अर्थव्यवस्था को गति देने हेतु केंद्र सरकार द्वारा एक बड़े आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा
कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के दौरान कुछ सुस्त पड़ी देश की अर्थव्यवस्था को पुनः गति देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अभी हाल ही में 6.29 लाख करोड़ रुपए की राशि के एक बड़े आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा केंद्रीय वित्तमंत्री माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा की गई है। इस आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के अंतर्गत 8 आर्थिक घोषणाएं की गईं हैं जिनमें में कुछ नई योजनाएं शामिल हैं एवं कुछ पुरानी योजनाओं का विस्तार किया गया है।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के अंतर्गत अभी तक 2.69 लाख करोड़ रुपए, जो 3 लाख करोड़ रुपए का 90 प्रतिशत होता है, की राशि ऋण के रूप में 1.1 करोड़ एमएसएमई इकाईयों को उपलब्ध कराई गई है। ध्यान देने योग्य बात है कि देश में लगभग 6.3 करोड़ एमएसएमई इकाईयां है, इस तरह अभी भी बहुत सारी एमएसएमई इकाईयों ने इस योजना का लाभ प्राप्त नहीं किया है। इसलिये अब इस योजना के अंतर्गत 1.5 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त ऋण कोरोना महामारी से प्रभावित एमएसएमई इकाईयों को उपलब्ध कराए जाएंगे। अतः कारोबार करने वालों के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी की सीमा तीन लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर साढ़े चार लाख करोड़ रुपये कर दी गई है।
छोटे कारोबारी, गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों और माइक्रो फाइनैन्स संस्थानों को 1.25 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे ऋणों की अवधि 3 वर्ष की होगी एवं इसके 75 प्रतिशत भाग के ऋण अदा करने की गारंटी केंद्र सरकार देगी। वैसे इस योजना के अंतर्गत ऐसे ऋणी जिन्होंने 89 दिनों तक अपने ऋण की किस्त एवं ब्याज का भुगतान नहीं किया है, वे भी इस योजना का लाभ लेने के पात्र होंगे। इस योजना के अंतर्गत 25 लाख लोगों द्वारा ऋण लेने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 7,500 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है जिसका लाभ 31 मार्च 2022 तक लिया जा सकता है।
पर्यटन के क्षेत्र में नई जान फूंकने के लिए 11 हजार पंजीकृत टूरिस्ट गाइड और पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हितधारकों के लिए भी बड़े राहत पैकेज की घोषणा की गई है। इसके अंतर्गत 100 प्रतिशत गारंटी के साथ 10 लाख रुपये तक का ऋण ट्रैवल और टूर एजेंसियों को दिया जायेगा। इसके अलावा विदेशी पर्यटकों के लिए पांच लाख वीजा मुफ्त जारी करने की घोषणा भी की गई है। टूरिज्म एवं होटल क्षेत्र को अब आगे बढ़ाना ही होगा। कोरोना महामारी के दौरान यही क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर प्रभावित हुए हैं। अब इस क्षेत्र को सबसे अधिक सहयोग की आवश्यकता है। 5 लाख वीजा मुफ़्त में जारी किए जाने की घोषणा टुरिजम क्षेत्र को आगे बढ़ाने में सहायक होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 मई 2021 को 50,000 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की थी जिसका मकसद टीका निर्माताओं, टीका और प्राथमिकता वाले चिकित्सा उपकरणों के आयातकों और आपूर्तिकर्ताओं, अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, पैथेलोजी लैब, ऑक्सिजन एवं वेंटिलेटर निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं तथा कोविड के लिए दवाओं के आयातकों और लाजिस्टिक फर्मों एवं मरीजों के इलाज के लिए सही समय पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना था। इसके तहत बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपए के तत्कालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण 31 मार्च 2022 तक प्रदान किए जाएंगे एवं जिन्हें 3 सालों के दौरान वापिस किया जा सकेगा। बैकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले इन ऋणों को प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों की श्रेणी में रखा जायेगा। प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के लिए बैंकों को नकद आरक्षी अनुपात एवं संवेधानिक तरलता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत नहीं होती है। इसके कारण यह ऋण रियायती ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। बैंक इस प्रकार के ऋणों के लिए रेपो दर पर पैसा जुटा सकते हैं। इसके तहत बैंक ये ऋण सीधे अथवा मध्यस्थ के जरिए दे सकते हैं और इसके लिए उन्हें एक कोविड ऋण खाता खोलना होगा।
कोरोना महामारी के चलते निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान निर्यात में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जो घटकर 29,060 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है। अतः केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता के जरिए निर्यातकों को 33,000 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की दी जा रही है एवं निर्यात में तेजी लाने के उद्देश्य से 88,000 करोड़ रुपए का निर्यात बीमा कवर भी उपलब्ध कराया जा रहा है, इसे निर्यात गारंटी कारपोरेशन के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रावधान से देश के लगभग 30 प्रतिशत निर्यातकों को लाभ मिलेगा।
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की शुरुआत पिछले वर्ष आत्मनिर्भर भारत 3.00 के तहत अक्टोबर 2020 से 30 जून 2021 तक की अवधि के लिए लागू किया गया था परंतु अब इस योजना को लागू करने की अवधि को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा अभी तक करीब 21.42 लाख लाभार्थियो के लिए 902 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं जिससे 18 जून 2021 तक 79,577 इकाईयों को भी लाभ हुआ है। इस योजना के अंतर्गत 15 हजार रुपए से कम वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों और कम्पनियों के हिस्से की भविष्य निधि की राशि का भुगतान केंद्र सरकार करती हैं। केंद्र सरकार ने इस योजना पर 22,810 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने का प्रावधान किया है जिससे करीब 58.50 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
ग्रामीण इलाकों में कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल इंडिया का प्रोजेक्ट कुछ धीमी गति से चल रहा था परंतु अब इसे फास्ट ट्रैक पर लाया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में पंचायतों के स्तर तक फाइबर लाइन फैलायी जा रही है ताकि ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी की समस्या हल हो सके। बिजली एवं अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रामीण इलाकों में पहुंचाया जा चुका है परंतु कनेक्टिविटी की समस्या अभी भी बनी हुई है। इसलिए भारतनेट ब्रॉडबैंड योजना के लिए 19,041 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने का प्रावधान किया जा रहा है। ध्यान देने योग्य बात है कि 31 मई 2021 तक 2.50 लाख ग्राम पंचायतों में से 156,223 गावों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध करायी जा चुकी है। साथ ही केंद्र सरकार ने किसानों को 14,775 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान करने का प्रावधान भी किया है। इसमें से 9,125 करोड़ रुपए की सब्सिडी डाइ अमोनिया फोसफेट उर्वरक पर दी जाएगी एवं 5,650 करोड़ रुपए की सब्सिडी नाइट्रोजन, फासफोरस एवं पोटेशियम आधारित उर्वरक पर दी जाएगी। देश की अर्थव्यस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ता जा रहा है। यह बहुत बढ़ा बदलाव है एवं देश के लिए बहुत अच्छा भी है क्योंकि कृषि क्षेत्र में ही सबसे अधिक लोग कार्य कर रहे है। एमजीनरेगा योजना के अंतर्गत खर्च की जाने वाली राशि को बढ़ाया गया है। इस वर्ष मानसून भी बहुत अच्छा रहने की सम्भावना है तथा केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों का भी पूरा फोकस कृषि क्षेत्र पर बना हुआ है अतः आशा की जानी चाहिए कि इस वर्ष भी देश की अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ेगा।
देश के कुछ अर्थशास्त्रियों का यह मत है कि अर्थव्यवस्था में उत्पादों की मांग उत्पन्न करने के लिए लोगों के हाथों में अधिक से अधिक पैसे पहुंचाए जाने चाहिए ताकि वे उत्पाद खरीद सकें। परंतु, देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था ऐसा करने की इजाजत नहीं देती है। दूसरे, इस प्रकार के कार्यों से मुद्रा स्फीति बढ़ने की प्रबल सम्भावना रहती है जो अंततः गरीब वर्ग को ही विपरीत रूप से प्रभावित करती है। अतः केंद्र सरकार के उक्त कदमों की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि अधिकतम आर्थिक सहायता उन क्षेत्रों को ही पहुंचाई जा रही है जिन्हें इसकी अत्यधिक आवश्यकता है जैसे टुरिजम उद्योग, होटेल उद्योग, एमएसएमई क्षेत्र, आदि। अधिकतम प्रयास यह किया जा रहा है कि रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उत्पन्न हों। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में भी पूंजीगत खर्चों को प्रोत्साहित किया गया था। उक्त समय पर की गई घोषणाओं को अब तेजी से लागू किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे। कोरोना महामारी से प्रभावित क्षेत्रों में अधोसंरचना को मजबूत करने के उद्देश्य से 1.1 लाख करोड़ रुपए की ऋण गारंटी योजना लागू की गई है। इसमें से 50,000 करोड़ रुपए स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एवं 60,000 करोड़ रुपए अन्य प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपलब्ध कराए जायेंगे।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) योजना को 13 क्षेत्रों में लागू किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए समय सीमा को एक साल और बढ़ाया गया है। यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही 13 क्षेत्रों के अतिरिक्त उत्पादन के अन्य क्षेत्रों के लिए भी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को लागू किया जाना चाहिए। सप्लाई चैन क्षेत्र की कई इकाईयों ने चीन से अपनी उत्पादन इकाईयों को अन्य देशों में स्थानांतरित करना प्रारम्भ कर दिया है। ऐसे समय में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के दायरे को आगे बढ़ाना एक अच्छा प्रयास है।
ऐसा कहा जा रहा है कि चूंकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक क्षेत्र में कई कदम उठा लिए गए है अतः अब अर्थव्यवस्था में गति लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा राजस्व क्षेत्र में कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। इसलिए अब केंद्र सरकार ने 6.29 लाख करोड़ रुपए की राशि के विशेष पैकेज की घोषणा की है। केंद्र सरकार द्वारा लिए गए उक्त कदमों की अभी आवश्यकता भी थी क्योंकि अगर कोरोना महामारी की दूसरी लहर नहीं आती तो वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही में विकास दर बहुत अच्छी रहनी चाहिए थी परंतु दूसरी लहर के आने से विकास दर इस तिमाही में विपरीत रूप से प्रभावित हुई है। परंतु केंद्र सरकार द्वारा की गई उक्त घोषणाओं के बाद अब द्वितीय तिमाही में विकास दर बहुत आकर्षक रहनी चाहिए, ऐसे उम्मीद की जा रही है।
प्रहलाद सबनानी,
सेवा निवृत उप-महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक