“लेखक हैं?”
“जी।”
“क्यों, अब्बा लेखक थे?”
“नहीं।”
“फिर आप लेखक कैसे हुए?”
“अब्बा बनाकर!”
“मतलब?”
“मतलब यह कि लेखक होने के लिए मैंने एक लेखक को अब्बा बनाया।”
“वाह!! उनके अब्बा लेखक रहे होंगे, तभी तो वे लेखक हुए?”
“नहीं। उनके अब्बा सरकारी मुलाजिम थे।”
“फिर वे लेखक कैसे हुए?”
“उन्होंने भी एक लेखक को अपना अब्बा बनाया था, कालांतर में। ”
“तो उस लेखक के अब्बा लेखक रहे होंगे?”
“हाँ। उनके अब्बा लेखक थे। उन्होंने अपने लड़के को लेखक बनाया और लड़का जब लेखक हो गया तो उसने लेखकों की पूरी एक जमात ही तैयार कर दी यानी कि हजार मानस पुत्र पैदा कर डाले, ब्रह्मा हो गए वे! उन्हीं ब्रह्मा जी की तीसरी पीढ़ी से मैं बिलांग करता हूँ।”
“अच्छा!! आप लेखक किस विषय के हैं?”
“मैं ‘पीडियाट्रिक्स’ का लेखक हूँ।”
“आपने यह पढ़ा भी होगा, मतलब आप इसके गंभीर विद्यार्थी भी रहे होंगे?”
“नहीं। मैंने पालि साहित्य पढ़ा है। वही अब भी पढ़ता हूँ।”
“तब आप इस विषय के लेखक कैसे बन गए?”
“लेखक अब्बा’ की वजह से। उन्होंने कहा कि इसका बहुत स्कोप है। स्पॉन्सर और प्रोजेक्टर भी वही हैं। और फिर, मैं बन गया। अब्बा बहुत पहुंच वाले हैं!”
“आपके ये ‘लेखक अब्बा’ किस विषय के लेखक हैं?”
“न्यूरोलॉजी के!”
“और पढ़ा क्या है, उन्होंने?”
“वे प्राकृत भाषा के शिक्षक रहे हैं।”
“उन्हें किसने कहा कि तुम इस विषय के लेखक बनो?”
“उनके ‘लेखक अब्बा’ ने यानी कि मेरे ‘लेखक दादा’ ने, स्कोप देखकर। वे इनसे भी ज्यादा पहुंच वाले थे, बहुत हिट लेखक हैं अब्बा न्यूरोलॉजी के आजकल, पता है?”
“अच्छा!!! तुम्हारे ‘लेखक दादा’ क्या लिखते थे?”
“वे हिंदी साहित्य लिखते थे।”
“और पढ़ा क्या था?”
“वे हिंदी साहित्य के विद्वान थे। मूर्द्धन्य विद्वान! बड़े धाक वाले आदमी थे।”
“तो उन्होंने हिंदी साहित्य में आने के लिए आपके ‘लेखक अब्बा’ को क्यों नहीं कहा?”
“क्योंकि उसमें स्कोप नहीं दिखा, उन्हें?”
“ऐसा कैसे?”
“ऐसा इसलिए क्योंकि वह ‘लेखक दादा’ का एरिया था, वे किसी की सेंधमारी बर्दाश्त नहीं करते थे, अपने लड़के तक की भी!! इसलिए उन्होंने अपने मानस पुत्रों को नए नए विषय सुझाये, लेखन के! देखिए मैं आज ‘पीडियाट्रिक्स’ पर हिट लेखक हूँ और लेखक अब्बा ‘न्यूरोसाइंस’ के! लेखक अब्बा ने मुझे खुद न्यूरोसाइंस नहीं लिखने दिया क्योंकि वह उनका एरिया है। इतना क्या कम है कि वे मेरे प्रोजेक्टर हैं, स्पॉन्सर हैं, पब्लिशर वगैरह भी वही मैनेज करते हैं, सम्मान वगैरह भी!!”
“बहुत है भाई!! आपको आपके नए ‘लेखक अब्बा’ की बहुत बहुत बधाई!!! लिखते रहिए जी!!!”
लेखक राजनीति के विद्यार्थी हैं और साहित्य विशेषकर कविताएँ पढ़ने-लिखने में विशेष रुचि रखते हैं। इनसे devmisra.au@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है।