रूस में प्राइवेट आर्मी ‘वेग्नर ग्रुप’ की बगावत के बाद शुरू हुआ संकट 24 घंटे के भीतर खत्म हो गया. वेग्नर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने एलान किया कि वे “खून खराबे से बचने” के लिए लड़ाकों को वापस लौटने को कहा है. प्रिगोझिन खुद बेलारूस चले गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको की मध्यस्तता के बाद ही संकट के बादल छटे हैं. वेग्नर ग्रुप एक प्राइवेट आर्मी है जो पिछले कई सालों से अपने सैन्य और खुफिया ऑपरेशन्स को लेकर विवादों में रहा है. इस ग्रुप पर मानवाधिकार उल्लंघन के कई आरोप भी लगे हैं. फिलहाल, ये ग्रुप यूक्रेन में रूसी सेना के साथ मिलकर युद्ध लड़ रहा है. जानिए पिछले 24 घंटे में क्या-क्या हुआ? बगावत के एलान से लेकर पीछे हटने तक.
- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खास रहे येवगेनी प्रिगोझिन और रूसी सेना के बीच लंबे समय से टकराव चल रहा है. पहले, प्रिगोझिन ने रक्षा मंत्रालय पर वेग्नर ग्रुप को यूक्रेन में हथियार नहीं पहुंचाने का आरोप लगाया. फिर रक्षा मंत्रालय के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से मना किया. सबसे ताजा, 23 जून को प्रिगोझिन ने कई वीडियो और ऑडियो शेयर किए. इनमें उन्होंने आरोप लगाया कि रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने यूक्रेन में वेग्नर ग्रुप पर रॉकेट हमले का आदेश दिया है, जहां उनके सैनिक रूसी सेना के लिए लड़ रहे हैं. प्रिगोझिन ने कहा कि वे शोइगु से इसका बदला लेंगे और रूसी सेना इसमें हस्तक्षेप न करे. इसके बाद प्रिगोझिन अपने लड़ाकों के साथ यूक्रेन से आकर रूस की सीमा में घुस गए. फिर 24 जून को दावा किया कि उन्होंने दक्षिणी शहर रोस्तोव में रूसी सेना के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद उन्होंने मॉस्को की तरफ बढ़ने की घोषणा की.
- इन सबसे रूस का यह आंतरिक कलह खुलकर दुनिया के सामने आ गया. व्लादिमीर पुतिन ने इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए देश को संबोधित किया. पुतिन ने कहा कि हमारी पीठ पर छुरा घोंपा गया है और उन्हें इसकी सजा मिलेगी. हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं. हथियारबंद बागियों को हम करारा जवाब देंगे. हालांकि उन्होंने अपने संबोधन में ‘वेग्नर ग्रुप’ और येवगेनी प्रिगोझिन का नाम नहीं लिया था. इससे पहले प्रिगोझन के भी जो वीडियो सामने आए, उनमें उन्होंने पुतिन का नाम नहीं लिया था. वे सीधे रक्षा मंत्रालय के खिलाफ बोल रहे थे.
- हालात इतनी बिगड़ गई थी कि मॉस्को में काउंटर टेररिज्म स्टेट ऑफ इमरजेंसी घोषित कर दिया गया. रूस की नेशनल एंटी टेररिज्म कमेटी ने कहा था कि मॉस्को और इसके आसपास आतंकी घटनाओं की आशंका को देखते हुए एंटी टेरर ऑपरेशन लॉन्च किया गया है. यूक्रेन से सटे वोरोनेझ शहर में इसी तरह की इमरजेंसी घोषित हुई है. इस तरह के आदेश के बाद अधिकारियों का नियंत्रण बढ़ जाता है और किसी भी नागरिक को गिरफ्तार कर सकते हैं. रूसी सरकार ने रोस्तोव और मॉस्को के बीच M4 हाइवे को ब्लॉक कर दिया था. वहीं, वेग्नर ग्रुप के कार्यालय पर छापे शुरू हो गए. प्रिगोझिन के खिलाफ आपराधिक मुकदमों को खोला गया.
- इन सबके बीच समझौतों का दौर भी शुरू हो गया. रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, पुतिन ने फोन पर बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम- जोमार्त तोकायेव से बात की. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यब अर्दोआन ने भी कहा कि उन्होंने पुतिन से बात की है और बागियों के साथ शांतिपूर्ण समझौते के लिए मदद को तैयार हैं.
- रिपोर्ट के मुताबिक, एलेग्जेंडर लुकाशेंको की मध्यस्तता के बाद येवगेनी प्रिगोझिन ने वापस हटने का फैसला किया. प्रिगोझिन ने कहा कि उनके लड़ाके वापस कैंप में जाएंगे. यानी जहां यूक्रेन में वो बेस बनाकर लड़ाई लड़ रहे थे. हालांकि उन्होंने तब ये भी कहा कि उनके लड़ाके मॉस्को से सिर्फ 200 किलोमीटर दूर खड़े थे. प्रिगोझिन के मुताबिक, उन्होंने खून खराबे से बचने के लिए पीछे हटने का फैसला किया है. प्रिगोझिन ने ये नहीं बताया कि रूसी राष्ट्रपति ने रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु को हटाने की मांग मानी है या नहीं. उनके एलान के बाद 24 जून की रात वेग्नर ग्रुप के लड़ाके रोस्तोव सेना मुख्यालय से भी निकलने लगे.
- क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का सरकारी आवास) के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि “लुकाशेंको डील” के तहत प्रिगोझिन बेलारूस जाएंगे. साथ ही ये भी बताया कि प्रिगोझिन या वेग्नर ग्रुप के किसी लड़ाकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. प्रवक्ता ने इस दिन को ‘दुखद’ बताया और कहा कि पुतिन की मंजूरी से लुकाशेंको ने मध्यस्तता का ऑफर दिया था. क्योंकि रूसी राष्ट्रपति प्रिगोझिन को करीब 20 सालों से जानते हैं. हालांकि क्रेमलिन ने ये नहीं बताया कि लुकाशेंको और प्रिगोझिन के बीच क्या डील हुई है.
यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में वेग्नर ग्रुप भी शामिल है. इस साल मई में इसी वेग्नर ग्रुप ने यूक्रेन के बाखमुत में जीत का दावा किया था. मई में ही वेग्नर ने रूसी सेना पर पर्याप्त हथियार न देने का इल्ज़ाम लगा दिया था. प्रिगोझिन ने इस हालात के लिए रूसी रक्षा मंत्रालय को ज़िम्मेदार ठहराया था. इसके बाद से ही वेग्नेर ग्रुप और रूसी सेना के बीच दरार ज्यादा बढ़ गई थी. हाल में, रूस के रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन में लड़ रहे ‘वॉलंटियर ग्रुप्स’ के लिए एक निर्देश जारी किया. इसके मुताबिक, वॉलंटियर फ़ोर्सेस में शामिल लड़ाकों को डिफ़ेंस मिनिस्ट्री के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होगा. लेकिन प्रिगोझिन ने कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से साफ मना कर दिया था.