं।)


कोटि तीर्थ माँ नर्मदा उद्गम स्थल के समीप प्राचीन काल के मंदिरों का एक समूह है। ये मंदिर हमें अपने पास बुलाते हैं, नर्मदा के उद्गम की कहानी सुनाने के लिए। हम शांत चित्त से यहाँ बैठें तो पाएंगे कि थोड़ी देर में ये मंदिर हमसे बात करने लगते हैं। वे बताते हैं कि यहाँ जगतगुरु आदि शंकराचार्य आये थे। जगतगुरु आदि शंकराचार्य। मंदिर परिसर से सट कर बने आदि शंकराचार्य आश्रम की ओर इशारा करते हैं- देखिए वह है हिन्दू धर्म और हिंदुस्थान को एकसूत्र में पिरोने वाले भगवान का आश्रम। और फिर इसके बाद वह एक-एक करके अपने निर्माण की कथा सुनाते हैं। यहाँ पातालेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर, शिव मंदिर और एक पुरातन काल का सूर्य कुंड भी है। एक मंदिर में महावीर बजरंगबली भी विराजे हैं।

ancient temple group of Amarkantak 'Rangmahala

पातालेश्वर मंदिर का निर्माण स्वयं जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने कराया था। मंदिर में लगभग 10 फीट नीचे शिवलिंग है। इस शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई है, अपितु शिवलिंग स्वयं निर्मित है। वर्ष में एक बार नर्मदा जी अपने पिता शिव से मिलने इसी गर्भगृह में आती हैं। पातालेश्वर शिवलिंग जलहरी में सावन महीने के अंतिम सोमवार को श्री नर्मदा का प्रादुर्भाव होता है और शिवलिंग के ऊपर तक जल भर जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्री नर्मदा शिवजी को स्नान कराने आती हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसा केवल श्रावण मास में ही होता है। अन्य समय चाहे कितनी भी बारिश क्यों न हो, इस प्रकार की घटना नहीं होती। यहीं परिसर में एक आयताकार का कुंड भी है, जिसे सूर्य कुंड के नाम से जानते हैं। सूर्य कुंड का निर्माण भी आदि शंकराचार्य ने ही कराया था।

इस परिसर का दूसरा प्रमुख मंदिर है – कर्ण मंदिर। बड़े चबूतरे वाले इस मंदिर का निर्माण 1042 ई. में कल्चुरी वंश के राजा कर्ण ने कराया था। यहां भी मंदिर के गर्भगृह में महादेव विराजे हैं। इसके अलावा यहां और भी मंदिर हैं। ये सब मंदिर नागर शैली में बनाये गए हैं और इनका मंडप एक पिरामिड के आकार का है। मंदिर समूह का यह परिसर प्रकृति की उपस्थिति से और भी सुखमय हो गया है। सुंदर पार्क और हरे-भरे वृक्ष हृदय को आनंदित करते हैं। नर्मदा मंदिर से आती घंटी की मधुर ध्वनियां कानों में रस घोलती हैं। मन कहता है कि यहाँ घंटों बैठे रहें। अंतर्मन की यह कहा-सुनी भी ये प्राचीन मंदिर सुन लेते हैं और कहते हैं- बैठो न, हमें भी अच्छा लगता है, आप लोगों का साथ। परेशानी तो हमें बस चोट पहुंचाने वालों से है। परिसर के मंदिरों का रंग गेरूआ है। यह रंग मंदिर समूह के प्रति और आकर्षण बढ़ाता है। संभवत: भारतीय सनातन परंपरा के प्रतीक गेरूआ रंग के कारण ही इस पूरे परिसर को रंगमहला भी कहते हैं।

40 वर्ष बाद न्यायालय ने हटायी पूजा करने पर लगी रोक

अमरकंटक के ऐतिहासिक मंदिर समूह परिसर ‘रंगमहला’ में 40 वर्ष बाद पूजा करने की अनुमति मिली है। इस परिसर में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पातालेश्वर शिवलिंग के साथ ही 15 छोटे-बड़े मंदिर हैं। पुरातत्व विभाग ने मंदिरों को संरक्षित घोषित करते हुए यहाँ पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी। 1998 में जब द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने यहाँ पूजा करने का प्रयास किया तो उन्हें अनुमति नहीं दी गई। लगभग 17 वर्ष बाद यानी 2015 में अपर सत्र न्यायालय राजेन्द्रग्राम में उन्होंने पूजा करने की अनुमति देने के लिए याचिका लगाई। लगभग 7 वर्ष के बाद 16 सितंबर, 2022 को न्यायालय ने पूजन पर लगी रोक को हटा दिया है। अब श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना कर सकेंगे।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.