नई दिल्ली: कर्नाटक में एक बार फिर से ‘ऑपरेशन लोटस’ के आरोप लगाए जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी कांग्रेस के नेताओं की ओर से लगातार विपक्षी भारतीय जनता पार्टी पर उसकी सरकार को अस्थिर करने के दावे किए जा रहे हैं। अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और राज्य की सिद्दारमैया सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने तो इसके लिए 1,000 करोड़ रुपए का फंड दिए जाने तक का आरोप लगा दिया है।
कर्नाटक कांग्रेस का ‘ऑपरेशन लोटस’ का आरोप
शनिवार को पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार को गिराने की साजिशें रची जा रही हैं। इससे ठीक एक दिन पहले मांड्या से कांग्रेस एमएलए रविकुमार गौड़ा ने इसको लेकर विस्फोटक दावा किया था।
प्रत्येक एमएलए को 50 करोड़ के ऑफर का किया था दावा
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस विधायकों को पार्टी छोड़ने के लिए 50 करोड़ रुपए और मंत्री पद का ऑफर दिया जा रहा है। शुक्रवार को उन्होंने आरोप लगाया था कि ‘जिस टीम ने पहले जेडीएस-कांग्रेस सरकार को गिराया था, वह फिर से सक्रिय है और कांग्रेस एमएलए तक पहुंच रही है।’
कांग्रेस के पास सबूत होने का भी किया गया था दावा
उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी के पास इस तरह की बातचीत के ऑडियो और वीडियो दोनों हैं। उन्होंने कहा था कि ‘हमारे पास सबूत है कि उन्होंने (बीजेपी) कांग्रेस विधायकों को कितना ऑफर किया है। इसका जल्द ही खुलासा होगा।’ उन्होंने ये भी दावा किया था कि इन विधायकों को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली आने को कहा जा रहा है।
सीएम-डिप्टी सीएम ने भी कहा सरकार अस्थिर करने की साजिश हो रही है।
हालांकि, 50 करोड़ रुपए वाले ऑफर की जानकारी से इनकार करते हुए सीएम सिद्दारमैया ने कहा था, ‘मेरे पास जानकारी है कि बीजेपी हमारी सरकार को अस्थिर करना चाहती है।’ वहीं डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा, ‘एक बड़ी साजिश रची जा रही है। यह सफल नहीं होगी। बीजेपी के कई प्रमुख नेता इसके पीछे हैं।’
ऑपरेशन लोटस के लिए 1,000 करोड़ रुपए लिए गए- प्रियांक खड़गे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को कर्नाटक के ग्रामीण विकास, पंचायती राज और आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रदेश के नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से 1,000 करोड़ रुपए लिए हैं और वे इस पैसे का इस्तेमाल कर्नाटक में ऑपरेशन के लिए कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि ‘जब भी उन्हें बहुमत नहीं मिलता, ऑपरेशन लोटस चलाया जाता है। पैसे देकर एमएलए खींच लेंगे। महाराष्ट्र, बिहार, असम और मध्य प्रदेश जहां बीजेपी को बहुमत नहीं मिला, उन्होंने ऑपरेशन लोटस चलाया। राजस्थान में भी उन्होंने इसकी कोशिश की थी। कर्नाटक में भी वह ऐसी ही कोशिश कर रहे हैं।…..’
एमएलए कह रहे हैं तो विश्वास करना होगा- खड़गे
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि उनसे किसी ने इसको लेकर संपर्क नहीं किया है। उनके मुताबिक, ‘वे नेता मेरे पास नहीं आ रहे हैं। लेकिन, जब हमारे एमएलए इसके बारे में बात कर रहे हैं, तो हमे विश्वसास करना होगा। देश में पहले यह हो चुका है। कर्नाटक राज्य का भी इतिहास है। यह सच है कि ऑपरेशन लोटस चलाया जाता है।’
कांग्रेस सरकार के भीतर किन बातों की हो रही है चर्चा?
कर्नाटक में कांग्रेस की ओर से ऑपरेशन लोटस की बात उस समय की जा रही है, जब राज्य में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करने, लिंगायतों को सरकार में और ज्यादा प्रभावी भूमिका में लाने, प्रदेश का नाम ‘वसव नाडु’ करने के अलावा सीएम सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच सत्ता की हिस्सेदारी की व्यवस्था को लेकर कांग्रेस के भीतर ही चर्चाएं हो रही हैं। ऊपर से 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रदेश में जेडीएस और बीजेपी का भी गठबंधन हो चुका है
ऑपरेशन लोटस की शुरुआत कहां से हुई?
कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस की चर्चा 2008 से ही होती आई है। दूसरी बार यह 2019 में कथित तौर पर यह देखने को मिला जब कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायक बीजेपी की ओर चले गए और एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस की 14 महीने पुरानी सरकार गिर गई।
इस साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद जिन 224 सीटों के परिणाम आए, उनमें से 135 सीटों के साथ कांग्रेस ने बंपर बहुमत के साथ सरकार बनाई है। जबकि बीजेपी के पास 66 और जेडीएस के पास सिर्फ 19 एमएलए हैं। ऐसे में मामूली बहुमत के लिए भी बीजेपी-जेडीएस गठबंधन को कम से कम 28 विधायक चाहिए; और कांग्रेस विधायक के 50 करोड़ प्रति विधायक के ऑफर के हिसाब से जोड़ें तो यह आंकड़ा 1,400 करोड़ रुपए होता है। जबकि, अभी 1,000 करोड़ रुपए के फंड देने का ही दावा किया जा रहा है!