लखनऊ : लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से सपा के लिए उम्मीदों के साथ ही ‘दोस्ती’ के भी दरवाजे खुल रहे हैं। चाचा शिवपाल यादव की पार्टी में वापसी के बाद अब विधानसभा चुनाव के पहले व बाद में ‘छूटे’ साथियों के भी साइकल पर सवार होने के कयास तेज हो गए हैं। रामपुर और खतौली उपचुनाव में आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद की सक्रियता को भी नए रिश्ते का ही संकेत माना जा रहा है।
2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव और चंद्रशेखर के बीच कई मुलाकातें हुई थीं। वेस्ट यूपी में दलित वोटों में पैठ मजबूत करने में जुटी सपा का आजाद समाज पार्टी से गठबंधन फाइनल माना जा रहा था, लेकिन सीटों की भागीदारी को लेकर बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। चंद्रशेखर ने सपा पर छल करने का आरोप लगाते हुए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। चंद्रशेखर खुद गोरखपुर सदर से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें करीब 7,600 वोट ही हासिल हुए। फिलहाल आम चुनाव में सपा से जुदा हुई राहें इसी महीने हुए उपचुनाव में एक होती दिख रही हैं।
…इसलिए तेज हुए कयास
पश्चिम यूपी में दलित राजनीति के चर्चित चेहरे के तौर पर उभरे चंद्रशेखर ने अपनी सक्रियता से लगातार सुर्खियां बटोरी हैं। हाल में ही खतौली व रामपुर विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने सपा-रालोद गठबंधन का समर्थन किया था। अखिलेश व जयंत चौधरी के साथ उन्होंने मंच भी साझा किया था। खतौली की सीट रालोद भाजपा से छीनने में सफल रही। इसकी एक अहम वजह दलित वोटों को गठबंधन की ओर मुड़ना भी बताया गया। नतीजों के बाद जयंत ने चंद्रशेखर की तारीफ की थी और कहा था कि जीत की मिठाई मिलकर खाएंगे। इसके बाद से ही चंद्रशेखर के भी सपा गठबंधन में शामिल होने के कयास तेज हैं। हालांकि, चंद्रशेखर ने समर्थन को गठबंधन से अधिक संविधान बचाने की लड़ाई बताया था। सूत्रों का कहना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए सपा सामाजिक समीकरणों को साधने की हर संभावना पर काम कर रही है। ऐसे में मुफीद चेहरों के लिए गठबंधन की राह पार्टी खोलकर रखेगी।
केशव देव के भी तेवर बदले
विधानसभा चुनाव के बाद सपा पर उपेक्षा व धोखे का आरोप लगा गठबंधन छोड़ने वाले महान दल के केशव देव मौर्य के भी तेवर बदले हुए हैं। दावा किया है कि उन्होंने मैनपुरी में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव के लिए प्रचार किया, जिससे शाक्य वोट सपा के पक्ष में गए। हालांकि केशव देव का कहना है कि उन्होंने अपने समाज के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए उपचुनाव में समर्थन किया था। प्रचार के लिए न तो सपा ने उनसे कहा था और न ही नतीजों के बाद कोई उनसे बात हुई है। रही गठबंधन की बात तो यह तो बड़े खिलाड़ी तय करेंगे कि हमें साथ लेना है या नहीं।