2024 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले चुनावी राज्यों से जमीनी रिपोर्ट्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का संकेत देती हैं। वहीं यह भी संकेत मिल रहा है कि इंडिया गठबंधन के भीतर तनाव भी सामने आ रहा है। हालांकि बीजेपी के लिए स्थानीय स्तर पर कुछ बेचैनी के संकेत भी हैं।
भाजपा पीएम मोदी के नाम पर वोट मांग रही है। इसलिए स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है। उनके बीच यह सुगबुगाहट है कि शक्तियों के केंद्रीकरण ने उन्हें निर्णय लेने से रोक दिया है।
भाजपा नेता धीरे-धीरे बाहर होने पर सवाल उठा रहे हैं और उन्हें डर है कि इसका असर पार्टी पर पड़ेगा। नेताओं के बीच कम्युनिकेशन की कोई कमी नहीं है। भाजपा आलाकमान कार्य योजनाओं और आउटरीच कार्यक्रमों पर राज्य इकाइयों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है। हालांकि नेताओं का कहना है कि कई बार, यह एकतरफा अभ्यास होता है, जिसमें केंद्रीय आलाकमान अपने क्षेत्र में रणनीतियों सहित एकतरफा निर्णय लेती है।
यह डिजिटलीकरण के साथ मेल खाता है। जबकि पहले उन्होंने परियोजनाओं और कल्याण योजनाओं के माध्यम से लेन-देन का एक नेटवर्क बनाया था लेकिन अब सिस्टम की निगरानी सीधे केंद्र द्वारा की जा सकती है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि राज्यसभा में कई कार्यकाल तक सेवाएं दे चुके नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए। इसके बाद कई नेता घबराहट में आ गए। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, नेता यह पता करने की कोशिश में हैं कि वह किस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। जब मध्य प्रदेश में बीजेपी की सूची आई, उसके बाद कई नेताओं का असंतोष भी खुलकर सामने आया।
राजस्थान में भी ऐसा हुआ और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबियों को पहली सूची में जगह नहीं मिली। लेकिन जब पार्टी को चुनावी सर्वेक्षण से पता चला कि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है, तब दूसरी सूची में उनके कई समर्थकों को जगह दी गई। पार्टी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हिमाचल और कर्नाटक में जो हुआ, उसे पार्टी दोहराना नहीं चाहती है।
मध्य प्रदेश में भी भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को किनारे किया और पीएम मोदी के चेहरे पर पार्टी चुनाव लड़ रही है। बीजेपी को लगता है कि सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है और उसे दरनिकार करना ही एकमात्र रास्ता है। पार्टी के एक नेता ने बड़े नेताओं को चुनाव में उतारने के पीछे की योजना के बारे में बताते हुए कहा कि नेताओं को उन सीटों पर लड़ाई जा रहा है, जहां बीजेपी एक से अधिक बार हार चुकी है।